कोविड-19ः निराशा के अंधेरों में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र अपनी तूलिका से उम्मीद की किरण पैदा कर रहे हैं

By भाषा | Published: April 30, 2020 09:11 PM2020-04-30T21:11:51+5:302020-04-30T21:11:51+5:30

विद्यार्थी अपनी गहरी सोच और परिकल्पना को कैनवास पर उतारकर लोगों को कोविड-19 संक्रमण से लड़ने की उम्मीद दे रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र अपनी तूलिका से उम्मीद की किरण पैदा कर रहे हैं।

Lucknow University students are creating new hope from their art in the dark | कोविड-19ः निराशा के अंधेरों में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र अपनी तूलिका से उम्मीद की किरण पैदा कर रहे हैं

मौजूदा महामारी को देखते हुए अपने विचारों को कागज पर नयी सोच से भरी पेंटिंग्स के रूप में उतारा। (Photo-social media)

Highlightsकलाकृतियां एक उम्मीद को जाहिर करने के साथ-साथ कोविड-19 संक्रमण से लड़ने के तरीकों के बारे में संदेश भी दे रही हैं।इन कलाकृतियों को इस साल आयोजित होने वाले विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के दौरान एक अभियान में इस्तेमाल किया जाएगा।

लखनऊ: कोरोना संक्रमण महामारी के कारण घोषित लॉकडाउन में तरह-तरह की आशंकाओं को लेकर उपज रही निराशा के अंधेरों में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र अपनी तूलिका से उम्मीद की किरण पैदा कर रहे हैं। ये विद्यार्थी अपनी गहरी सोच और परिकल्पना को कैनवास पर उतारकर लोगों को कोविड-19 संक्रमण से लड़ने की उम्मीद दे रहे हैं।

लखनऊ विश्वविद्यालय के सांस्कृतिकी विभाग के निदेशक प्रोफेसर राकेश चन्द्रा ने बृहस्पतिवार को 'पीटीआई—भाषा' को बताया कि विभाग की तरफ से आमंत्रण मिलने के कुछ ही दिनों के अंदर अनेक छात्रों ने मौजूदा महामारी को देखते हुए अपने विचारों को कागज पर नयी सोच से भरी पेंटिंग्स के रूप में उतारा।

ये कलाकृतियां एक उम्मीद को जाहिर करने के साथ-साथ कोविड-19 संक्रमण से लड़ने के तरीकों के बारे में संदेश भी दे रही हैं। उन्होंने बताया कि इन कलाकृतियों को इस साल आयोजित होने वाले विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के दौरान एक अभियान में इस्तेमाल किया जाएगा। प्रोफेसर चन्द्रा ने कहा, ‘‘ये पोस्टर और पेंटिंग्स हमारे उन छात्रों के दिल में बसी असीम उम्मीदों को जाहिर करते हैं जो लॉकडाउन के कारण प्रदेश में जगह-जगह फंसे हुए हैं।

’’ उन्होंने बताया कि चूंकि लॉकडाउन के कारण लोगों की आवाजाही बंद है, इसलिये सांस्कृतिकी विभाग इन कलाकृतियों का एक विशेष वीडियो बनवाकर उसे यूट्यूब पर साझा करेगा। छात्रों की रचनात्मकता के बारे में चन्द्रा ने बताया कि इन विद्यार्थियों ने अपनी नयी और गहरी सोच को बेहद रचनाशीलता से कैनवास पर उतारा है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ छात्रों की पेंटिंग तो बेहद दिलचस्प थीं। उनमें से एक कलाकृति तो माइकल एंजेलो की 'द क्रियेशन आफ एडम' की नये तरीके की व्याख्या है।

इसमें मास्क पहने ईश्वर को एडम को सैनेटाइजर की बोतल देते हुए दिखाया गया है। इसी तरह की एक और पेंटिंग में बोधिसत्व को हाथ में सैनेटाइजर लिये दिखाया गया है।’’ छात्रों को इस तरीके से अपनी रचनात्मकता दिखाने का न्यौता देने की वजह के बारे में प्रोफेसर चन्द्रा ने बताया कि यह उम्मीद जगाने और उन्हें इस मुश्किल वक्त में कुदरत और अच्छी चीजों के बारे में सकारात्मक ढंग से सोचने के लिये प्रोत्साहित करने की कवायद थी।

उन्होंने बताया कि आश्चर्यजनक रूप से इसमें कला वर्ग से इतर छात्रों ने भी अपनी भावनाओं को कैनवास पर उतारा। यह न सिर्फ रचनाएं हैं बल्कि बेहतरीन विचार भी हैं, जो यह बताता है कि इस मुश्किल वक्त में हमारे नौजवानों की सोच कैसी है। ये पोस्टर देखने के बाद मुझे विश्वास हो गया है कि कोई भी मुश्किल इन नौजवानों को झुका नहीं सकती।

पेंटिंग्स तैयार करने वाले छात्रों से व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिये समन्वय स्थापित करने वाले ललित कला विभाग केशिक्षक राजन फुलारी ने बताया कि छात्रों से उन पेंटिंग्स की सॉफ्ट कॉपी मांगी गयी थीं, जिनके जरिये इस मुश्किल वक्त में एक उम्मीद मिल सके और सााथ ही कोविड-19 महामारी के इस दौर में सामाजिक दूरी का संदेश भी जाए।

Web Title: Lucknow University students are creating new hope from their art in the dark

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