Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं है। लेकिन चुनाव से पहले राज्य में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राज्य के डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार ने बारामती सीट से चुनाव लड़ने की अनिच्छा जाहिर की है। हालांकि जनता की डिमांड पर वह अपने बेटे को इस सीट से उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार सकते हैं।
पवार ने एक अप्रत्याशित बयान देते हुए कहा कि अब उन्हें बारामती से चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि वे इस सीट से कई बार चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर बारामती के लोग मांग करेंगे तो उनके छोटे बेटे जय पवार इस सीट से चुनाव लड़ेंगे।
अगर जय को मैदान में उतारा जाता है तो बारामती में फिर से पवार बनाम पवार की लड़ाई देखने को मिलेगी। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, अजीत पवार के भतीजे युगेंद्र पवार को राज्य विधानसभा चुनावों के लिए बारामती से मैदान में उतारा जा सकता है। युगेंद्र बारामती में स्थानीय राजनीति और सार्वजनिक सेवा में काफी सक्रिय हैं। उन्हें राजनीतिक ताकतवर पवार परिवार का नया चेहरा माना जाता है।
हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में, अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा को बारामती निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा सांसद और अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले, जो शरद पवार की बेटी हैं, के खिलाफ मैदान में उतारा था। सुनेत्रा चुनाव हार गईं, लेकिन उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया गया।
2019 में, अजित पवार के बड़े बेटे पार्थ को बारामती के पड़ोसी मावल निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव के लिए (अविभाजित एनसीपी द्वारा) मैदान में उतारा गया था। हालांकि, वह शिवसेना के श्रीरंग बारने से भारी अंतर से हार गए। पार्थ ने हाल ही में कहा कि वह चुनाव लड़ने और पार्टी के विस्तार की दिशा में काम करने के इच्छुक नहीं हैं।
अजित पवार ने क्या कहा
गुरुवार को मीडिया ने डिप्टी सीएम से पूछा कि क्या उनके बेटे जय इस साल बारामती से चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने जवाब दिया, "मैंने बारामती से सात से आठ बार चुनाव लड़ा है। अब मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अगर एनसीपी (अजित पवार गुट) के कार्यकर्ता मांग करते हैं कि जय चुनाव लड़ें, तो प्रस्ताव संसदीय बोर्ड के पास ले जाया जाएगा।"
महाराष्ट्र के पुणे जिले में बारामती निर्वाचन क्षेत्र पवार परिवार का राजनीतिक गढ़ है। हालांकि, अजित पवार के अपने चाचा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संस्थापक शरद पवार से अलग होने के बाद, बारामती की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं।