महाराष्ट्र: फड़नवीस सरकार के पतन के साथ ही कांग्रेस ने राज्यपाल की भूमिका पर साधा निशाना
By शीलेष शर्मा | Published: November 27, 2019 05:40 AM2019-11-27T05:40:16+5:302019-11-27T05:40:16+5:30
कांग्रेस ने फड़नवीस के इस्तीफा देने के तुरंत बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर न केवल सवाल उठाये बल्कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भूमिका पर भी हमला किया
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद पैदा हुई परिस्थितियों का जश्न मनाती कांग्रेस ने अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर अपना निशाना साध दिया है। चूंकि कोश्यारी की भूमिका को लेकर मामला अभी भी सर्वोच्च न्यायालय के सामने है इसलिए कांग्रेस फैसला होने तक लगातार हमला करने की रणनीति बना रही है।
कांग्रेस ने अजित पवार और देवेंद्र फड़नवीस के इस्तीफा देने के तुरंत बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर न केवल सवाल उठाये बल्कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भूमिका पर भी हमला किया।
पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने पूछा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने किस समय गृहमंत्रालय को राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की, गृह मंत्रालय में किस अधिकारी ने यह सिफारिश गृह मंत्री अमित शाह के पास पहुंचाई, गृह मंत्री अमित शाह ने कब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इससे अवगत कराया और कैबिनेट की बैठक के बिना अपने अधिकारों का प्रयोग कर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश किस समय की।
पार्टी प्रवक्ता ने इस सवालों के जवाब सरकार से मांगते हुए साफ किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति की भूमिका को लेकर पूर्व में भी गंभीर टिप्पणियां की है, महाराष्ट्र के मामले में राज्यपाल, सरकार और राष्ट्रपति की जो भूमिका रही है उसका संज्ञान सर्वोच्च न्यायालय फैसला लेते समय लेगा।
इससे पूर्व आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष ने संविधान दिवस के अवसर पर संसद परिसर में बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ के बैनर हाथ में लेकर अपना विरोध प्रकट किया। यह ठीक वही अवसर था जब संसद के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मोदी संविधान दिवस पर संविधान की दुहाई दे रहे थे।
लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने तल्ख टिप्पणी की और पूछा कि संविधान दिवस पर संसदीय परंपरा के अनुसार सदन के अंदर चर्चा होती रही है फिर प्रधानमंत्री मोदी अपने प्रचार के लिए संसद के केंद्रीय कक्ष में परंपराओं को तोड़कर आयोजन क्यों कर रहे है।
सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र में कांग्रेस,राकांपा और शिव सेना की सरकार का गठन का रास्ता साफ हो जाने के बाद कहा कि यह सरकार पांच वर्ष चलेगी और प्रदेश के सभी नागरिकों चाहे वह किसी धर्म, जाति के क्यों ना हो समानता के आधार पर विकास योजनाओं के भागीदार होगें।