MP चुनावः तीन 'हीरा' से बंट गए तीन दल, लेकिन टिकट वितरण के साथ हुए कमजोर

By राजेंद्र पाराशर | Published: November 6, 2018 07:22 AM2018-11-06T07:22:07+5:302018-11-06T07:22:07+5:30

राज्य में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ सवर्ण समाज का नेतृत्व करते हुए सपाक्स और आदिवासी नेतृत्व के साथ जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) उभरा था और अपनी ताकत दिखाई थी, इन दोनों दलों की ताकत को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस की चिंता बढ़ गई थी।

madhya pradesh assembly election: bjp congress tension raised local parties | MP चुनावः तीन 'हीरा' से बंट गए तीन दल, लेकिन टिकट वितरण के साथ हुए कमजोर

MP चुनावः तीन 'हीरा' से बंट गए तीन दल, लेकिन टिकट वितरण के साथ हुए कमजोर

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में राज्य में तीन ‘हीरा’ के कारण तीन दल सपाक्स, जयस और गोंगपा बंट गए हैं। तीनों दलों ने जिस तेजी से भाजपा और कांग्रेस को अपने शक्ति प्रदर्शन कर चिंता में डाला था, अब तीनों दलों के नेता आपस में बंटते नजर आ रहे हैं। तीनों दलों में कार्यकर्ता बंट गए हैं। इन दलों को बांटने में कांग्रेस और भाजपा की चिंता भी कुछ कम होती नजर आ रही है।

भाजपा कांग्रेस की चिंता बढ़ी

राज्य में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ सवर्ण समाज का नेतृत्व करते हुए सपाक्स और आदिवासी नेतृत्व के साथ जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) उभरा था और अपनी ताकत दिखाई थी, इन दोनों दलों की ताकत को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस की चिंता बढ़ गई थी। एट्रोसिटी एक्ट के विरोध के बाद सपाक्स को मिले समर्थन के चलते सबसे ज्यादा चिंतित भाजपा थी, भाजपा नेताओं को इसका खासा विरोध भी झेलना पड़ा था। कांग्रेस नेता भी इस विरोध के शिकार हुए थे, मगर भाजपा नेताओं की अपेक्षा कम। वहीं मालवा निमाड़ में आदिवासी संगठन की ताकत ने भी भाजपा, कांग्रेस को चिंतित किया था। 

भाजपा ढूंढ रही स्पॉक्स सा तोड़

भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संगठन के संरक्षक डॉ. हीरा अलावा को मुख्यमंत्री निवास बुलाकर चर्चा भी की थी, मगर बात नहीं बनी थी। इसके बाद डॉ अलावा ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया था। देखते-देखते जयस का खासा प्रभाव मालवा में दिखा, इसके बाद जयस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिलकर विंध्य और महाकौशल के जिलों में अधिकार यात्रा निकालकर लोगों के बीच पैठ जमाई। इस यात्रा ने डॉ. अलावा को जमीन को मजबूत किया था। भाजपा जहां सपाक्स की ताकत को देख इसका तोड़ ढूंढ रही थी, वहीं कांग्रेस को आदिवासी वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की चिंता जयस को लेकर सता रही थी। कांग्रेस ने इस मामले में व्यापमं का खुलासा करने वाले डा। आनंद राय के माध्यम से जयस को अपने पाले में लाने का प्रयास किया,जिसमें वह सफल हो गई। कांग्रेस की यह सफलता जयस के लिए मुसीबत बन गई।

सपाक्स को नहीं मिल रहे दमदार प्रत्याशी

सपाक्स संगठन के बाद सपाक्स पार्टी को लेकर संस्थापक सदस्य ललित शास्त्री ने जिस तरह से मुद्दा उठाया और सपाक्स के राजनीतिक दल बनने को लेकर सवाल खड़े किए इसके बाद सपाक्स के अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी मुसीबत में आ गए। हीरालाल त्रिवेदी ने सेवानिवृत्त अधिकारियों को जोड़ा और फिर राजनीतिक दल बनने के लिए दिल्ली तक प्रयास किए, मगर सारे प्रयास असफल रहे। शास्त्री का चुनाव आयोग को लिखा पत्र ऐसा रामबाण बना की सपाक्स को राजनीति पार्टी की पहचान नहीं मिली। अब सपाक्स ने संपूर्ण समाज पार्टी से गठबंधन कर अंगूठी चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में उतरने का फैसला लिया।सपाक्स ने 32 प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है, मगर सपाक्स संगठन के दो फाड़ होने के चलते कही भी दमदार प्रत्याशी नजर नहीं आ रहा है, वहीं सोशल मीडिया पर जो जोश एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में सवर्ण समाज द्वारा सपाक्स संगठन के समर्थन में दिखाई दे रहा था, वह अब कमजोर हो गया है। सपाक्स संगठन दो भागों में बंट कर रह गया है।

डॉ. अलावा को कांग्रेस ने दिया टिकट, बंट गया जयस

जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) के राष्ट्रीय संरक्षक डा। हीरा अलावा को कांग्रेस ने मनावर से टिकट दिया है। वे कांग्रेस के प्रत्याशी हैं, इसके अलावा रतलाम ग्रामीण से लक्ष्मण सिंह डिंडोर भी जयस के पदाधिकारी है। वहीं डॉ. अलावा ने इंदौर क्रमांक 5 विधानसभा क्षेत्र से डा। आनंद राय को टिकट भी जयस के कोटे में कांग्रेस से मांगा है। वैसे डा। राय सपाक्स से भी जुड़े हैं। डॉ. अलावा को कांग्रेस का टिकट मिलते ही जयस संगठन का विरोध झेलना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर उनका जमकर विरोध हो रहा है, साथ ही धार, कुक्षी सहित जयस के प्रभाव वाले जिलों में उनके पुतले भी फूंके जा रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी बनने की बात सामने आते ही जयस के पदाधिकारी दो गुटों में बंट गए हैं, कुछ ने अब भी निर्दलीय रुप में जयस के प्रत्याशी मैदान में उतारने की बात कही है, तो कुछ डा। अलावा का समर्थन कर रहे हैं, मगर डॉ. अलावा मौन हैं।

अलग-अलग पदाधिकारी बांट रहे गोंगपा के टिकट

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी महाकौशल और विंध्य में अपना प्रभाव दिखाकर कांग्रेस से गठबंधन का प्रयास कर रही थी, मगर यह गठबंधन नहीं हुआ। इसके बाद गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच तालमेल जमा और दोनों ने गठबंधन के साथ मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ में चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया। इस फैसले से गोंगपा का एक वर्ग खफा नजर आया। यह वह वर्ग था जिसकी आस्था भाजपा से जुड़ी रही और गोंगपा के तीन भाग बीते सालों में हो गए थे, मगर कमजोर होती गोंगपा को हीरासिंह मरकार ने सभी को एक किया और फिर वे भाजपा और कांग्रेस के चिंता का कारण बनते नजर आए।

भाजपा की ओर बढ़ा आकर्षण

गोंगपा से दूर हुए पदाधिकारी बंटे और भाजपा की ओर आकर्षित होकर टिकट वितरण का काम तेज कर दिया। इसका दल में ही विरोध हुआ तो हीरासिंह मरकाम ने महाकौशल और विंध्य की जिम्मेदारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हरताप सिंह तिलगाम और उपाध्यक्ष दरबूसिंह उइके को सौंपी। इस बीच जयस में सेंधमारी कर गोंगपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी गुलजार सिंह मरकाम ने अरविंद मुजाल्दा को गोंगपा का टिकट दे दिया। इससे खफा राष्ट्रीय महामंत्री बलवीर सिंह तोमर हुए। उन्होंने दादा हीरासिंह मरकाम को शिकायत की तो मरकाम ने पार्टी में कार्य विभाजन कर मालवा की कमान राष्ट्रीय महामंत्री को सौंप दी, और पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे एक-दूसरे के काम और क्षेत्र में हस्तक्षेप न करें। अब बलवीर सिंह ने पूर्व में घोषित मुजाल्दा का टिकट काट दिया है। नामांकन प्रक्रिया चल ही रही है और गोंगपा पदाधिकारियों के बीच अधिकारों को लेकर जमकर घमासान मचा हुआ है।

Web Title: madhya pradesh assembly election: bjp congress tension raised local parties

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