लोक सभा चुनाव 2019: बिहार का सारण लोकसभा सीट है दिग्गजों का अखाडा, इस पर होगी सबकी नजर

By एस पी सिन्हा | Published: March 7, 2019 04:39 PM2019-03-07T16:39:03+5:302019-03-07T16:39:19+5:30

लोकसभा के चुनाव की तैयारियों के बीच चर्चा ये है कि इस बार सारण के रण में जनता का मन कौन जीतेगा. सालों से सियासी दिग्गजों का अखाडा होने से उम्मीद बंधती है कि इस क्षेत्र का विकास राज्य के दूसरे हिस्सों से ज्यादा हुआ होगा.

Lok Sabha Elections 2019: eyerone eye on Saran Lok Sabha seat | लोक सभा चुनाव 2019: बिहार का सारण लोकसभा सीट है दिग्गजों का अखाडा, इस पर होगी सबकी नजर

लोक सभा चुनाव 2019: बिहार का सारण लोकसभा सीट है दिग्गजों का अखाडा, इस पर होगी सबकी नजर

बिहार में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि सारण सीट सबसे हाई प्रोफाइल संसदीय सीट मानी जाती है. बीते दो दशक से यहां भाजपा और राजद के बीच कांटे का मुकाबला होता आ रहा है. राजद से जहां लालू प्रसाद यादव चुनाव लडते रहे हैं. वहीं, भाजपा से राजीव प्रताप रूढी सारण के रण में उतरते रहे हैं. दिग्गजों का अखाडा होने के कारण इस सीट पर सबकी नजर होती है.

यह सीट राजपूतों और यादव समुदाय का गढ माना जाता है. चुनावी लडाई में इसका असर भी देखने को मिलता है. यादव-मुस्लिम वोटों के समीकरण से यहां से लालू प्रसाद यादव 4 बार सांसद रह चुके हैं. लालू प्रसाद यादव ने अपनी संसदीय पारी की शुरुआत 1977 में यहीं से की थी. उनकी पत्नी राबडी देवी भी यहां से चुनाव लड चुकी हैं. यहां के वर्तमान सांसद भाजपा के युवा नेता राजीव प्रताप रुढी हैं, जो कि यहां से 3 बार सांसद रहे हैं. रुढी अटल सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं.

2014 में जीतने के बाद वे मोदी सरकार में भी मंत्री बनाए गए थे. हालांकि, मंत्रिमंडल के फेरबदल में उनसे मंत्री पद वापस ले लिया गया. अभी वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म सारण जिला के सिताब दियारा में हुआ था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय भी सारण के ही रहने वाले थे. दरोगा राय के बेटे चंद्रिका राय परसा विधानसभा सीट से विधायक हैं.

उनकी बेटी ऐश्वर्या राय की शादी लालू यादव के बेटे तेजप्रताप से हुई है. 2008 में गठित भारतीय परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सारण संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का गठन हुआ. नये परिसीमन के आधार पर सारण में 2009 में चुनाव हुए. पहले यह छपरा लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था.

सारण लोकसभा क्षेत्र का इलाका 1967 तक कांग्रेस का गढ था. 1977 में इसी लोकसभा सीट से लालू प्रसाद यादव सांसद बने. इसके बाद 1989, 2004 और 2009 में लालू यादव इस इलाके से लोकसभा पहुंचे. सारण में बीते 25 सालों से मुकाबला राजद और भाजपा के बीच होता रहा है. राजीव प्रताप रूढी 1996,1999 और 2014 में लोकसभा चुनाव जीते. चारा घोटाले में सजा हो जाने के बाद लालू के चुनाव लडने पर रोक लग गई और 2014 में राबडी देवी इस सीट से उतरीं.

इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं. मढौरा, छपरा, गरखा, अमनौर, परसा और सोनपुर विधानसभा क्षेत्र के वोटर सारण लोकसभा सीट के उम्मीद की किस्मत तय करते हैं. सारण लोकसभा सीट का सियासी समीकरण ऐसा है कि यहां यादव और राजपूत जाति के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होता रहा है.

सबसे ज्यादा 25 प्रतिशत यादव जाति के वोटर हैं. इससे बाद राजपूत 23 फीसदी, वैश्य 20 फीसदी, मुस्लिम 13 प्रतिशत, दलित 12 प्रतिशत और अन्य 7 प्रतिशत हैं. राजद की नजर 'एमवाय' समीकरण पर होती है, तो वहीं भाजपा को राजपूत और वैश्य वोटों का भरोसा होता है. इस क्षेत्र का जातीय समीकरण ऐसा है कि यहा मुकाबला राजपूत बनाम यादव का होता रहा है. 

बहरहाल, लोकसभा के चुनाव की तैयारियों के बीच चर्चा ये है कि इस बार सारण के रण में जनता का मन कौन जीतेगा. सालों से सियासी दिग्गजों का अखाडा होने से उम्मीद बंधती है कि इस क्षेत्र का विकास राज्य के दूसरे हिस्सों से ज्यादा हुआ होगा. इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर राजीव प्रताप रूढी का तो उतरना तय माना जा रहा है, लेकिन महागठबंधन में यह सीट किसे मिलेगी और यहां से कौन उम्मीदवार होगा अभी यह तस्वीर साफ नही है.

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: eyerone eye on Saran Lok Sabha seat