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लोकसभा चुनाव 2019: हार्दिक पटेल के कांग्रेस में प्रवेश के मायने

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 14, 2019 11:03 IST

भाजपा ने बहुत पहले से कांग्रेस को झटका देने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के एक दिन पहले ही भाजपा ने जामनगर ग्रामीण क्षेत्र के कांग्रेस विधायक को भाजपा में शामिल हो गए इसके पहले जुलाई माह में कुंवर बावलिया कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा के साथ हो लिए उन्हें विजय रु पाणी मंत्रिमंडल में केबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया है.

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महेश खरे

गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन की उपज और राजनीति में रहे बिना राजनीति के चर्चित युवा चेहरे हार्दिक पटेल के कांग्रेस प्रवेश पर देश की नजरें जरूर थीं, लेकिन पीएम मोदी के गढ़ में हुई इस घटना ने गुजरात और देश की राजनीतिक आबादी को इसलिए नहीं चौंकाया है क्योंकि वे बाहर रहते हुए भी कांग्रेस के साथ ही खड़े दिखते रहे हैं.

देर सबेर उन्हें कांग्रेस के बैनर से जुड़ना ही था. यह तो 27 फरवरी को ही हो जाता लेकिन पुलवामा में आतंकी हमले के कारण कांग्रेस ने अहमदाबाद बैठक 12 मार्च तक स्थगित कर दी थी. संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी  और  प्रियंका की उपिस्थति में कांग्रेस कार्य समिति के महत्वपूर्ण आयोजन अवसर पर हार्दिक आखिर कांग्रेस के साथ हो लिए. हार्दिक के कांग्रेस से जुड़ने की अटकलें दरअसल दो साल पहले 2017 में हुए विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान से ही शुरू हो गई थीं.

राहुल गांधी से उनकी गुपचुप मुलाकातें भी हुईं, लेकिन तब बात नहीं बन पाई. हार्दिक के कांग्रेस से जुड़ने के साथ ही गुजरात की राजनीति के दलित, ओबीसी और पटेलों के चर्चित तीन बड़े चेहरे अब कांग्रेस के साथ हैं. हार्दिक पटेल समुदाय के जुझारू युवा चेहरे हैं.

निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी हालांकि कांग्रेस से जुड़े नहीं हैं लेकिन वे भाजपा के कट्टर विरोधी हैं और उनका रु झान कांग्रेस की ओर है. तीसरे अल्पेश ठाकोर तो राधनपुर से कांग्रेस के ही विधायक हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में भी इन नेताओं का खुला सहयोग कांग्रेस को मिला था.

पहले की बात और थी पर अब हार्दिक पटेल लोकसभा चुनाव में पाटीदार समाज का कितना समर्थन दिला पाएंगे यह आने वाला समय ही बताएगा. पाटीदार वोटों का महत्व और दबदबे का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि गुजरात सरकार में उपमुख्यमंत्री समेत आधा दर्जन से अधिक मंत्री इसी समाज के हैं. आरक्षण आंदोलन ने तो राज्य सरकार के पसीने छुड़ा दिए थे. लेकिन अब आंदोलन के नेताओं में पहले जैसी एकजुटता नहीं है. पास के वरु ण पटेल जैसे कुछ बड़े चेहरे सत्तारूढ भाजपा में ही शामिल हो चुके हैं.

कांग्रेस के 4 विधायक भाजपा में

भाजपा ने बहुत पहले से कांग्रेस को झटका देने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के एक दिन पहले ही भाजपा ने जामनगर ग्रामीण क्षेत्र के कांग्रेस विधायक को भाजपा में शामिल हो गए इसके पहले जुलाई माह में कुंवर बावलिया कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा के साथ हो लिए उन्हें विजय रु पाणी मंत्रिमंडल में केबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया है.

इसी 9 मार्च  को माणवदर के विधायक जवाहर चावड़ा ने भी  कांग्रेस छोड़कर भाजपा से जुड़ने का पुरस्कार मंत्री पद के रूप में पाया. पांच सप्ताह में कांग्रेस के चार विधायक इस्तीफा देकर भाजपा का खेस धारण कर चुके हैं. राधनपुर के विधायक अल्पेश ठाकोर पर भी भाजपा डोरे डाल रही है.

 पास नेताओं पर भी डोरे

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल पटेल अनामत आंदोलन समिति (पास) नेताओं पर डोरे डालते रहे हैं.  पास नेताओं ने पाटीदार समाज से यह वादा किया था कि वे समाज को आरक्षण दिलाने से पहले राजनीति में प्रवेश नहीं करेंगे. इसके बावजूद हार्दिक समेत चार नेता कांग्रेस से और पांच नेता भाजपा से नाता जोड़ चुके हैं.

हार्दिक के विरोध में स्वर

पास संयोजक हार्दिक पटेल के कांग्रेस में आने और जामनगर से चुनाव लड़ने की खबरों के बीच विरोध के स्वर उठने लगे हैं. पटेल बहुल इस सीट पर पटेलों के ही एक गुट ने बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा उठा कर हार्दिक विरोध शुरू कर दिया है. उधर पटेल समाज के बड़े चेहरे लालजी पटेल ने हार्दिक के राजनीति में प्रवेश करने पर समाज से वादाखिलाफी का आरोप लगाया है.

टॅग्स :लोकसभा चुनावहार्दिक पटेलकांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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