घुसपैठियों को घबराने की जरूरत, शरणार्थियों को नहींः पीयूष गोयल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 10, 2019 17:20 IST2019-12-10T17:20:24+5:302019-12-10T17:20:24+5:30
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा ने कहा कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को अधिकार नहीं मिला, क्या हमें उनकी चिंता नहीं करना चाहिए? गोयल ने कहा, अदनान सामी के साथ पाक अत्याचार कर रहा था, भारत ने नागरिकता दी।

देश में एनआरसी आकर रहेगा और जब एनआरसी आयेगा तब देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पायेगा।
लोकमत पार्लियामेंट्री अवॉर्ड-2019 में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बात रखी। गोयल भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका पर कहा कि छोटे दल देश के लिए सही नहीं।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा ने कहा कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को अधिकार नहीं मिला, क्या हमें उनकी चिंता नहीं करना चाहिए? गोयल ने कहा, अदनान सामी के साथ पाक अत्याचार कर रहा था, भारत ने नागरिकता दी।
एक सवाल पर कि पूर्वोत्तर के गैर भारतीय कहां जाएंगे? इस पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, एनआरसी सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में हुआ है, जो फैसला कोर्ट करेगी, हम उसे फॉलो करेंगे। हम जब एनआरसी लाएंगे, तो सभी को मौका देंगे।एक के साथ भी अन्याय नहीं होगा, घुसपैठिए को नहीं रहने देंगे। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, घुसपैठियों को घबराने की जरूरत, शरणार्थियों को नहीं। गोयल ने कहा, जो सिटीजन के हकदार हैं, उन्हें जरूर मिलेगी, जो इस देश में रहने के हकदार नहीं वो भारत में नहीं रह पाएंगे।
गोयल ने कहा कि जब तक नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, जब तक भारत सरकार का धर्म संविधान ही है और देश में किसी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों को यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है जो लोग भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी। देश में एनआरसी आकर रहेगा और जब एनआरसी आयेगा तब देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पायेगा।
उन्होंने कहा कि किसी भी रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जायेगा। विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वास्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव वाला नहीं है। तीन देशों के अंदर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है जो घुसपैठिये नहीं, शरणार्थी हैं। उन्होंने अपनी बात दोहराई कि अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
उन्होंने बताया कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी। बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गयी। भारत में 1951 में 84 प्रतिशत हिंदू थे जो 2011 में कम होकर 79 फीसदी रह गये, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 प्रतिशत थे जो 2011 में 14.8 प्रतिशत हो गये। उन्होंने कहा कि इसलिये यह कहना गलत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है।