छोटी सी उम्र में घर-बार छोड़ साध्वी बनीं जयाकिशोरी, सुनने के लिए उमड़ती है लाखों की भीड़
By राहुल मिश्रा | Published: May 12, 2018 12:10 PM2018-05-12T12:10:56+5:302018-05-12T12:16:13+5:30
जया किशोरी ने 9 साल की उम्र में ही संस्कृत में लिंगाष्टकम्, शिव-तांडव स्तोत्रम्, रामाष्टकम् आदि कई स्तोत्रों के भजनों को गाना शुरू कर दिया था।
राजस्थान के चुरू की रहने वालीं जया किशोरी का नाम आज किसी परिचय का मोहताज़ नहीं हैं। चुरू के सुजानगढ़ गॉव के एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में जन्मी जया किशोरी भगवान कृष्ण की भक्त हैं। इनके गुरु बचपन में उन्हें राधा कहकर बुलाते थे। कृष्ण भक्ति, कथा वाचन और नरसी का भात जैसे कार्यक्रमों के जरिए इन्होंने महज 21 वर्ष की आयु में अपनी लम्बी फॉलोअर लाइन बना ली है।
जया किशोरी ने 9 साल की उम्र में ही संस्कृत में लिंगाष्टकम्, शिव-तांडव स्तोत्रम्, रामाष्टकम् आदि कई स्तोत्रों के भजनों को गाना शुरू कर दिया था।
जया कई इंटरव्यू में बताती हैं कि दादाजी और दादीजी के साथ रहने और घर में भक्ति का माहौल होने की वजह से बचपन में ही केवल 6 साल की कम उम्र में ही भगवान कृष्ण के लिए उनके मन में प्रेम जागृत हो गया।
एक साल बाद ही 10 साल की छोटी आयु में जया ने सुन्दरकाण्ड गाकर लाखों भक्तों के मन में अपनी जगह बना ली थी। जया किशोरी ने कोलकाता के महादेवी बिरला सेकंडरी हाईस्कूल से 12वीं पास की है।
हाल ही में जया किशोरी का यू ट्युब पर एक भजन (गाड़ी में बैठा ले बाबा) भी आया था, जिसे अब तक करीब 40 लाख से अधिक लोगों द्वारा देखा जा चुका है। इसके साथ ही उनके फेसबुक पेज पर 3 लाख से ज्यादा फ़ॉलोवर्स हैं।