महाराष्ट्र: उद्धव सरकार के मंत्री का ऐलान, शिक्षा में मुस्लिमों को 5% आरक्षण देने के लिए बनेगा कानून
By अनुराग आनंद | Published: February 28, 2020 03:18 PM2020-02-28T15:18:00+5:302020-02-28T15:18:00+5:30
2014 में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण और मराठों को 16 फीसदी आरक्षण की घोषणा की थी।
महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के छात्रों को शिक्षा में 5 प्रतिशत देने के मामले में कानून बनाने के लिए सरकार विचार कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों, कॉलेजों में 5 प्रतिशत आरक्षण देने को लेकर हाई कोर्ट ने मंजूरी दी थी। इसके बाद भाजपा सरकार को इसपर कानून बनाना था, जो उन्होंने नहीं किया। ऐसे में अब उद्धव ठाकरे सरकार प्रदेश के मुस्लिम छात्रों के लिए कानून बनाएगी।
Nawab Malik, Maharashtra Minister: High Court had given its nod to give 5% reservation to Muslims in government educational institutions. Last govt did not take any action on it. So we have announced that we will implement the HC's order in the form of law as soon as possible. pic.twitter.com/20Por8xiX9
— ANI (@ANI) February 28, 2020
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी और प्राइवेट स्कूलों में आरक्षण देने पर भी गठबंधन सरकार विचार कर रही है। राज्य में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना गठबंधन की सरकार है, जिसका नेतृत्व उद्धव ठाकरे कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में पिछले साल नवंबर में गठबंधन सरकार बनने के बाद से कांग्रेस ने साफ किया था कि वह मुस्लिम आरक्षण पर दबाव बनाएगी। राज्य के लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और मुस्लिमों के लिए जल्द ही आरक्षण व्यवस्था लाई जाएगी। उन्होंने कहा था, 'हम इसको लेकर दबाव बनाएंगे।'
शिवसेना पहले भी मुस्लिम छात्रों को आरक्षण देने का समर्थन कर चुकी है-
साल 2018 में महाराष्ट्र विधानसभा में चर्चा के दौरान शिवसेना ने मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण दिए जाने की वकालत की थी। बता दें कि 2014 में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण और मराठों को 16 फीसदी आरक्षण की घोषणा की थी। हालांकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए सिर्फ शिक्षा में मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण जारी रखा।