मजबूर पिता को सलामः बेटे को परीक्षा दिलाने साइकिल से 105 किमी दूर तय की, बयडीपुरा से धार तक पहुंंचने में लगे आठ घंटे

By शिवअनुराग पटैरया | Published: August 19, 2020 08:14 PM2020-08-19T20:14:16+5:302020-08-19T20:14:16+5:30

बयडीपुरा के शोभाराम ने अपने बेटे आशीष के साथ यह सफर इस लिए तय किया, क्योंकि वह अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहते हैं. बेटे का साल बरबाद न हो इसलिए शोभाराम अपने गांव बयडीपुरा से बेटे आशीष को साइकिल पर लेकर निकल लिए.

Madhya Pradesh bhopal Salute father get son test he traveled 105 km by bicycle took eight hours reach Dhar from Baidipura | मजबूर पिता को सलामः बेटे को परीक्षा दिलाने साइकिल से 105 किमी दूर तय की, बयडीपुरा से धार तक पहुंंचने में लगे आठ घंटे

दोनों बाप बेटे धार के स्टेडियम में खुले आसमान के नीचे ही सो गए. जहां आशीष ने रात भर पढ़ाई भी की.

Highlightsउन्होंने घर से ही तीन दिन के खाने का सामान भी साथ रख लिया. क्योंकि उन्हें बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए जिला मुख्यालय धार में रुकना था.दरअसल दसवीं की सप्लीमेंट्रील का परीक्षा केन्द्र धार में ही था.  शोभाराम को साइकिल बयडीपुरा से धार तक पहुंंचने में आठ घंटे लगे.बेटे को परीक्षा केन्द्र तक तय समय से पंद्रह मिनट पहले ही पहुंचा दिया. अगले दिन फिर आशीष की परीक्षा थी.

भोपालः मध्य प्रदेश के धार जिले के एक मजदूर और मजबूर पिता ने अपने बेटे को दसवीं की परीक्षा दिलाने के लिए साइकिल से 105 किलोमीटर का सफर तय किया क्योंकि कोरोना के कारण बसें बंद हैं.

इसके चलते बयडीपुरा के शोभाराम ने अपने बेटे आशीष के साथ यह सफर इस लिए तय किया, क्योंकि वह अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहते हैं. बेटे का साल बरबाद न हो इसलिए शोभाराम अपने गांव बयडीपुरा से बेटे आशीष को साइकिल पर लेकर निकल लिए.

उन्होंने घर से ही तीन दिन के खाने का सामान भी साथ रख लिया. क्योंकि उन्हें बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए जिला मुख्यालय धार में रुकना था. दरअसल दसवीं की सप्लीमेंट्रील का परीक्षा केन्द्र धार में ही था.  शोभाराम को साइकिल बयडीपुरा से धार तक पहुंंचने में आठ घंटे लगे.

उन्होंने बेटे को परीक्षा केन्द्र तक तय समय से पंद्रह मिनट पहले ही पहुंचा दिया. अगले दिन फिर आशीष की परीक्षा थी. लिहाजा दोनों बाप बेटे धार के स्टेडियम में खुले आसमान के नीचे ही सो गए. जहां आशीष ने रात भर पढ़ाई भी की. अगले दिन परीक्षा देकर आशीष अपने पिता के साथ गांव लौट गया. शोभाराम की इस साहसिक साइकिल यात्रा की अब सब जगह तारीफ हो रही है.



प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि मैं बेटे आशीष के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ. मैं सरकार से माँग करता हूँ कि इस घटना से सबक लेते हुए प्रदेश में रुक जाना नहीं योजना के तहत जिन बच्चों को आगामी समय में परीक्षाओं में भाग लेना है, उनके लिये तत्काल नि:शुल्क बस सुविधा की व्यवस्था सुनिश्चित की जावे ताकि किसी अन्य परीक्षार्थी व उनके परिजनो को ऐसी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.

शोभाराम नाम के इस व्यक्ति ने अपने बेटे की परीक्षा तिथि से एक दिन पहले सोमवार को करीब तीन-चार दिन के खाने-पीने के सामग्री के साथ सफर शुरू किया और रात में बीच में एक जगह पर कुछ समय के लिए विश्राम किया. सही वक्त पर मंगलवार सुबह धार शहर में स्थित भोज कन्या विद्यालय में बने परीक्षा केन्द्र पर अपने बेटे को परीक्षा देने के लिए पहुंचा दिया.

इस व्यक्ति के पास अपने बच्चे को परीक्षा केन्द्र ले जाने के लिए साइकिल के अलावा कोई अन्य साधन नहीं था और पैसे की तंगी के कारण न ही वह टैक्सी या अन्य कोई साधन अपने बेटे को मुहैया करवा सकता था. माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 2020 परीक्षा में अनुत्तीर्ण विद्यार्थी के लिये 'रुक जाना नहीं योजना’ लागू की गई है. इस योजना में अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को पुन: परीक्षा देने का अवसर दिया गया है और और पूरक परीक्षा का केन्द्र पूरे जिले में केवल धार ही बनाया गया है. 

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