मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 का शंखनाद मजबूत आचार संहिता के साथ सामने आया है। निर्वाचन आचार संहिता के पालन करवाने में मशक्कत कर रहा है और प्रमुख राजनैतिक दल प्रत्याशी चयन की मशक्कत में मशगुल हैं। अभी प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस ओर भाजपा प्रत्याशी चयन में पैनल तक पहुंच पाए हैं। कांग्रेस में पैनल की स्थिति के बाद आने वाले समय में प्रत्याशी के सामने आते ही बगावत और फिर भीतरघात की स्थिति दोहराई जाना तय माना जा रहा है। वर्ष 2008 और 2013 के चुनाव में यह स्थिति साफ सामने आई और दिग्गजों के प्रयासों के बावजूद कांग्रेस को इसका खामियाजा जमकर भूगतना पड़ा। 2013 में तो जिले की सातों विधानसभा पर भाजपा ने अपना परचम लहराने में इसका जमकर लाभ लिया।
वर्ष 2008 और 2013 में बराबर इसके प्रमाण सामने आए जिनमें कांग्रेस प्रत्याशी को बगावत और भीतरघात के चलते ही हार का मुंह देखना पड़ा ।
वर्ष 2008 में कांग्रेस ने नागदा – खाचरौद विधानसभा के लिए दिलीप गुर्जर मैदान में मैदान में उतरे थे। इससे पूर्व 2003 में निर्दलीय रहकर गुर्जर ने रेल के इंजन चुनाव चिन्ह से कांग्रेस और भाजपा को मात दे कर विजयीश्री प्राप्त की थी, 2008 में भी उन्होंने छद्म रूप से आए बगावतियों को धराशाई किया और साथ ही भाजपा को भी। 2013 में कांग्रेस के दिलीप गुर्जर को भीतरघात के साथ ही आंतरिक बगावत ने हार का मुहं देखने पर मजबूर कर दिया।
2008 में इसी प्रकार बडनगर में कांग्रेस ने मुरली मोरवाल को टिकिट दिया और पूर्व विधायक सुरेन्द्रसिंह सिसौदिया निर्दलीय मैदान में आ गए थे। निर्दलीय श्री सिसौदिया को कांग्रेस प्रत्याशी से मात्र 4 हजार ही कम मत प्राप्त हुए। 2013 में बड़नगर में कांग्रेस ने महेश पटेल को टिकिट दिया था जिसके चलते बगावत भी हुई और भीतरघात हुआ, पटेल को हार का मुंह देखना पड़ा।
उज्जैन दक्षिण में 2008 में यहां कांग्रेस से योगेश शर्मा चुन्नू को टिकिट दिया गया उनके विरोध में कांग्रेस के राजेन्द्र वशिष्ठ और जयसिंह दरबार ने बगावत कर दी हाल यह रहे की कांग्रेस प्रत्याशी चौथे नंबर पर परिणाम में रहे। 2013 में कांग्रेस से जयसिंह दरबार को टिकिट मिला ,बगावत की स्थिति यह रही की छद्म नाम से और भीतरघात से कांग्रेस को हारना पड़ा।
2008 में उज्जैन उत्तर में कांग्रेस प्रत्याशी डा. बटुकशंकर जोशी को बगावती लाला उर्फ विश्वास त्रिपाठी और दो अन्य ने मैदान में उतरकर नुकसान पहुंचाया साथ ही भीतरघात भी हुआ। 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी विवेक यादव को भीतरघात से हार का मुंह देखना पड़ा।
तराना में 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी बाबूलाल मालवीय को बगावती पुष्पा चौहान ने नुकसान पहुंचाया और छद्म नाम ने निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।2013 में तराना में कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र राधाकिशन मालवीय को भीतरघात के चलते हार का मुंह देखना पड़ा, जबकि उनकी समाज के काफी वोट इस क्षेत्र में थे।
घट्टिया में 2008 में बगावत के बावजूद कांग्रेस के प्रत्याशी रामलाल मालवीय ने जीत दर्ज की थी। भीतरघात भी हुआ पर दोनों ही स्थितियों को उन्होंने बखूबी हराकर जीत हांसिल की। 2013 में उन्हे भीतरघात के चलते मात खाना पड़ी।
महिदपुर में 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी डा।कल्पना परूलेकर बगावती और भीतरघाती यहां रहे तो लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी को कोई नुकसान नहीं कर पाए। 2013 में महिदपुर में कांग्रेस प्रत्याशी डाॅ. कल्पना परूलेकर को बगावत के चलते ही हार का मुंह देखना पड़ा। बगावती दिनेश जैन बोस मतगणना में दुसरा स्थान पाया और कांग्रेस प्रत्याशी डाॅ. परूलेकर तीसरे स्थान पर रही।
टिकिट वितरण के बाद बगावत कांग्रेस में रही है , भीतरघात के हालात भी रहे हैं परिणाम में सबकुछ सामने है , लेकिन इस बार सब कुछ हटकर है।आम कार्यकर्ता की सोच है कांग्रेस को सत्ता में लाना। अबकी बार ऐसा संभव नहीं हो पाएगा। ये चुनाव कांग्रेस का कार्यकर्ता ही प्रत्याशी को जिताएगा।- जिला कांंग्रेस प्रवक्ता विवेक गुप्ता