थाने में महिला से पुलिस वालों ने किया सामूहिक बलात्कार, मानवाधिकार आयोग ने आईजी और एसपी से मांगा जवाब

By शिवअनुराग पटैरया | Published: October 21, 2020 07:35 PM2020-10-21T19:35:51+5:302020-10-21T19:37:17+5:30

9 मई को एक महिला को गिरफ्तार कर पुलिस ने लाक-अप में डाल दिया और तत्कालीन थाना प्रभारी, एसडीओपी व अन्य तीन पुलिसकर्मियों ने 9 मई से 20 मई के दौरान उसके साथ बलात्कार किया व 21 मई को न्यायालय में पेश कर उसे जेल भेज दिया.

Madhya Pradesh Human Rights Commission Policemen gang-raped woman police station seeks reply from IG and SP | थाने में महिला से पुलिस वालों ने किया सामूहिक बलात्कार, मानवाधिकार आयोग ने आईजी और एसपी से मांगा जवाब

धारा 164 दप्रसं के अन्तर्गत लिये गये बयान की प्रति एवं पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट भी मंगाई गई है.

Highlightsकार्ईवाई के लिये न्यायालय भेजा गया, जहां से जांच व कार्ईवाई करने का एक पत्र एसपी को भेजा गया.महिला उप निरीक्षक ने मामले की जांच के बाद महिला को 21 मई को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था.21 मई को देर हो जाने के कारण 22 मई को जेल भेज दिया. महिला ने उस समय न्यायालय के समक्ष कुछ नहीं कहा था.

भोपालः थाने में महिला के साथ सामूहिक बलात्कार को लेकर मप्र मानवाधिकार आयोग ने आईजी और एसपी से जवाब मांगा है.

मानवाधिकार आयोग के अनुसार रीवा अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुये बताया कि मनगवा थाना क्षेत्र के फरेदा गांव में हुुई एक हत्या के मामले में 9 मई को एक महिला को गिरफ्तार कर पुलिस ने लाक-अप में डाल दिया और तत्कालीन थाना प्रभारी, एसडीओपी व अन्य तीन पुलिसकर्मियों ने 9 मई से 20 मई के दौरान उसके साथ बलात्कार किया व 21 मई को न्यायालय में पेश कर उसे जेल भेज दिया.

जहां उसने वार्डन को आप बीती बताई, लेकिन उसके द्वारा कुछ नहीं किया गया. तीन दिन पहले रूटीन चेक-अप के लिये जुडिशियल मजिस्ट्रेट व विधि प्राधिकरण की टीम जेल गई थी, जहां उस महिला ने पूरी घटना बताई, जिसपर रिपोर्ट तैयार कर कार्ईवाई के लिये न्यायालय भेजा गया, जहां से जांच व कार्ईवाई करने का एक पत्र एसपी को भेजा गया.

आयोग के द्वारा जारी बयान के अनुसार बीती 16 मई को एक व्यक्ति की हत्या हुई थी. महिला उप निरीक्षक ने मामले की जांच के बाद महिला को 21 मई को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था. 21 मई को देर हो जाने के कारण 22 मई को जेल भेज दिया. महिला ने उस समय न्यायालय के समक्ष कुछ नहीं कहा था.

इस मामले में आयोग ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), रीवा तथा पुलिस अधीक्षक (एसपी), रीवा से चार सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है. साथ ही यह भी पूछा है कि प्रकरण दर्ज हुआ अथवा नहीं? तथा धारा 164 दप्रसं के अन्तर्गत लिये गये बयान की प्रति एवं पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट भी मंगाई गई है.

हिरासत में युवक की मौत पर ग्रामीणों का हंगामा:  मण्डला जिले में बीते शुक्रवार सुबह पिंडरई पुलिस ने ग्राम भैंसवाही धोनी निवासी श्याम सिंह विश्वकर्मा पिता स्व. दशरथ सिंह विश्वकर्मा व उसके भाई को पूछताछ हेतु हिरासत में लिया था. आरोप था कि युवक किसी लड़की को भगाकर ले गया है. जिसकी शिकायत लड़की के परिजनों ने की थी.

परिजन ने बताया कि बीते शुक्रवार को दोनों भाईयों को हिरासत में लेकर पुलिस ने बेरहमी से उनके साथ मारपीट की व एक भाई को रात्रि 11 बजे सुबह आने को कहकर छोड़ दिया. सुबह जब परिजन पुन: चौकी आये, तो उन्हें युवक की मौत का पता चला. हालांकि पुलिस मामले में मारपीट से इंकार कर रही है. बीते शनिवार सुबह ग्रामीणों को पता चला कि पुलिस हिरासत में युवक की मौत हो गई. तब ग्रामीण आक्रोशित हो गये और चौकी पर जमकर हंगामा किया.

परिजनों का कहना है कि पुलिस के अनुसार श्याम ने पुलिस अभिरक्षा में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. वहीं मृतक श्याम सिंह के परिजनों का आरोप है कि चौकी पिंडरई पुलिस द्वारा श्याम सिंह के साथ बेरहमी से मारपीट की गई. जिसके चलते उसकी मृत्यु हुई है. उसके बाद चौकी प्रभारी ने स्टाफ के सहयोग से मृतक के पैंट से ही लाक-अप के अन्दर पैंट से फांसी का फंदा बनाकर टांग दिया और मामला आत्महत्या का बता दिया.

पीड़ित परिवार का यह भी आरोप है कि पुलिस ने श्याम सिंह की मृत्यु की सूचना भी उन्हें नहीं दी और गुपचुप तरीके से श्याम सिंह के शव को मण्डला जिला चिकित्सालय पहुंचाया और दो अनजान व्यक्तियों से हस्ताक्षर कराकर पोस्टमार्टम करा दिया गया. पीएम के बाद परिजन व ग्राम के लोग जिला अस्पताल पहुंचे. शाम करीब 4 बजे शव को मृतक के गृह ग्राम के लिये भेजा गया. इस मामले में मानव अधिकार आयोग ने पुलिस महानिदेशक, मध्यप्रदेश भोपाल तथा पुलिस अधीक्षक, मण्डला से चार सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है.

दर्द से तड़पती रही बुजुर्ग महिला, चार घंटे बाद कर्मचारी ने कहा डाक्टर नहीं है,  बाद में आना, आयोग ने मांगा जवाब:  भोपाल शहर में कोरोना काल में आम मरीजों को अस्पताल में खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. वहीं स्टाफ और कर्मचारी मरीजों को परेशान करते है, तो कहीं डाक्टर ही इलाज नहीं करते. बीते शनिवार को जेपी अस्पताल में एक बुजुर्ग महिला डाक्टर के केबिन के बाहर दर्द से करहाती रही. 65 वर्ष की कोसा बाई दो दिन से पेट दर्द से जूझ रही थी. घर के पास कलीनिक में दिखाने पर आराम नहीं मिला, बीते शनिवार को असहनीय दर्द होने लगा.

ऐसे में उनका बेटा मचल सेन मां को लेकर जेपी अस्पताल पहुंचा. यहां दो स्त्ऱी रोग विशेषज्ञों की ड्यूटी थी, लेकिन दोनों ही अपने केबिन में नहीं थी. कर्मचारी ने बताया कि डाक्टर ओटी में है, थोड़ी देर में आ जायेंगी. कोसा बाई दर्द से करहा रही थीं. करीब चार घंटे बाद वह कर्मचारी वापस आया, तो बेटे ने एक बार फिर डाक्टर के बारे में पूछा तो कर्मचारी ने कहा डाक्टर नहीं आएंगे, मरीज को सोमवार को लेकर आना.

मालूम हो कि जेपी अस्पताल में मरीजों के साथ बदसलूकी की यह पहली घटना नहीं है. यहां आये दिन मरीज परेशान होते हैं. बीते महीने ही मरीजों की शिकायत के बाद मंत्री विश्वास सारंग ने अस्पताल अधीक्षक को हटा दिया था. इस मामले में मानव अधिकार आयोग ने अधीक्षक, जयप्रकाश अस्पताल, भोपाल से एक माह में प्रतिवेदन मांगा है.

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