मध्य प्रदेशः चुनावी रण में प्रत्याशियों की बढ़ी चिंताएं, वोटर्स से की जा रही NOTA दबाने की अपील
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 23, 2018 17:42 IST2018-11-23T17:42:42+5:302018-11-23T17:42:42+5:30
सवर्ण आंदोलन के बाद प्रदेश भर में 'नोटा' की हवा है, सभी दल सबसे ज्यादा नोटा से डर रहे हैं। आरक्षण को लेकर गुस्से में नोटा को वोट देने की अपील की जा रही, अगर यही स्तिथि रही तो वोटों के बिखराव और 'नोटा' पर गिरने वाले वोट के बाद किसी एक पार्टी के खाते में स्पष्ट बहुमत आना भी मुश्किल हो सकता है।

मध्य प्रदेशः चुनावी रण में प्रत्याशियों की बढ़ी चिंताएं, वोटर्स से की जा रही NOTA दबाने की अपील
मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे चुनाव में खड़े छोटे-बड़े दलों के द्वारा प्रत्याशियों को रिझाने के लिए तरह-तरह से चुनाव प्रचार किया जा रहा है। राजधानी में इन दिनों नोटा का बटन दबाने के लिए ब्रह्म समागम संगठन ने प्रचार अभियान तेज किया है। इस संगठन को इस तरह का प्रचार करने के लिए चुनाव आयोग ने अनुमति भी दी है। इस तरह के प्रचार ने प्रत्याशियों की चिंता को बढ़ा दिया है।
विधानसभा चुनाव की हलचल के बीच भोपाल की सड़कों पर घूमती एक गाड़ी चर्चा का विषय बनी हुई है। गाड़ी पर तमाम बैनर-पोस्टर लगे हैं, उनमें मतदाताओं से नोटा का बटन दबाने की अपील की जा रही है। नोटा का ये प्रचार ब्रह्म समागम संगठन कर रहा है।
हैरानी की बात तो ये है कि इसके लिए संगठन ने चुनाव आयोग से परमीशन भी ले रखी है। आयोग ने 6 प्रचार वाहनों की इजाजत दी है। अब इन प्रचार वाहनों से नोटा का प्रचार किया जा रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण है एट्रोसिटी एक्ट और आरक्षण, क्योंकि किसी भी दल ने अपने घोषणा पत्र में एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन या आर्थिक आधार पर आरक्षण जैसे मुद्दे पर कोई भी घोषणा या वचन नही दिया है। जिसके चलते संगठन में राजनैतिक दलों के प्रति आक्रोश है।
सवर्ण आंदोलन के बाद प्रदेश भर में 'नोटा' की हवा है, सभी दल सबसे ज्यादा नोटा से डर रहे हैं। आरक्षण को लेकर गुस्से में नोटा को वोट देने की अपील की जा रही, अगर यही स्तिथि रही तो वोटों के बिखराव और 'नोटा' पर गिरने वाले वोट के बाद किसी एक पार्टी के खाते में स्पष्ट बहुमत आना भी मुश्किल हो सकता है। प्रदेश में पहले भी नोटा बड़ा उलटफेर कर चूका है, इसीलिए पार्टियों का डर भी जायज है।