मुंबईः शिवसेना (उबाठा) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव संपन्न हुए एक साल से अधिक समय बीत गया है लेकिन अब तक सदन में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि विधानमंडल के आगामी शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों के लिए विपक्ष के नेता की घोषणा की जानी चाहिए। ठाकरे ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उच्चतम न्यायालय को महाराष्ट्र में मतदाता सूची में गड़बड़ी का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और विपक्ष को शीर्ष अदालत से अनुरोध करना चाहिए कि जब तक इसमें सुधार नहीं हो जाता तब तक स्थानीय निकाय चुनाव न कराए जाएं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल किया, ‘‘ इतना प्रचंड बहुमत होने के बावजूद सरकार नेता प्रतिपक्ष से क्यों डर रही है? उन्होंने कहा, ‘‘ नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति होनी चाहिए और हम इसकी मांग करते रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि यदि सरकार विपक्ष के नेता की नियुक्ति करने में विफल रहती है तो इतिहास में यह पहली बार होगा कि कोई सत्र नेता प्रतिपक्ष के बिना आयोजित किया जाएगा।
ठाकरे ने कहा कि विपक्ष का नेता एक संवैधानिक पद है। उन्होंने कहा कि यदि कोई विपक्ष का नेता नियुक्त नहीं किया जाता है तो उपमुख्यमंत्री का पद भी समाप्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह संवैधानिक नहीं है। महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार में दो उपमुख्यमंत्री शिवसेना के एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री के अजित पवार हैं।
शिवसेना (उबाठा) के सदन में 20 विधायक हैं और वह सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है। उसने वरिष्ठ विधायक भास्कर जाधव को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए नामित किया है। विधानमंडल के उच्च सदन विधान परिषद में शिवसेना (उबाठा) के नेता अंबादास दानवे का कार्यकाल अगस्त में समाप्त होने के बाद कांग्रेस ने सतेज पाटिल को नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए नामित किया है।
उच्चतम न्यायालय ने सभी स्थानीय निकायों में 31 जनवरी तक चुनाव कराने का आदेश दिया है। ठाकरे ने इस बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि शीर्ष अदालत को मतदाता सूची की ‘गड़बड़ी’ पर संज्ञान लेना चाहिए। शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष ने कथित रूप से त्रुटिपूर्ण मसौदा मतदाता सूची का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे पूरी चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।