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Madhya Pradesh: MP सरकार ने लिया 2 हजार करोड़ का कर्ज, CM मोहन यादव की सरकार का ये पहला कर्ज

By आकाश सेन | Updated: December 22, 2023 17:49 IST

भोपाल: एमपी सरकार ने दो हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। CM मोहन यादव सरकार का ये पहला कर्ज है। लेकिन जनता से किए वादों को पूरा करना और प्रदेश की वित्तीय स्थियों को सुधारना सीएम मोहन यादव और अधिकारियों के लिए चुनौती पूर्ण रहने वाला है । क्या है प्रदेश की वित्तीय स्थिती जानिए पूरी खबर में।

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ठळक मुद्देएमपी सरकार ने लिया 2 हजार करोड़ का कर्ज।CM मोहन सरकार के कार्यकाल का पहला कर्ज।वित्तीय प्रबंधन के साथ फ्रीबीज स्कीम को पूरा करना चुनौती MP में 16 हजार करोड़ में पूरे होंगे चुनावी वादे।सस्ता गैस सिलेंडर और गरीब छात्रों को 1200 रुपए की घोषणा खजाने पर पड़ेगी भारी ।

भोपाल:  मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पदभार संभालने के बाद अफसरों को पहली ही मीटिंग में भाजपा के संकल्प पत्र को पूरा करने का टारगेट दिया है। अफसरों के सामने चुनौती यह है कि संकल्प पत्र में शामिल फ्रीबीज स्कीम को लागू किया जाता है तो 16 हजार करोड़ का अतिरिक्त खर्च आएगा। जबकि प्रदेश के सरकारी खजाने की हालत ऐसी है कि सरकार को कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है।

MP में 16 हजार करोड़ में पूरे होंगे चुनावी वादे, सस्ता गैस सिलेंडर और गरीब छात्रों को 1200 रुपए की घोषणा खजाने पर पड़ेगी भारी 

नई सरकार के खजाने और आम आदमी की आर्थिक सेहत पर क्या असर होगा? नई सरकार के सामने क्या चुनौतियां होंगी? इसे लेकर एक्सपर्ट क्या कहते हैं। 

1. गरीब छात्रों को सालाना 1200 रुपए।

घोषणाः कक्षा 12वीं तक के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को स्कूल बैग, किताबें एवं यूनिफॉर्म के लिए सालाना 1200 रुपए दिए जाएंगे।

सालाना खर्च: केवल सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या 92 लाख के हिसाब 1104 करोड़ खर्च होंगे।

2. लाड़ली बहना योजना - उज्ज्वला की लाभार्थियों को 450 में सिलेंडर

घोषणा: लाड़ली बहना के अलावा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना धारक महिलाओं को 450 रुपए में गैस सिलेंडर दिया जाएगा।सालाना खर्च: प्रदेश में 1.35 करोड़ परिवार इन दोनों योजनाओं का फायदा ले रहे हैं।

ऐसे में सरकार के खजाने पर सालाना 7290 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा।

3. गेहूं-धान की समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीदी

घोषणा: गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 और धान का 3100 रुपए प्रति क्विंटल। इसके साथ एमएसपी पर बोनस भी दिया जाएगा।धान की 2230 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर सरकारी खरीदी होती है। इस हिसाब से सरकार पर 7765 करोड़ का अतिरिक्त बोझ आएगा।

4. लाड़ली लक्ष्मी योजना

घोषणा: लाड़ली लक्ष्मी योजना की राशि 1.42 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रुपए की गई है।

सालाना खर्च: प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मियों की संख्या 44 लाख से ज्यादा है। सरकार ने योजना की राशि में 58 हजार रुपए का इजाफा किया है। ऐसे में कुल 25 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च होगा, लेकिन सरकार ये राशि एकमुश्त नहीं देती। अनुमान के अनुसार सालाना करीब 450 करोड़ खर्च होंगे।

दिग्विजय सरकार पर जितना कर्ज, मौजूदा सरकार पर उससे ज्यादा ब्याज

साल                        कुल कर्ज                ब्याज राशि                     प्रति व्यक्ति कर्ज

2003-04           20 हजार करोड़           2502 करोड़                        3 हजार 300 रु.

2023-24           3.85 लाख करोड़        24 हजार करोड़                     50 हजार रु.

चुनाव से पहले लागू घोषणाओं पर पहले से 22 हजार करोड़ का खर्च

भाजपा ने चुनाव से पहले ही कई मुफ्त की योजनाओं का ऐलान किया था, जिसमें महिलाओं, किसानों और युवाओं पर फोकस किया गया था। इन योजनाओं पर सरकार का सालाना खर्च करीब 22 हजार करोड़ रुपए है।

1. लाड़ली बहना योजना

योजना के तहत 1 करोड़ 31 लाख महिलाओं के खाते में 1250 रुपए डाले जा रहे हैं। 163.75 करोड़ हर महीने का खर्च। जबकि सालाना 19,650 करोड़ होगा। योजना के हितग्राहियों की मौजूदा संख्या एक करोड़ 31 लाख है। इनको प्रतिमाह 1250 रुपए दिए जा रहे हैं। यह खर्च पांच साल में 95 हजार करोड़ रुपए होगा। 2. किसान सम्मान निधि की राशि 2 हजार रुपए बढ़ाई

प्रदेश के 87 लाख किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि 4 हजार से बढ़ाकर 6 हजार रुपए की गई। इससे सरकारी खजाने पर 1750 करोड़ का अतिरिक्त बोझ ।

3. मेधावी छात्र-छात्राओं को लैपटॉप

सरकार ने कक्षा 12वीं के 78641 मेधावी छात्र-छात्राओं के खाते में 25-25 हजार रुपए डाले। सरकार पर 196 करोड़ 60 लाख रुपए का बोझ आया। 

5.7800 स्टूडेंट्स को स्कूटी इलेक्ट्रिक स्कूटी 1 लाख 20 हजार और पेट्रोल वाली स्कूटी के लिए 90 हजार रुपए निर्धारित किए थे। इस पर खर्च 79 करोड़ रुपए।

नई सरकार को विरासत में मिला 3.85 लाख करोड़ रुपए का कर्ज

मध्य प्रदेश की नई सरकार को 3.85 लाख करोड़ रुपए का कर्ज विरासत में मिला है। इस लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश के हर नागरिक पर फिलहाल 50 हजार रुपए का कर्ज है। सरकारी खजाने से साल का 24 हजार करोड़ रुपए सिर्फ ब्याज चुकाने में जा रहा है। विशेषज्ञ भी हैरान हैं कि कर्ज में डूबी सरकार ने दो साल में बाजार से एक लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज लिया है। यह अब तक लिए गए लोन का एक तिहाई है। इसका असर यह हुआ कि मप्र में हर व्यक्ति पर पांच साल में कर्ज डबल हो गया। ऐसा संभवत पहली बार है। ऐसे में देखना ये है कि जनता से किए वादों के साथ प्रदेश की मोहन सरकार कैसे वित्तीय संकट से बाहर आती है। 

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