महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले बयानबाजी, बोम्मई के दावे पर फड़नवीस बोले- कर्नाटक में नहीं जाने देंगे एक भी गांव
By विनीत कुमार | Updated: November 24, 2022 10:49 IST2022-11-24T10:34:46+5:302022-11-24T10:49:39+5:30
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में इसी महीने सुनवाई है। हालांकि इससे पहले ही दोनों ओर के शीर्ष नेताओं की ओर से बयानबाजी शुरू हो गई है।

महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर बयानबाजी (फाइल फोटो)
मुंबई: महाराष्ट्र और कर्नाटक के पुराने सीमा विवाद को लेकर एक बार फिर दोनों ओर से बयानबाजी होने लगी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को दावा किया कि महाराष्ट्र के सांगली जिले के जत तहसील के 40 गांव में कन्नड़ भाषियों की तादाद ज्यादा होने से वहां के लोग कर्नाटक में शामिल होना चाहते हैं। इस पर महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने जवाब देते हुए कहा कि राज्य का कोई गांव कर्नाटक में नहीं जाने दिया जाएगा। बसवराज ने अब फड़नवीस के बयान को भड़काने वाला बताया है।
बोम्मई ने कहा, 'महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा मुद्दे पर भड़काऊ बयान दिया है और उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा। हमारी सरकार देश की जमीन, पानी और सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।'
महाराष्ट्रातील एकही गाव कर्नाटकात जाणार नाही !
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 23, 2022
बेळगाव-कारवार-निपाणीसह मराठी भाषिकांची गावे मिळविण्यासाठी राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालयात भक्कमपणे लढा देईल !#Maharashtrapic.twitter.com/0sB1IIpIQA
दरअसल, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद फिर से केंद्र में इसलिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस महीने मामले की सुनवाई करने वाला है। सुनवाई से पहले दोनों राज्यों की सरकारें इस मामले में अपने पक्ष को मजबूत बताने की कोशिश में जुटी हैं और अपनी लीगल टीमों को तैयार करने की प्रक्रिया में हैं।
फड़नवीस बोले- बेलगांव, कारवार, निप्पाणी हासिल करेंगे
फड़नवीस ने दावा किया कि बेलगांव, कारवार, निप्पाणी जैसे कर्नाटक के मराठी भाषी इलाकों को हासिल करने का पूरा प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूरी ताकत से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखेगी। फड़नवीस ने कहा, 'हम एक देश में रहते हैं. हमारे बीच शत्रुता नहीं है पर फिर भी कानूनी संघर्ष जरूरी है। अगर सिंचाई और अन्य समस्याएं हल होती हैं तो दोनों राज्यों के बीच बैठक भी होनी चाहिए।'
बोम्मई के बयान पर फड़नवीस ने कहा कुछ गांव ने कर्नाटक के पक्ष में 2012 में प्रस्ताव पारित किया था, उनकी शिकायत थी कि उन्हें पीने का पानी नहीं मिल रहा है। फड़नवीस ने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में इस समस्या को हल करने के प्रयास शुरू हुए थे लेकिन पिछली सरकार कोविड संक्रमण की वजह से योजना को मंजूरी नहीं दे सकी। अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार इसे मंजूरी देगी।
बता दें कि दोनों राज्यों में सीमा विवाद उस समय से है जब इनका गठन किया गया था। महाराष्ट्र का दावा है कि सीमा पर 865 गांवों को महाराष्ट्र में विलय कर दिया जाना चाहिए, जबकि कर्नाटक का दावा है कि 260 गांवों में कन्नड़ भाषी आबादी है।