लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद बिहार कांग्रेस के भीतर घमासान, ’एकला चलो’ की मांग ने पकड़ा जोर
By एस पी सिन्हा | Updated: May 29, 2019 15:56 IST2019-05-29T15:56:57+5:302019-05-29T15:56:57+5:30
कांग्रेस की बिहार इकाई के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा भी कहते हैं कि यह मेरी पुरानी मांग है. मैं तो 1998 से ही इसका प्रयास कर रहा हूं. मेरा मानना है कि कांग्रेस बिहार में अकेले बेहतर प्रदर्शन कर सकती है.

बिहार कांग्रेस में अकेले चुनाव लड़ने की मांग (फाइल फोटो)
लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद एक ओर राजद और महागठबंधन के अन्य घटक दलों में मंथन का दौर जारी है, वहीं कांग्रेस के भीतर घमासान मचा हुआ है. दरअसल, बिहार में राजग से लोकसभा चुनाव में मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों ने महागठबंधन बनाया था, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस को छोडकर राजद सहित अन्य दलों के सूपडा साफ होने के बाद कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता महागठबंधन को छोड़कर अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं.
इस चुनाव में वोट प्रतिशत के मामले में कांग्रेस, राजद और भाजपा सहित कई दलों से भले ही पीछे रह गई हो, परंतु इस चुनाव में कांग्रेस की सफलता का प्रतिशत राजद से बेहतर है. इस चुनाव में 19 सीटों पर लडने वाली राजद एक भी सीट नहीं जीत सकी, लेकिन कांग्रेस ने नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार को उतारकर किशनगंज सीट पर जीत का पताका फहरा दिया. यही एकमात्र सीट है, जो इस चुनाव में महागठबंधन जीत सकी है.
अब वरिष्ठ कांग्रेस नेता और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने बिहार कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए पूरी कांग्रेस में बडे स्तर पर बदलाव की वकालत की है.
अब्दुल जलील मस्तान ने कहा कि बिहार कांग्रेस को सिर्फ बदलने की नहीं, बल्कि पूरी तरह से पलट देने की जरूरत है. कांग्रेस विधायक ने बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पैसे लेकर टिकट बांटे हैं. इसी का नतीजा यह रिजल्ट (लोकसभा चुनाव परिणाम) है. मस्तान ने कहा कि चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह से कार्यक्रम चलाया वह भी हार की वजह बनी. अब्दुल जलील मस्तान ने अखिलेश सिंह के बेटे आकाश कुमार के चुनाव लडने को 'क्राइम' बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नियमों के मुताबिक यह अपराध है. ऐसे लोगों पर बडी कार्रवाई होनी चाहिए. कांग्रेस विधायक ने कहा कि राहुल गांधी को अभी और जहर पीना पडेगा, वह बडी कार्रवाई करें.
वहीं, वरिष्ठ कांग्रेसी और बिहार विधानसभा में कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह ने गठबंधन से अलग होकर कांग्रेस को चुनाव में उतरने की सलाह देते हुए स्पष्ट कहा कि पार्टी को बैसाखी से उबरना होगा. अपनी धरातल, अपनी जमीन को तो मजबूत करना ही होगा. महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर नाइंसाफी के विषय में सदानन्द सिंह ने कहा कि महागठबंधन में कमियां तो थीं ही, कांग्रेस को भी कम सीटें मिली हैं. समझौता समय से पहले नहीं हो पाया.
कांग्रेस की बिहार इकाई के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा भी कहते हैं कि यह मेरी पुरानी मांग है. मैं तो 1998 से ही इसका प्रयास कर रहा हूं. मेरा मानना है कि कांग्रेस बिहार में अकेले बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. वहीं, बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार भी कांग्रेस को अकेले चुनाव लडने का समर्थन करते हुए कहते हैं कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे, टिकट बांटने और प्रचार अभियान में कमी रही. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अकेले अपने दम पर चुनाव लडना चाहिए.
इधर, राजद से नाराज नेताओं का कहना है कि वैसे मतदाता जो राजद, कांग्रेस को एक ही थैली के चट्टे-बट्टे मानते हैं, उन्हें भी कांग्रेस के बारे में नए सिरे से विचार करने का मौका मिलेगा और कांग्रेस के विषय में सही जानकारी होने पर कांग्रेस से नए मतदाता जुडेंगे.
बहरहाल, करीब तीन दशकों से बिहार में बैसाखी के सहारे चल रही कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने 'एकला चलो' की बात शुरू कर दी है, लेकिन बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वालों का कहना है कि कांग्रेस के लिए यह फैसला भी उतना आसान नहीं है.
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इसबीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में मंगलवार को एक इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था. इसमें कांग्रेस विधायक डॉक्टर शकील अहमद खान भी शामिल हुए थे. उनके साथ ही कई भजपा और जदयू के नेता भी शामिल हुए.