लोकसभा चुनाव 2019: उत्तर प्रदेश में जमीन खो चुकी CPI फिर मैदान में, माकपा उतरी गठबंधन के साथ

By भाषा | Published: April 4, 2019 03:14 PM2019-04-04T15:14:23+5:302019-04-04T15:14:23+5:30

भाकपा नेताओं का कहना है कि भाजपा को हराने के लिये चुनाव के पहले वह सपा बसपा महागठबंधन और कांग्रेस दोनों के दरवाजे पर तालमेल के लिये गई लेकिन किसी ने भी उनसे गठबंधन करने में कोई रूचि नहीं दिखाई ।

Lok Sabha Elections 2019: CPI lost land in UP again in the field, with CPI (M) coming coalition | लोकसभा चुनाव 2019: उत्तर प्रदेश में जमीन खो चुकी CPI फिर मैदान में, माकपा उतरी गठबंधन के साथ

2017 के विधान सभा चुनाव में भाकपा ने 58 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे थे लेकिन किसी को कामयाबी नहीं मिली ।

Highlightsभाकपा के आखिरी सांसद विश्वनाथ शास्त्री 1991 में गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे । माकपा के आखिरी सांसद के रूप में सुभाषिनी अली ने 1989 के आम चुनाव में कानपुर से जीत दर्ज की थी।छले लोकसभा चुनाव 2014 में भाकपा ने उप्र की आठ लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और सबकी जमानत जब्त हो गई।

कभी देश की राजनीति की दिशा तय करने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रदेश से 1991 के बाद कोई सांसद न जिता सकी है। इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अभी तक नौ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे है और दो से तीन सीटों पर और प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है। वहीं माकपा ने गठबंधन प्रत्याशियों को समर्थन देने की बात कही है ।

भाकपा नेताओं का कहना है कि भाजपा को हराने के लिये चुनाव के पहले वह सपा बसपा महागठबंधन और कांग्रेस दोनों के दरवाजे पर तालमेल के लिये गई लेकिन किसी ने भी उनसे गठबंधन करने में कोई रूचि नहीं दिखाई । उधर माकपा की पोलित ब्यूरो की सदस्य और कानपुर से पूर्व सांसद सुभाषिनी अली का कहना है, ‘‘हमारी पार्टी उप्र में चुनाव नहीं लड़ रही है लेकिन हम भाजपा को हराने के लिये गठबंधन के प्रत्याशियों को पूरा समर्थन देंगे।’’

उप्र में अभी तक भाकपा ने नौ लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे है । इनमें घोसी, राबर्टसगंज,खीरी, बांदा, बरेली, शाहजहांपुर (सु॰),बलिया,लालगंज (सु),एवं गोरखपुर शामिल हैं। पार्टी अभी दो से तीन सीटों पर और प्रत्याशी उतारने की संभावनायें तलाश रही है । इस लिस्ट में शामिल घोसी सीट से पार्टी के प्रमुख नेता अतुल कुमार अंजान चुनावी मैदान में है । 1957 से 1991 के बीच हुए लोकसभा चुनावों की बात करें, तो उप्र से इन सीटों पर लेफ्ट पार्टियों (खासकर, भाकपा और माकपा) के एक से छह प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की।

भाकपा के आखिरी सांसद विश्वनाथ शास्त्री 1991 में गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे । माकपा के आखिरी सांसद के रूप में सुभाषिनी अली ने 1989 के आम चुनाव में कानपुर से जीत दर्ज की थी। पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में भाकपा ने उप्र की आठ लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और सबकी जमानत जब्त हो गई।

वहीं 2017 के विधान सभा चुनाव में भाकपा ने 58 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे थे लेकिन किसी को कामयाबी नहीं मिली । भाकपा के राज्य महासचिव डॉ गिरीश ने गुरुवार को 'भाषा' से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘2019 लोकसभा चुनाव की शुरूआत से पहले पार्टी के नेता सभी सेक्यूलर पार्टियों सपा बसपा और रालोद गठबंधन और कांग्रेस के पास गये थे क्योंकि हम सबका एकमात्र मकसद भारतीय जनता पार्टी को हराना है । लेकिन किसी भी पार्टी ने हमे कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया, इसलिये मजबूरन हमारी पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया और हमने अभी तक प्रदेश की नौ सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है, दो या तीन और उम्मीदवारों की घोषणा जल्द ही कर दी जाएगी।’’

उन्होंने कहा,‘‘भाकपा को समान विचारधारा वाली पार्टियों का समर्थन मिलेगा लेकिन सपा बसपा रालोद गठबंधन और कांग्रेस के साथ कोई समझौता न होने से काफी निराश हूं। हम अपनी विचारधारा से पीछे नहीं हटेंगे और हमारा एक मात्र मकसद भाजपा को हराना है । चाहे कोई हमारे साथ आये या न आये ।’’

उधर माकपा की पोलित ब्यूरों सदस्य और कानपुर की पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने 'भाषा' से विशेष बातचीत में कहा कि ''हम और हमारी पार्टी के कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिये 'भाजपा हटाओ' नारे के साथ एकजुट होकर प्रयास करेंगे । इसके अलावा हमारी पार्टी के कार्यकर्ता प्रदेश में खुलकर सपा बसपा रालोद गठबंधन के प्रत्याशियों का समर्थन करेंगे । जहां गठबंधन का प्रत्याशी नहीं जीत रहा होगा वहां हमारे कार्यकर्ता किस को वोट करें इस बात का फैसला हम बाद में करेंगे।’’

उनसे पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी भाकपा के प्रत्याशियों का समर्थन करेगी इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ''मैं इस बाबत कोई बात नहीं करना चाहती हूं । हम बस इतना जानते है कि हमारी पार्टी भाजपा को हराने के लिये गठबंधन के प्रत्याशियों का समर्थन करेगी ।'' 

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: CPI lost land in UP again in the field, with CPI (M) coming coalition



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