गुजरात में बैंक के चेकों पर लिखे बीजेपी के नारे पर विवाद, चुनाव आयोग पहुंचा मामला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 12, 2019 09:12 IST2019-05-12T09:10:26+5:302019-05-12T09:12:57+5:30

मामला सामने आने के बाद कई खाता धारकों ने इस पर नाराजगी जताई है और बीजेपी के नारे को हटाने की मांग की है।

lok sabha election bjp slogan on gujarat surat District Cooperative Bank cheques controversy | गुजरात में बैंक के चेकों पर लिखे बीजेपी के नारे पर विवाद, चुनाव आयोग पहुंचा मामला

गुजरात में बैंक के चेक पर बीजेपी का नारा (फाइल फोटो)

Highlightsगुजरात के सूरज के को-ऑपरेटिव बैंक का है मामलाबैंक के हजारों चेक पर बीजेपी का नारा 'सौ नो साथ सौ नो विकास' लिखे होने से विवादइस बैंक की स्थापना 1909 में की गई थी, गुजरात का दूसरा सबसे बड़ा को-ऑपरेटिव बैंक

देश भर में जारी लोकसभा चुनाव के बीच गुजरात के सूरत में को-ऑपरेटिव बैंक के चेक पर बीजेपी के नारे लिखे होने का मामला सामने आया है। आरोप है कि चेक पर यह नारे स्थानीय बीजेपी नेताओं की ओर से ही छपवाये गये हैं। यही नहीं, ऐसे चेक हजारों खाता धारकों को जारी भी किया जा चुका है। अहमदाबाद के बाद सूरत का को-ऑपरेटिव बैंक गुजरात का दूसरा सबसे बड़ा को-ऑपरेटिव बैंक है।

मामला सामने आने के बाद कई खाता धारकों ने इस पर नाराजगी जताई है और बीजेपी के नारे को हटाने की मांग की है। इन खाता धारकों ने अपनी मांग नहीं माने जाने पर इन चेक के इस्तेमाल नहीं करने की भी धमकी दी है। सूत्रों के अनुसार सूरत में इस बैंक के शहर और पूरे जिले में करीब 9 लाख खाता धारक हैं। इसमें ज्यादातर किसान हैं। बैंक के पास 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा फिक्स्ड डिपॉजिट हैं।

बैंक के चेक पर बीजेपी का नारा

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हजारों चेक जो सामने आये हैं, उस पर बीजेपी का नारा 'सौ नो साथ सौ नो विकास' (सब का साथ, सब का विकास) लिखा है। यह चेक के निचले हिस्से में लिखा है। हाल ही में बैंक के नये हेडक्वॉर्टर का उद्घाटन गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने किया था। इस बैंक की स्थापना 1909 में की गई थी। 

बहरहाल, यह मामला चुनाव आयोग भी पहुंच चुका है। सूरत जिला को-ऑपरेटिव बैंक के मेंबर और सूरत जिला पंचायत के निर्दलीय पार्षद दर्शन नाइक ने बताया कि आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत को लेकर चुनाव आयोग के पास याचिका भेजी गई है। दर्शन नाइक ने कहा, 'गुजरात की सबसे पुरानी को-ऑपरेटिव बैंक पर किसी पार्टी का मालिकाना हक नहीं है। बैंक उसके खाता धारकों और सदस्यों का है। इस सहकारी बैंक में बीजेपी के नेता अहम पदों पर हैं और राजनीतिक फायदे के लिए इसका गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।'

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