लोकमत की सुरमई शाम, मैथिली ठाकुर और लिडियन नादस्वरम को मिला 'सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार'
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 23, 2021 21:20 IST2021-12-23T21:20:11+5:302021-12-23T21:20:11+5:30
लोकमत सखी मंच की संस्थापक और संगीतसाधक ज्योत्सना दर्डा की स्मृति में लोकमत पत्र समूह द्वारा हर साल सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार का वितरण किया जाता है।

मैथिली ठाकुर और लिडियन नादस्वरम को मिला 'सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार'
नई दिल्ली: भारतीय संगीत प्रेमियों पर अपना जादू चलाने वाली मैथिली ठाकुर और लिडियन नादस्वरम को गुरुवार शाम आयोजित लोकमत के विशेष कार्यक्रम में 'सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार-2021' से नवाजा गया।
इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने दोनों प्रतिभावान और युवा कलाकारों को सम्मानित किया। दिल्ली के मंडी हाउस के कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में यह सम्मान समारोह आयोजित हुआ। इस सम्मान समारोह का यह आठवां वर्ष है।
लोकमत सखी मंच की संस्थापक और संगीतसाधक ज्योत्सना दर्डा की स्मृति में लोकमत पत्र समूह द्वारा हर साल सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार का वितरण किया जाता है। देश के संगीत क्षेत्र के प्रतिभाशाली कलाकारों का पता लगाकर उन्हें प्रोत्साहित करना ही इस पुरस्कार का मूल उद्येश्य है।
दोनों युवा कलाकारों के कायल हैं अनुराग ठाकुर
अनुराग ठाकुर ने मैथिली ठाकुर और लिडियन नादस्वरम को सम्मान देने के बाद कहा कि दोनों युवा हुनर के कारण इतिहास रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे लिडियन नादस्वरम की प्रतिभा के कायल हैं। मैथिली ठाकुर की गयिकी की तारीफ करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी आवाज में जादू है।
केंद्रीय मंत्री ने साथ ही कहा कि संगीत के आगे राजनीति की भला कौन सुनता है। उन्होंने कहा कि कलाकारों को दिल से प्यार और शुभकामनाएं भेजने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने भले ही सबकुछ प्रभावित किया पर सुर-संगीत को कभी नहीं रोक सका।
इन महारथियों ने किया विजेता का चयन
पद्मश्री आनंदजी वीरजी शाह (कल्याणजी-आनंदजी), पद्मश्री पंकज उदास, मशहूर गायक रूपकुमार राठोड़ और गायिका सोनाली राठोड़, शशि व्यासजी, गौरी यादवडकर, लोकमत समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन पूर्व सांसद विजय दर्डा ने इस बार के सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार के विजेताओं का चयन किया है।
बिहार से निकलकर दुनिया भर में छा गईं मैथिली ठाकुर
मैथिली का जन्म प्रसिद्ध संगीतकार रमेश और भारती ठाकुर दंपत्ति के घर 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपत्ती में हुआ। उन्हें संगीत की विरासत घर से ही मिली है। उनके दोनों छोटे भाई रिशव और अयाची गायन और तबलावादन में आगे जा रहे हैं। मैथिली को संगीत की प्राथमिक शिक्षा पिता से मिली। संगीत के प्रति उनकी रूचि को देखते हुए पिता आगे की शिक्षा के लिए उन्हें नई दिल्ली स्थित द्वारका नगर में लाए। उन्होंने पिता से ही शास्त्रीय संगीत, संवादिनी, तबला इन विद्याओं में प्रवीणता हासिल की। है।
साल 2011 में जीटीवी के सारेगमप लिटिल चैम्प रिएलिटी शो के जरिए टेलीविजन पर पदार्पण किया। चार साल बाद वह फिर से सोनी टीवी के इंडियन आइडल जूनियर में शामिल हुईं लेकिन उन्हें पहचान मिली राइजिंद स्टार रिएलिटी शो से। इस शो में वह उपविजेता रहीं। इसमें पेश किया बेहद दमदार 'ओम नम: शिवाय' गीत और सुमधुर स्वरों से संगीत प्रेमियों की वह चहेती बन गईं। वह तमिल, तेलुगू, भोजपुरी, मराठी और हिंदी भाषा में गाती हैं। बॉलीवुड सॉन्ग्स के साथ ही वह पारंपरिक लोकसंगीत भी प्रस्तुत करती हैं।
2015 में मैथिली ने भारतीय संगीत प्रतियोगिता 'गाय जीनियस यंग सिंगिंग स्टार' जीता। उनका म्यूजिक एल्बम 'या रब्बा' भी रिलीज हो चुका है। निर्वाचन आयोग ने उन्हें और उनके दो भाइयों को 2019 में मधुबनी जिले का ब्रांड एंबेसडर घोषित किया था। मैथिली केवल 20 वर्ष की है और संगीत के क्षेत्र में अपने उल्लेखनीय काम के लिए पूरी दुनिया में पहचानी जाती हैं।
दो साल की उम्र से दिखने लगी थी लिडियन नादस्वरम की प्रतिभा
लिडियन का जन्म सतीश और झांसी दंपत्ति के घर 6 सितंबर, 2005 को चेन्नई के तमिलनाडु में हुआ। लिडियन उनकी दूसरी संतान हैं। उन्होंने दो साल की उम्र में ड्रम बजाना शुरू कर दिया था और आठ साल की उम्र में वे पियानोवादक के रूप में सीखाना शुरू कर चुके थे। वह सेंचुरी ओल्ड मद्रास म्यूजिकल एसोसिएशन के संगीत निर्देशक ऑगस्टिन पॉल के शिष्य हैं। उन्होंने 2019 में 'द सीबीएस वर्ल्ड्स बेस्ट' स्पर्धा सीज़न वन में 185 देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसमें वह विजेता रहे। वह स्पैनिश टीवी शो 'द एलेन डीगेनेरेस शो और सिएम्पर निनोज' में शामिल होने वाले वह पहले भारतीय संगीतकार बने।
साल 2013 में लिडियन को 'यंगेस्ट बेस्ट ड्रमर इन इंडिया' पुरस्कार मिला। उन्होंने ए.आर रहमान के एम. म्युजिक कंडर्वेटरी, चेन्नई में डॉ. सुरोजीत चटर्जी से दो साल तक रूशियन पियानो मेथड का प्रशिक्षण लिया। वह डॉ. ऑगस्टाइन पॉल के मार्गदर्शन में लंदन स्थित ट्रिनिटी कॉलेज में पियानो की 8 ग्रेड परीक्ष उत्तीर्ण की है। लिडियन ने ऐतिहासिक 3डी फिल्म 'बारोज दी डी-गमाज ट्रेजर' के लिए संगीत तैयार किया है। फिल्म में एक प्रसिद्ध अभिनेता मोहनलाल हैं और कहानी जिजो पुन्नुसे की है।
लिडियन ने बाल प्रधान फिल्म 'अटकन चटकन' में मुख्य अभिनेता के रूप में बॉलीवुड में अभिनय की शुरुआत की।इस फिल्म का लेखन और निर्देशन शिव हरे ने किया है और डॉ. ए. आर. रहमान इसके निर्माता हैं। यह फिल्म जी-5 पर 2020 में प्रदर्शित हुई। इस फिल्म में भूमिका के लिए लिडियन को साउथ लंदन फिल्म फेस्टिवल और जयपुर फिल्म फेस्टिवल में उत्कृष्ट अभिनेता के रूप में पुरस्कृत किया गया है। वह 20 से अधिक संगीत वाद्य बजाने में पारंगत हैं।