महाराष्ट्र: पंकजा मुंडे और एकनाथ खड़से पर कार्रवाई करेगी बीजेपी! शक्ति प्रदर्शन के साथ दिखाए थे बगावती 'तेवर'
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 14, 2019 09:44 IST2019-12-14T08:38:15+5:302019-12-14T09:44:54+5:30
Pankaja Munde and Eknath Khadse: भारतीय जनता पार्टी पंकजा मुंडे और एकनाथ खड़से के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, हाल ही में इन दोनों नेताओं ने दिखाए थे बगावती तेवर

पंकजा मुंडे और एकनाथ खड़से ने जताई थी देवेंद्र फड़नवीस को लेकर नाराजगी?
प्रमोद गवली, मुंबईं: परली के पास गोपीनाथ गढ़ पर गुरुवार को भाजपा नेता एकनाथ खड़से और पंकजा मुंडे ने कहा कि वे समूचे भाजपा नेतृत्व से नाराज नहीं हैं, लेकिन उनका निशाना सीधा-सीधा देवेंद्र फड़नवीस पर था।
हालांकि इस शक्ति प्रदर्शन से यह जताने की भी कोशिश की गई कि भाजपा में ओबीसी नेताओं के साथ किसी न किसी कारण से अन्याय किया जा रहा है।
अब भाजपा के सामने यह सवाल खड़ा हुआ है कि इन दोनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए या नहीं?
क्या बीजेपी करेगी पंकजा और एकनाथ खड़से के खिलाफ कार्रवाई?
वैसे शुक्रवार को पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को सोलापुर में संकेत दिए कि पार्टी विरोधी गतिविधियां करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पाटिल खुद गुरुवार को गोपीनाथ गढ़ के कार्यक्रम में मौजूद थे।
कहना न होगा कि उन्हें पार्टी ने ही वहां भेजा था। उन्होंने बंद कमरे में खड़से और प्रकाश मेहता की मौजूदगी में पंकजा मुंडे से बात की। उसकी का नतीजा यह हुआ कि गोपीनाथ मुंडे की पुत्री के तेवर कुछ नरम हो गए। वह शायद पार्टी ने छोड़ते हुए एक नया सामाजिक संगठन (माली, धनगर, वंजारी, बंजापा और राजपूत आदि) बनाने की तैयारी कर चुकी थीं।
इसी संगठन से वह भाजपा को यह संदेश देना चाहती थीं कि भाजपा में ओबीसी नेताओं का महज इस्तेमाल किया जा रहा है, जो अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका आरोप है कि भाजपा के ही लोगों ने उन्हें हरवाया। यहां उनका इशारा फड़नवीस की ओर था।
एकनाथ खड़से ने आरोप लगाया कि 40 साल पार्टी में ईमानदारी के साथ काम करने के बावजूद उनके साथ नाइंसाफी की गई। ये जवाब चाहते हैं कि ऐसा क्यों किया गया?
खड़से ने फड़नवीस के नेतृत्व पर उठाए सवाल?
खड़से के मुताबिक जिस जमीन खरीद मामले में लिप्त होने का आरोप उन पर लगाया गया था, उसमें क्लीन चिट मिलने के बावजूद उन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में नहीं लिया गया। इतना ही नहीं, उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट भी नहीं दिया गया। उनका सीधा आरोप है कि जिन लोगों के टिकट काटे गए थे, उनका निर्णय राज्यस्तरीय नेतृत्व (फड़नवीस) ने किया था। इसलिए उनके निशाने पर फड़नवीस ही हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि यही तेवर खड़से ने चुनाव से पहले क्यों नहीं दिखाए?
पंकजा और खड़से के लिए पार्टी छोड़ना नहीं आसान!
यदि दिखाए होते तो और वे राकांपा या शिवसेना में जाते तो आज स्थिति अलग होती। आज जरूर पार्टी छोड़ने का संकेत दे रहे हैं, लेकिन देखना है कि वे कब ऐसा कर पाते हैं। वे यह भी जानते हैं कि अगले लोकसभा चुनाव में उनकी सांसद बहू रक्षा खड़से को टिकट नहीं दिया जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए बहुत हिम्मत जुटानी पड़ेगी।
कमोपेश यही स्थिति पंकजा मुंडे की है। उन्हें भी हिम्मत जुटानी होगी। उनके लिए शिवसेना के अलावा कोई विकल्प नहीं है। वह इस बारे में संकेत दे चुकी हैं। मगर मौजूदा हालात में ऐसा नहीं लगता है कि वे पार्टी छोड़ पाएंगी।
दरअसल, उनके क्षेत्र में मुकाबला धनंजय मुंडे से है। इसलिए उनकी राह आसान नहीं है।
फड़नवीस के नेतृत्व पर उठ रहे सवाल:
खड़से, पंकजा, प्रकाश मेहता, बावनकुले और अन्य नेता जो किसी न किसी कारण से भाजपा में नाराज चल रहे हैं, उन्होंने इसी बहाने देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं।