लोकसभा चुनाव 2019: राहुल गांधी सबसे बड़े पॉलिटिकल अचीवर, केजरीवाल लूजर!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: March 12, 2019 07:51 AM2019-03-12T07:51:47+5:302019-03-12T07:51:47+5:30
वर्ष 2014 में दो राजनेताओं का राजनीतिक उदय हुआ, एक- देश में नरेंद्र मोदी, और दो- दिल्ली में अरविंद केजरीवाल. नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.
लोकसभा चुनाव 2014 के सापेक्ष इस वक्त यदि विभिन्न राजनेताओं की भूमिका पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सबसे बड़े पॉलिटिकल अचीवर हैं तो आप के संस्थापक अरविंद केजरीवाल पॉलिटिकल लूजर हैं. पीएम मोदी अभी भी लोकप्रियता में सबसे आगे हैं, लेकिन 2014 के मुकाबले उनका जादू उतार पर है.
वर्ष 2014 में दो राजनेताओं का राजनीतिक उदय हुआ, एक- देश में नरेंद्र मोदी, और दो- दिल्ली में अरविंद केजरीवाल. नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने. दोनों से देश की जनता को कई उम्मीदें थीं, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दोनों जनता की अपेक्षाओं के सापेक्ष आंशिक सफल ही रहे हैं.
पिछले लोस चुनाव में केजरीवाल ने वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, हालांकि वे जीत नहीं पाए किंतु दूसरे नंबर पर रहे. अब केजरीवाल तो लोस चुनाव लड़ नहीं रहे हैं, परंतु नरेंद्र मोदी के सामने वाराणसी में 2014 जैसी जीत दोहराने की चुनौती जरूर है.
इन पांच वर्षों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सबसे बड़े पॉलिटिकल अचीवर बन कर उभरे हैं. वे पीएम पद की दावेदारी के मामले में नरेंद्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर आ गए हैं. 2014 में राहुल गांधी हारे हुए सियासी योद्धा थे, लेकिन पंजाब विस चुनाव से उनका राजनीतिक उत्थान शुरू हुआ. गुजरात विस चुनाव से उन्हें सियासी सफलता मिलनी शुरू हुई तो एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विस चुनाव में कांग्रेस की कामयाबी के साथ ही वे लोस चुनाव के मुख्य मुकाबले में पीएम पद के सशक्त दावेदार बन कर उभरे हैं.
भाजपा में जहां नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह जहां सशक्त होकर उभरे हैं, वहीं, विपक्ष में ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, चंद्रबाबू नायडू आदि नेता 2014 के मुकाबले महत्वपूर्ण भूमिका में आते नजर आ रहे हैं.
शत्रुघ्न की कामयाबी को लेकर बड़ा प्रश्नचिन्ह
शत्रुघ्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा जैसे बागी नेताओं के बारे में जनता क्या सोचती है, यह लोस चुनाव के नतीजों में ही साफ होगा. अलबत्ता, शत्रुघ्न सिन्हा की कामयाबी को लेकर बड़ा प्रश्नचिन्ह है, क्योंकि अभी तक वे भाजपा में ही हैं. भाजपा उन्हें इस बार टिकट नहीं देगी, लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा यह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि वे हर हाल में अपने चुनाव क्षेत्र से ही चुनाव लड़ेंगे.