लोकसभा चुनाव 2019ः पंजाब में कैप्टन अमरिंदर ने रोक दी 'मोदी लहर', बीजेपी को दो सीटों पर समेटा
By बलवंत तक्षक | Published: May 24, 2019 08:04 AM2019-05-24T08:04:07+5:302019-05-24T08:04:07+5:30
पंजाब में कांग्रेस की जीत में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से ज्यादा मुख्यमंत्री कैप्टन का ज्यादा योगदान है.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीमावर्ती राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर को जबरदस्त झटका दिया है. बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद जहां पूरे देश में राष्ट्रवाद का जोर रहा, वहीं पाक की सीमा से सटे पंजाब में भाजपा-अकाली गठबंधन को इसका फायदा नहीं मिल पाया. कैप्टन ने एक मजबूत सैनिक की तरह मोदी लहर के खिलाफ लोहा लिया और पार्टी को 13 लोकसभा सीटों में से 8 पर जीत दिलवा दी. पंजाब में कांग्रेस की जीत में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से ज्यादा मुख्यमंत्री कैप्टन का ज्यादा योगदान है.
कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में जहां सारे देश में प्रचार किया, वहीं कैप्टन को अपने राज्य में सिद्धू की कहीं कोई जरूरत नहीं पड़ी. कैप्टन ने पंजाब में पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी खुद के कंधों पर ले ली. सिद्धू पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को गले लगा कर विवादों में फंस गए थे, ऐसे में कैप्टन जानते थे कि अगर पंजाब में उन्हें आगे किया गया तो कांग्रेस उम्मीदवारों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 13 लोकसभा सीटों में केवल तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार कांग्रेस की सीटें बढ़कर आठ हो गई हैं. कैप्टन ने मिशन-13 का नारा दिया था और इसमें कामयाबी नहीं मिलने के लिए उन्होंने सिद्धू के बड़बोलेपन को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की बठिंडा रैली में सिद्धू पहली बार नजर आए थे और इसके बाद उन्होंने एक बार फिर बठिंडा का दौरा कर अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री कैप्टन पर अकालियों से मिलीभगत का आरोप लगाया था. माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम आने के बाद सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
अकाली दल के प्रति लोगों की नाराजगी बरकरार
लोकसभा चुनावों ने साफ कर दिया है कि सत्ता से बाहर होने के बावजूद अकाली दल के प्रति लोगों की नाराजगी दूर नहीं हुई है. चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी और फिर विरोधस्वरूप बरगाडी में धरने पर बैठे दो लोगों के पुलिस गोली से मारे जाने के मामले में लगातार अकाली दल को कटघरे में खड़ा किया जाता रहा है. यही वजह है कि दस सीटों पर लड़े अकाली दल को केवल दो सीटें मिली हैं.
शिअद की सीटें घटीं, भाजपा को दो सीटें
पिछले चुनावों में अकाली दल ने चार सीटें जीती थीं. अकाली दल की सहयोगी भाजपा को पिछली बार भी दो सीटें मिली थीं. इस बार भी उन्हीं दोनों सीटों पर फिर से जीत गई है. आप (आम आदमी पार्टी को) पंजाब में भारी खामियाजा भुगतना पड़ा है. पंजाब में आप को एकजुट रखने में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पूरी तरह नाकाम रहे और पांच साल बीतते-बीतते पार्टी कई हिस्सों में बंट गई और पार्टी के सारे उम्मीदवार हार गए.