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प्रणालियों व प्रक्रियाओं की अनदेखी करने के चलते बैंक धोखाधड़ी के बड़े मामले हुए : सीवीसी

By भाषा | Updated: September 15, 2021 20:11 IST

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नयी दिल्ली, 15 सितंबर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने कहा है कि कर्ज देने में और सामान्य कार्यों में प्रणालियों एवं प्रक्रियाओं की अनदेखी किये जाने के चलते बैंक धोखाधड़ी के बड़े मामले हुए हैं।

आयोग ने इसके मद्देनजर, भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए काम करने वाले मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सीवीओ) को सलाह दी है कि वे प्रौद्योगिकी का उपयोग कर और जांच के जरिए प्रत्येक स्तर पर धोखाधड़ी की रोकथाम करने को प्राथमिकता दें।

सीवीसी ने यह भी कहा कि बैंकों की विदेशी शाखाओं में बड़ी धोखाधड़ी होने से इसमें शामिल मुद्दों की प्रकृति की गहन पड़ताल करने की जरूरत पैदा हुई है।

बैंकिंग क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशकों तथा सीवीओ की एक समीक्षा बैठक के दौरान यह विषय उठा। बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के सीवीओ भी शामिल थे।

सीवीसी ने कहा कि इन अधिकारियों ने आयोग के समक्ष प्रस्तुतियां दी।

आयोग ने कहा कि उन्होंने सतर्कता मामलों की स्थिति, उनमें हुई प्रगति, बैंकों द्वारा उठाये गये निवारक सतर्कता उपायों, व्हिसल ब्लोअर तंत्र को मजबूत करने के लिए उठाये गये कदमों, सतर्कता जागरूकता सप्ताह के दौरान की गई गतिविधियों और बैंकिंग कार्य में प्रौद्योगिकी के उपयोग सहित अन्य के बारे में जानकारी दी।

सीवीसी ने अपनी वार्षिक 2020 रिपोर्ट में कहा है, ‘‘आयोग ने पाया है कि बैंक धोखाधड़ी के काफी संख्या में बड़े मामले कर्ज देने एवं सामान्य कार्य में प्रणालियों व प्रक्रियाओं की अनदेखी करने के चलते हुए हैं। ’’

सीवीसी ने इस बात का जिक्र किया कि जांच अधिकारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण देकर जांच की गुणवत्ता बेहतर किए जाने की जरूरत है।

इसने कहा, ‘‘आयोग ने यह सलाह भी दी है कि सीबीआई व अन्य एजेंसियों द्वारा शिकायतें दर्ज किये जाने के बाद, बैंकों को वसूली की कोशिशों को अवश्य जारी रखना चाहिए।’’

इसने कहा, ‘‘बैंकों में महिला कर्मचारियों की अच्छी खासी संख्या को देखते हुए कम से कम एक महिला सदस्य हर कमेटी में नामित की जानी चाहिए ताकि महिला कर्मचारियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जा सके।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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