Lok Sabha Elections 2024: पश्चिमी यूपी के 1500 गांव में जाएंगे जयंत चौधरी, बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती, आरएलडी दस सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में
By राजेंद्र कुमार | Updated: June 30, 2023 18:37 IST2023-06-30T18:36:10+5:302023-06-30T18:37:29+5:30
Lok Sabha Elections 2024: राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के मुखिया जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी के 1500 गांवों तक पहुंचने का संकल्प लेकर समरसता अभियान पर निकले हुए हैं. 140 गांवों तक पहुँच चुका है.

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Lok Sabha Elections 2024: राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के मुखिया जयंत चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक पकड़ को पहले से ज्यादा मजबूत करने में जुटे हुए हैं. वह पश्चिमी यूपी के सभी इलाकों में जाकर मुस्लिम, दलित, गुर्जर समेत अन्य जाति के लोगों को साधने में लगे हुए हैं.
इसके लिए जयंत पश्चिमी यूपी के 1500 गांवों तक पहुंचने का संकल्प लेकर समरसता अभियान पर निकले हुए हैं. उनका यह अभियान अब तक पश्चिमी यूपी के 140 गांवों तक पहुँच चुका है और जयंत की कोशिश पश्चिमी यूपी के सभी गांवों तक पहुँचने की है. यूपी के राजनीतिक जानकारों का कहना है की जयंत का यह दांव आरएलडी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
भाजपा को सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना पश्चिमी यूपी में करना पड़ा
जयंत के इस प्रयास से पश्चिमी यूपी में पहले से ही कमजोर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मुश्किलों में इजाफा होगा. वास्तव में पश्चिमी यूपी में भाजपा की कमजोर नस है. चुनाव के आंकड़े में यह साबित करते हैं. वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना पश्चिमी यूपी में करना पड़ा है.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी में जिन 16 संसदीय सीटों पर मात खानी पड़ी थी, उनमें से सात सीटें पश्चिमी यूपी की रही थी. इसी प्रकार वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर से लेकर बिजनौर, मेरठ, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बरेली सहित पश्चिमी यूपी के तमाम जिलों में भाजपा के तमाम प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था.
गांव-गांव जाकर मुस्लिम, दलित, गुर्जर, यादव और अन्य जाति पर फोकस
समूचा पश्चिमी यूपी मुस्लिम और जाट बहुल है. यहां के अधिकांश लोग खेती किसानी से जुड़े हैं, जो मोदी सरकार की नीतियों के कारण उनके खफा हैं. ऐसे में जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी में आरएलडी के आधार वोट बढ़ाने पर फोकस करते हुए गांव-गांव पहुंच रहे हैं. इसके लिए वह सामाजिक समरसता अभियान चला रहे हैं, जिसके तहत गैर-जाट समाज वाले खासकर मुस्लिम समुदाय के गांव को फोकस किया गया है.
इस अभियान के तहत आरएलडी गांव-गांव जाकर मुस्लिम, दलित, गुर्जर, यादव और अन्य जाति के लोगों के साथ संवाद कर सियासी समीकरण मजबूत करने में जुट गई है. जयंत चौधरी के दादा चौधरी चरण सिंह और जयंत के पिता चौधरी अजित सिंह भी जाट, मुस्लिम, दलित, गुर्जर, यादव और अन्य जाति के लोगों को अपने साथ जोड़ने के फॉर्मूले पर चलते हुए ही पश्चिमी यूपी में कभी किंग तो कभी किंगमेकर बनते रहे हैं. परंतु अखिलेश सरकार के समय मुजफ्फरनगर में हुए दंगे ने जाट और मुस्लिमों को दूर कर दिया था.
इसका खामियाजा सबसे ज्यादा आरएलडी को उठाना पड़ा. जयंत जानते हैं कि जाट समुदाय भले ही यूपी में 2 से 3 फीसदी के बीच हों, लेकिन पश्चिमी यूपी में 20 से 25 फीसदी है. ऐसे ही मुस्लिम यूपी में 20 फीसदी हैं, लेकिन पश्चिमी यूपी में 30 से 40 फीसदी तक हैं.
पश्चिमी यूपी के 17 जिलों में जाट-मुस्लिम एक साथ होकर किसी भी राजनीतिक दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. इसलिए अब जयंत चौधरी फिर जाट, मुस्लिम, दलित, गुर्जर, यादव और अन्य जातियों को अपने साथ जोड़ने के प्रयास में जुट गए हैं.
आरएलडी दस सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में:
आरएलडी नेताओं का कहना है कि अगले लोकसभा चुनावों को लेकर जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी की एक दर्जन संसदीय सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इसके तहत आरएलडी बागपत, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मथुरा, कैराना, नगीना, अमरोहा, हाथरस, फतेहपुर सीकरी, अलीगढ़, बुलंदशहर और मेरठ लोकसभा सीट पर अपने कैंडिडेट उतारने की तैयारी में है.
जयंत की मंशा है कि सपा के साथ गठबंधन में आरएलडी कम से कम 10 सीटों पर चुनाव लड़े. इस मंशा की पूर्ति के लिए जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी के गांव-गांव पहुंच रहे हैं और पार्टी के जनाधार को मजबूत करने में जुटे हैं. अपने इस अभियान में जयंत चौधरी मोदी-योगी सरकार की किसान विरोधी नीतियों का जिक्र करते हुए भाजपा सरकार की नाकामियों का ब्यौरा लोगों के बीच रख रहे हैं.
जयंत चौधरी के समरसता अभियान उमड़ रही लोगों की भीड़ भाजपा की मुश्किलों में इजाफा कर रही है. और जयंत के अभियान को कमजोर करने के लिए भाजपा के नेता मुजफ्फरनगर दंगे, कांवड कांड और गौरव सचिन की हत्या का याद दिला रहे हैं.