पानी का संतुलित उपयोग करें, पानी बचाने का दायित्व केवल सरकार का नहीं : सीएम शिवराज सिंह चौहान

By बृजेश परमार | Published: December 27, 2022 09:58 PM2022-12-27T21:58:17+5:302022-12-27T21:58:17+5:30

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि हमने प्रकृति का शोषण कर प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ दिया है। समझदारी के साथ संसाधनों का दोहन करना ही इस सृष्टि की रक्षा करेगा।

Make balanced use of water, it is not only the government's responsibility to save water, CM Shivraj Singh Chouhan | पानी का संतुलित उपयोग करें, पानी बचाने का दायित्व केवल सरकार का नहीं : सीएम शिवराज सिंह चौहान

पानी का संतुलित उपयोग करें, पानी बचाने का दायित्व केवल सरकार का नहीं : सीएम शिवराज सिंह चौहान

Highlightsसुजलाम कांफ्रेंस में बोले मुख्यमंत्री हमने प्रकृति का शोषण कर प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ दियाउन्होंने कहा, समझदारी के साथ संसाधनों का दोहन करना ही इस सृष्टि की रक्षा करेगामुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारतीय संस्कृति एकात्मतावादी है

उज्जैन: जल की पवित्रता पर भारतीय व देशज विमर्श तैयार करने और इसके वैज्ञानिक पहलुओं को विश्व पटल पर रखने के लिये आयोजित सुजलाम कांफ्रेंस का शुभारंभ मंगलवार को आम के पेड़ पर 313 नदियों से एकत्रित किए गए जल को अर्पित कर किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि हमने प्रकृति का शोषण कर प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ दिया है। समझदारी के साथ संसाधनों का दोहन करना ही इस सृष्टि की रक्षा करेगा।

मप्र जनअभियान परिषद द्वारा आयोजित पंच महाभूतों (आकाश, जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी) को समर्पित तीन दिवसीय सुजलाम कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन मंगलवार को इन्दौर रोड के निजी रिसोर्ट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्‍द्रसिंह शेखावत, राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी, स्‍वामी अदृश्य कागसिध्‍देश्‍वर  महाराज ने किया।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारतीय संस्कृति एकात्मतावादी है। विश्व में जब कई सभ्यताएं मिट रही थी, तब हमारे देश में वेदों की ऋचाएं रची जा रही थी। वसुधैव कुटुंबकम हमारी धरती से ही उपजा है। सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया के सूत्र वाक्य से हमारे ऋषि-मुनियों ने बताया है कि विश्व में किस तरह से सुख और शान्ति से रहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज सुजलाम सम्मेलन में जल तत्व के बारे में जो विचार एवं कार्य योजना बनेगी, उसी पर प्रदेश सरकार कार्य करेगी। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश की धरती पर हमने जल संरक्षण का प्रयास किया है और विगत वर्षों में चार लाख से अधिक जल संरचनाएं तैयार की गई हैं। प्रदेश की जनअभियान परिषद ने 313 नदियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री ने आव्हान किया है कि पानी का संतुलित उपयोग करें, पानी को बचायें, आर्गेनिक खेती करें व पर्यावरण को बचायें। उन्होंने कहा कि धरती को बचाना ही होगा, तभी हमारा अस्तित्व बचेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचभूतों का संतुलन यदि नहीं रहेगा तो धरती का संतुलन बिगड़ जायेगा।

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा कि हमारे देश में सन्तों ने इस सभ्यता को बचाने के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन दे दिया है। देश में पेड़-पौधों तक की रक्षा के लिये धर्म का बंधन लगाया गया है। जिस देश में जल को जगदीश मानने की परम्परा थी, उस देश में ही आज जल स्त्रोत सर्वाधिक प्रदूषित हैं। हमें अब इस पर विचार करना चाहिये कि वर्ष 2050 में हम अपने लोगों को अन्न व जल की कैसे उपलब्धता करवायेंगे।

शेखावत ने कहा कि हम सब सौभाग्यशाली हैं कि पंचभूतों की अवधारण हमारे देश में विकसित हुई। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे अभियान से मात्र पांच वर्षों में सम्पूर्ण गंगा नदी के पानी को स्नान योग्य बना दिया गया है। आने वाले समय में जल की उपलब्धता निर्बाध रूप से सभी के लिये हो, यह हमारी सबसे बड़ी चुनौती है।

स्वामी कागसिद्धदेश्वर महाराज ने कहा कि पंच महाभूत रहेंगे तभी जीव का शरीर सुरक्षित रहेगा। जब तक संतुलन स्थापित नहीं होगा, सृष्टि का कार्य सुचारू रूप से नहीं चलेगा। हम पंच महाभूत को ही भगवान मानते आये हैं।

स्वामीजी ने कहा कि आज स्थिति बदल गई है। एक किलो अन्न ग्रहण करने पर 27 मिलीग्राम जहर हमारे शरीर में जा रहा है। अलग-अलग प्रकार से मिट्टी प्रदूषित हो रही है। पानी में भी अत्यधिक प्रदूषण फैल गया है। उन्होंने कहा कि पहले मिट्टी की पूजा की जाती थी, जल की पूजा की जाती थी, जल को कुंभ में रखकर अभिषेक किया जाता था। वर्तमान में मनुष्य जैसे-जैसे बुद्धिमान हुआ, वैसे-वैसे संसाधनों का दुरूपयोग शुरू हुआ व हमारे संसाधन दूषित होते गये। आज हम एक हजार फीट ने नीचे जाकर पानी निकाल रहे हैं। इसी दोहन ने हमारे पंच महाभूत तत्वों में असंतुलन पैदा कर दिया है। इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियां भोगेंगी। 

स्वामीजी ने कहा कि पंच महाभूतों के असंतुलन को ठीक करने का दायित्व हमारा ही है और इसे करना ही होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर कार्यवाह भैय्याजी जोशी ने कहा कि पंच महाभूत का उपयोग दुनिया के अन्य देश में नहीं किया जाता है। हमारे यहां के महापुरूषों, सन्तों ने इस शब्द का उपयोग शक्ति के रूप में किया है। हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है। पंच महाभूत वैश्विक है। भारतीय चिन्तन की विशेषता रही है कि सृष्टि, वन, जड़, चेतन का निर्माण पंच महाभूतों के कारण ही हुआ है। 

आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आज हमें पंच महाभूतों के असंतुलन पर विचार क्यों करना पड़ रहा है, यह सोचनीय है। भारत को पुण्यभूमि, देवभूमि कहा गया है। क्या हम इस गौरव को बनाये रख पायेंगे। भारत की भूमि को सुरक्षित करने का निर्णय भी ईश्वर ने ही लिया है। इसके तीन ओर समुद्र और ऊपर की ओर हिमालय इसकी रक्षा कर रहे हैं। एक समय था जब भारत बंजर भूमि हो चुका था। पीने और कृषि के लिये पानी नहीं था, उस समय भागीरथ ने गंगा लाकर इस धरती का कल्याण किया था। 

भैय्याजी जोशी ने कहा कि विकास के जो मापदण्ड पश्चिम ने तय किये हैं, हम आज उनसे सहमत नहीं हैं। विकास की एक बड़ी कीमत हम चुका रहे हैं। विकास का यह मॉडल हमें मृत्यु की ओर ले जाता है। ऐसे विकास को लेकर हम कहां जायेंगे। हमारे सारे पर्व पर्यावरण की रक्षा के लिये हैं। जिस नदी को हम मां मानते हैं, उस नदी को हम प्रदूषित करने का पाप भी करते हैं। हमें यह तय करना है कि हम पंच महाभूतों के साथ समन्वय करके जीना चाहते हैं या संघर्ष कर जीना चाहते हैं। हमारे सन्तों ने ग्रंथों में प्रकृति से समन्वय कर जीवन जीने का सन्देश दिया है। हमें हर हाल में पर्यावरण केन्द्रित जीवन पद्धति को पुनर्स्थापित करना है।

कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा ‘सुमंगली’ पुस्तक का विमोचन किया। उक्त पुस्तक का सम्पादन महर्षि पाणिनी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.विजय कुमार जे एवं आनन्दीलाल जोशी ने किया  है। कार्यक्रम में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा निर्मित जल पर आधारित वृत्तचित्र का प्रदर्शन भी किया गया।

मध्य प्रदेश की धरती पर किसी भी गरीब को बिना छत के नहीं रहने देंगे

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को मक्सी रोड स्थित कानीपुरा में नगर पालिक निगम द्वारा निर्मित की गई प्रधानमंत्री आवास योजना के एएचपी घटक (भागीदारी में किफायती आवास) के अन्तर्गत 3 मल्टी में निर्मित 152 ईडब्ल्यूएस आवासीय इकाईयों के गृह प्रवेश कार्यक्रम में भाग लिया। 

मुख्यमंत्री के मुख्य आतिथ्य में हितग्राहियों को फीता काटकर गृह प्रवेश कराया गया और आवास की चाबी सौंपी गई। उल्लेखनीय है कि नवनिर्मित तीन मल्टी में 152 आवास बनाये गये हैं। इनमें से 146 आवासों में हितग्राहियों का गृह प्रवेश कराया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार का यह संकल्प है कि मध्य प्रदेश की धरती पर किसी भी गरीब को बिना छत के नहीं रहने देंगे। आज मल्टी में बनाये गये सुन्दर आवास पर हितग्राहियों का अधिकार होगा। हमने लगभग 40 एकड़ जमीन भू-माफियाओं के कब्जे से छुड़ाई है। इन जमीनों पर आवासहीनों के लिये घर बनाये जायेंगे। असामाजिक तत्वों और भू-माफियाओं, गुंडे-बदमाशों को छोड़ा नहीं जायेगा। उनके घर पर बुलडोजर चलाये जायेंगे। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि नीलगंगा स्थित कवेलु कारखाने की जमीन पर भी गरीबों के लिये आवास शीघ्र ही बनाकर दिये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने उज्जैन के शहीद जवान जितेंद्रसिंह चौहान के माता-पिता को मंच से सम्मानित किया। इसके पश्चात उनके द्वारा तीन हितग्राहियों को मंच से सांकेतिक रूप से आवास की चाबी सौंपी गई।

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