तुम्हीं से मोहब्बत, तुम्हीं से लड़ाई के तर्ज पर है राजद-भाकपा-माले का हाल, माले के स्टार प्रचारकों में तेजस्वी का नाम
By एस पी सिन्हा | Updated: May 11, 2019 15:14 IST2019-05-11T15:14:28+5:302019-05-11T15:14:28+5:30
राजद प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के समय राजद और भाकपा-माले के बीच हमेशा तनातनी की स्थिति होती थी. विधानसभा के भीतर हो या सड़क भाकपा-माले ने राजद की सरकार का कड़ा विरोध किया था.

आरा लोकसभा सीट के लिए तेजस्वी भाकपा-माले उम्मीदवार के लिए प्रचार करेंगे.
बिहार में अब नया राजनीतिक समीकरण सामने आने लगा है. जिस राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भाकपा-माले को जमींदरोज करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी थी और लालू प्रसाद यादव के विरोध में भाकपा- माले संघर्ष करती रही. आज अब उसी पार्टी के लिए अब तेजस्वी यादव स्टार प्रचारक हो गये हैं. वह भी केवल आरा में वहीं, सीवान में दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़ते नजर आ रहे रहे हैं.
माले को तोड़कर लालू यादव ने उनके चार विधायजों को राजद में शामिल करा लिया था. जिसके बाद से माले लगातार राजनीति में हाशिए पर जाती रही. लेकिन अब बदली परिस्थिती में भाकपा-माले ने राजद नेता तेजस्वी यादव को अपने स्टार प्रचारकों की सूची में अनौपचारिक तौर पर शामिल किया है.
आरा लोकसभा सीट के लिए तेजस्वी भाकपा-माले उम्मीदवार के लिए प्रचार करेंगे. इतना ही नहीं महागठबंधन के भीतर सीटों के तालमेल में राजद ने आरा लोकसभा सीट पर भाकपा-माले को समर्थन दिया है. वहीं, भाकपा-माले ने पाटलिपुत्र सीट पर राजद उम्मीदवार मीसा भारती को समर्थन किया है. भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि लालू प्रसाद यादव का जमाना और इस वक्त की राजनीति में काफी बदलाव आया है. फिलहाल राष्ट्र को बचाने की बात है. भाजपा दोबारा से सत्ता में आयेगी तो वह संविधान को खत्म कर देगी. ऐसे में हमारी रंजिश का कोई मतलब नहीं है. जहां तालमेल हुआ है या जहां नहीं हुआ है, जनता को मालूम है कि वहां वोट कैसे और किसे देना है.
उल्लेखनीय है कि राजद प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के समय राजद और भाकपा-माले के बीच हमेशा तनातनी की स्थिति होती थी. विधानसभा के भीतर हो या सड़क भाकपा-माले ने राजद की सरकार का कड़ा विरोध किया था.
सीवान में भाकपा-माले को राजद नेताओं से काफी प्रताड़ित भी होना पड़ा था. वहीं, भाकपा-माले के नौजवान कामरेड चन्द्रशेखर की हत्या दिनदहाड़े सीवान में कर दी गई थी. आरोप राजद के बाहुबली सांसद मो शहाबुद्दीन पर लगा था.
इसके बाद लालू प्रसाद यादव के प्रभाव से भाकपा-माले विधायक दल में भी टूट हो गया था. माले के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक बने श्रीभगवान सिंह समेत चार विधायकों का गुट दल से अलग हो कर राजद में शामिल हो गया था.
1990 के दशक की यह घटना इतिहास के पन्नों में कैद है. लेकिन अब बिहार का राजनीतिक समीकरण बदला है. भाजपा विरोध में खड़ी दोनों पार्टियां 2019 के लोकसभा चुनाव में एक-दूसरे के लिए मिलकर प्रचार कर रही हैं.
माले सीवान, जहानाबाद और काराकाट में चुनावी लड़ाई को त्रिकोणात्मक बना रहा है. आरा में एक साथ प्रचार करने वाली दोनों पार्टियां जहानाबाद व सीवान में एक-दूसरे के सामने खड़ी है. वहीं, काराकाट में महागठबंधन के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं.
भाकपा-माले ने कहा कि भले ही सीवान, जहानाबाद व काराकाट में तालमेल नहीं हो पाया है, लेकिन हमारा लक्षय एक है कि संविधान को खत्म करने में जुटी पार्टी भाजपा को सत्ता से हटाएं. इसलिए हमारा चुनाव प्रचार इन जगहों पर अलग-अलग होते हुए भी लक्ष्य एक है. इसतरह तुम्हीं से मोहब्बत, तुम्हीं से लड़ाई वाली कहानी को चरितार्थ करते हुए भाकपा-माले और राजद में गलबहियां रोचक बना हुआ है.