समर्थक हों या विरोधी चर्चा के केंद्र में है 'NYAY' योजना, गुजरात में गरीब की जुबान पर है बहत्तर हजार

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 9, 2019 08:15 IST2019-04-09T08:15:12+5:302019-04-09T08:15:12+5:30

तीन राज्यों में सरकार बनाने के तुरंत बाद वादे निभाए जाने से लोगों में यह भरोसा बना है कि कांग्रेस हवाहवाई नहीं फेंकेगी. लेकिन कांग्रेस की न्याय योजना से वोट डायवर्टर कितनी होती है यह 23 मई के बाद ही पता चलेगा. वैसे नमो के ड्रीम राज्य और भाजपा के मजबूत गढ़ गुजरात में चुनावी फतह कोई नामुमिकन नहीं तो आसान भी नहीं है और राहुल के व्यक्तित्व में अपरिपक्वता का पुट मतदाताओं का विश्वास कितना अर्जित कर पाएगा यह अभी कहना मुश्किल है.

lok sabha election: people of gujarat praising Rahul Gandhi NYAY scheme | समर्थक हों या विरोधी चर्चा के केंद्र में है 'NYAY' योजना, गुजरात में गरीब की जुबान पर है बहत्तर हजार

समर्थक हों या विरोधी चर्चा के केंद्र में है 'NYAY' योजना, गुजरात में गरीब की जुबान पर है बहत्तर हजार

महेश खरे

लगता है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का चुनावी तीर निशाने पर बैठा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में कांग्रेस की गरीबों को 72000 रुपए का सपना दिखाने वाली न्याय योजना गरीब, मजदूर और बेरोजगार युवाओं की जुबान पर है, वहीं मोदी और राष्ट्रवाद के बूते चुनाव मैदान में उतरी भाजपा के नेता खिल्ली उड़ाते हुए इसे मुंगेरीलाल के सपने जैसा बता रहे हैं. इन दिनों चर्चा के केंद्र में न्याय योजना ही है फिर वे समर्थक हों या विरोधी।

तीन राज्यों में सरकार बनाने के तुरंत बाद वादे निभाए जाने से लोगों में यह भरोसा बना है कि कांग्रेस हवाहवाई नहीं फेंकेगी. लेकिन कांग्रेस की न्याय योजना से वोट डायवर्टर कितनी होती है यह 23 मई के बाद ही पता चलेगा. वैसे नमो के ड्रीम राज्य और भाजपा के मजबूत गढ़ गुजरात में चुनावी फतह कोई नामुमिकन नहीं तो आसान भी नहीं है और राहुल के व्यक्तित्व में अपरिपक्वता का पुट मतदाताओं का विश्वास कितना अर्जित कर पाएगा यह अभी कहना मुश्किल है. इसीलिए इस योजना को भी गेमचेंजर मानने में मतदाता संकोच कर रहे हैं. सूरत, बड़ौदा और अहमदाबाद जैसे व्यवसायिक शहरों में कम आय वाले परिवारों को न्याय योजना संकटमोचक के समान लग रही है.

बेरोजगारों और कामगारों को बैठे बिठाए 12 महीने में 72000 रुपए मिलने की आशा जगी हो तो मुफ्त का चंदन किसे नहीं लुभाएगा. मिलों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के कामगारों में यह भावना शोषण के कारण उपजी है. सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक 12 घंटे काम करने के बाद भी महीने के अंत में जिसे मात्र 4000 से 6000 रुपए मिल पाते हों, उसे तो यह योजना छप्पर फाड़ जैसी ही लगेगी.

सुराज की बातें और दावे कितने ही हुए हों लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अधिकारियों और उद्योगपतियों की मिलीभगत के कारण गुजरात का अल्प वेतनभोगी कामगार गंभीर शोषण का भोग बना हुआ है. माथापच्ची कर रही भाजपा भाजपा के नेता भले ही सार्वजनिक रूप से कांग्रेस की न्याय योजना का उपहास उड़ाते हुए सवाल खड़े कर रहे हों कि इतनी रकम आएगी कहां से? लेकिन अंदर की बात यह है कि भाजपा इसका और बाद में की गई घोषणाओं का तोड़ खोजने के लिए माथापच्ची कर रही है.

राष्ट्रवादी बनाम कल्याणकारी राहुल गांधी की न्याय योजना ने चाहे-अनचाहे लोकसभा चुनाव की बेला में भाजपा की भावना प्रधान राष्ट्रवादी छवि के सामने कांग्रेस की कल्याणकारी छवि प्रस्तुत कर दी है. हालांकि राहुल गांधी ने इस योजना की घोषणा बहुत ही खराब और लचर तरीके से की. शायद शुरु आती समय में कांग्रेस अध्यक्ष ही इस योजना को समझ नहीं पाए. समीक्षाएं भी बड़ी जल्दबाजी में हुईं. इस कारण न्याय योजना को लेकर देश में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई. कुछ हद तक भ्रम और असमंजस अभी भी है.

Web Title: lok sabha election: people of gujarat praising Rahul Gandhi NYAY scheme