मध्य प्रदेश चुनाव के पहले ही "टूट" सकती है ये पार्टी, कांग्रेस-बीजेपी की नाक में दम करने का था दावा

By राजेंद्र पाराशर | Published: October 31, 2018 12:51 PM2018-10-31T12:51:29+5:302018-10-31T12:54:25+5:30

सपाक्स द्वारा चुनावी तैयारी को लेकर पूरे प्रदेश में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया भी चल रही है। जिसके तहत सपाक्स के पदाधिकारी जिलों में जाकर प्रत्याशी चयन प्रक्रिया को अंजाम दे रहे हैं, मगर इस दौरान पहले जैसी भीड़ नजर नहीं आ रही है।

Madhya Pradesh Election 2018: Controversy in Sapax party | मध्य प्रदेश चुनाव के पहले ही "टूट" सकती है ये पार्टी, कांग्रेस-बीजेपी की नाक में दम करने का था दावा

सपाक्स पार्टी के झंडे के साथ स्‍थानीय नेता

सपाक्स पार्टी फिर विवादों में आ गई है। सपाक्स के संस्थापक अध्यक्ष ललित शास्त्री ने मामले को यह कहकर गर्मा दिया है कि हीरालाल त्रिवेदी को सपाक्स के संचालन संबंधी अधिकार नहीं है। वहीं इस मामले में सपाक्स द्वारा यह कहा जा रहा है कि ललित शास्त्री का अब संस्था से कोई लेना देना नहीं है।

एट्रोसिटी एक्ट के विरोध के बाद पार्टी बनी सपाक्स जिस तेजी से राजनीतिक क्षेत्र में उभरी थी, उसी तेजी से वह विवादों में भी घिर गई है। पार्टी बनते ही पहले जैसी भीड़ कार्यक्रमों में नजर नहीं आ रही, साथ ही उसके अपने भी उससे दूर होकर आरोप लगाने से नहीं चूक रहे हैं। पार्टी के संस्थापक सदस्य ललित शास्त्री ने हाल ही में आरोप लगाया कि हीरालाल त्रिवेदी को सपाक्स संचालन संबंधी अधिकार नहीं है, वे केवल संरक्षक सदस्य हैं।

शास्त्री ने यहां तक कह दिया कि पीएस परिहार को पदमुक्त कर दिया गया है। रीवा निवासी आशुवेन्द्र प्रताप सिंह और भोपाल के आशीष कुर्ल को संस्था का सहसंयोजक नियुक्त किया है। यदि संस्था के पंजीयन का राजनीतिक दल के गठन में दुरुपयोग किया तो एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

शास्त्री के इन बयानों को सपाक्स समाज ने सिरे से नकार दिया है। सपाक्स समाज के पदाधिकारियों को कहना है कि शास्त्री पहले ही इस संस्था को छोड़ चुके हैं। उनका संस्था से कोई लेना-देना नहीं है। सपाक्स का कहना है कि पार्टी बनकर उभरी सपाक्स को विवाद में लाने का काम शास्त्री कर रहे हैं।

बैठकों में नहीं पहुंच रहे लोग

सपाक्स द्वारा चुनावी तैयारी को लेकर पूरे प्रदेश में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया भी चल रही है। जिसके तहत सपाक्स के पदाधिकारी जिलों में जाकर प्रत्याशी चयन प्रक्रिया को अंजाम दे रहे हैं, मगर इस दौरान पहले जैसी भीड़ नजर नहीं आ रही है। हाल ही में सपाक्स के पदाधिकारी जब रतलाम जिले पहुंचे तो वहां पर मात्र डेढ़ दर्जन लोग ही पदाधिकारियों की बैठक में शामिल होने पहुंचे, इस पर सपाक्स के पदाधिकारी नाराज भी हुए, मगर वे करते भी क्या। जैसे-तैसे उन्होंने काम निपटाया और वापस चले आए। रतलाम जैसा नजारा कई स्थानों पर देखने को मिल रहा है।

त्रिवेदी का दावा बनाया महागठबंधन

सपाक्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने दावा किया है कि मध्यप्रदेश में हम ताकतवर विकल्प देने की स्थिति में हैं। प्रदेश के 21 संगठनों के महागठबंधन को लेकर सहमति जताई गई है। उन्होंने कहा कि एट्रोसिटी एक्ट में संशोधनों के खिलाफ और आर्थिक आधार पर आरक्षण देने जैसे मुद्दों पर ये सभी संगठन एकजुट हुए हैं। बैठक में आरक्षण विरोधी पार्टी, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, राष्ट्रीय समानता देशभक्त मोर्चा, राष्ट्रीय सवर्णदल, भारतीय पॉलिटिकल अलायंस, सवर्ण समाज, विश्व शक्ति पार्टी, संपूर्ण समाज पार्टी, राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी, विश्व शक्ति पार्टी के पदाधिकारी एवं जोगेंद्र सिंह भदौरिया शामिल थे।

Web Title: Madhya Pradesh Election 2018: Controversy in Sapax party

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