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Lok Sabha Elections 2024: महाभारत के 'कृष्ण' ने जमशेदपुर में पहली बार खिलाया 'कमल', जानें संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास

By एस पी सिन्हा | Updated: March 10, 2024 13:13 IST

1952 में देश के लिए हुए पहले लोकसभा निर्वाचन में यह सीट अस्तित्व में नहीं थी। 1957 में यहां सांसद चुनने के लिए पहली बार मतदान हुआ।

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Lok Sabha Elections 2024: जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र झारखंड के महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। जमशेदपुर का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। यह सीट झारखंड की वीवीआईपी सीटों में गिनी जाती है। इस सीट से डॉ. उदय शंकर मिश्रा, रुद्र प्रताप षाड़ंगी और अर्जुन मुंडा सहित तमाम दिग्गज नेता सांसद रह चुके हैं। इस सीट की खास बात यह है कि यहां से महाभारत के 'कृष्ण' अभिनेता नितीश भारद्वाज भी भाजपा की टिकट पर लोकसभा पहुंच चुके हैं। नीतीश भारद्वाज ने 1996 में इस सीट से चुनाव जीता था। उस वक्त उनकी उम्र महज 34 वर्ष थी। इस तरह से वह इस सीट से सबसे कम उम्र के सांसद भी बने।

नीतीश भारद्वाज ने ही इस सीट पर भाजपा का खाता खोला था। इसके बाद 1998 और 1999 में आभा महतो ने कमल खिलाया। 2004 में झामुमो के सुनील महतो ने सीट छीन ली। हालांकि, अगले ही चुनाव यानी 2009 में अर्जुन मुंडा ने भाजपा की वापसी कराई।

2014 से इस सीट से भाजपा के विद्युत बरण महतो सांसद हैं। 2019 में बिद्युत बरन महतो को 6,79,632 वोट मिले थे। उनके बाद झामुमो के चंपई सोरेन को 3,77,542 लोगों ने वोट किया था। जबकि टीएमसी के अंजना महतो को सिर्फ 9,542 वोट मिले थे। बता दें कि चंपई सोरेन इस वक्त झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। इस इलाके की कुल जनसंख्या 22,93,919 जिसमे 44.44 फीसदी ग्रामीण और 55.56 फीसदी शहरी जनता है।

4.86 फीसदी अनुसूचित जाति और 28.51 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनता मिलाकर यहां पर का निर्वाचक एक बड़ा मजदूर वर्ग है। इस लोकसभा सीट पर स्ट्राइक रेट देखा जाए 2004 से इस सीट पर भाजपा का प्रतिशत जन मुक्ति मोर्चा के अपेक्षा ज्यादा है। जमशेदपुर लोकसभा सीट की बात करें तो इस संसदीय क्षेत्र में कुल 6 विधानसभाएं (बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका,जुगसलाई, जमशेदपुर पूर्व और जमशेदपुर पश्चिम) आती हैं। इनमें से घाटशिला और पोटका अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट हैं, तो वहीं जुगसलाई विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस विधानसभा सीट पर 2005 से भाजपा का परचम लहरा रहा है, तो कांग्रेस को 1984 के बाद कभी जीत हासिल नहीं हुई है।

झारखंड के सबसे मुख्य शहरों में इसका नाम सबसे आगे लिया जाता है। इस शहर का दूसरा नाम टाटानगर भी है क्योंकि जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने इसकी स्थापना की थी। 1907 में टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनी (टिस्को) की स्थापना से इस शहर की बुनियाद पड़ी।

जमशेदपुर आज भी भारत के सबसे प्रगतिशील औद्योगिक नगरों में से एक है। यहां टाटा घराने की कई कंपनियों के उत्पादन इकाई जैसे टिस्को, टाटा मोटर्स, टिस्कॉन, टेम्पलेट, टिमकन, ट्यूब डिवीजन, इत्यादि कार्यरत हैं। इसे हाल में ही इंटरनेशनल क्‍लीन सिटी' के अवार्ड से नवाजा गया है। 1952 में देश के लिए हुए पहले लोकसभा निर्वाचन में यह सीट अस्तित्व में नहीं थी। 1957 में यहां सांसद चुनने के लिए पहली बार मतदान हुआ। इस औद्योगिक नगर की स्थापना को पारसी व्यवसायी जमशेदजी नसरवान जी टाटा के नाम से जाना जाता है। खड़कई और स्वर्णरेखा नदियों से घिरे इस इलाके में खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।

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