लोकसभा चुनावः सपा उम्मीदवार तेज बहादुर यादव का नामांकन हो सकता है रद्द, चुनाव आयोग ने मांगी एनओसी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 30, 2019 06:49 PM2019-04-30T18:49:43+5:302019-04-30T18:49:43+5:30
बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने पहले निर्दलीय फिर सपा के चुनाव चिन्ह पर नामांकन किया है। इसमें एक में बताया था कि उन्हें भ्रष्टाचार के कारण सेना से बर्खास्त किया गया था, लेकिन दूसरे नामांकन में उन्होंने जानकारी नहीं दी थी।
वाराणसीलोकसभा चुनाव पर चर्चा तेज है। वाराणसी लोकसभा सीट से सपा- बसपा- आरएलडी के संयुक्त उम्मीदवार तेज बहादुर यादव को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है। बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने पहले निर्दलीय फिर सपा के चुनाव चिन्ह पर नामांकन किया है।
इसमें एक में बताया था कि उन्हें भ्रष्टाचार के कारण सेना से बर्खास्त किया गया था, लेकिन दूसरे नामांकन में उन्होंने इसकी जानकारी नहीं दी थी।
नोटिस जारी करते हुए 1 मई तक जवाब देने का समय दिया
मंगलवार को पर्चों की जांच के बाद जिला निर्वाचन कार्यालय ने तेज बहादुर को नोटिस जारी करते हुए 1 मई तक जवाब देने का समय दिया है। चुनाव आयोग का कहना है कि अगर तेज बहादुर यादव प्रमाण नहीं देते हैं तो उनका नामांकन खारिज कर दिया जाएगा।
नामांकन पत्र की जांच करते हुए निर्वाचन आयोग ने नोटिस जारी करते हुए तेज बहादुर से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा है। आयोग द्वारा जारी किए गए नोटिस में तेज बहादुर से बीएसएफ से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र लाने को कहा गया है जिसमें जिसमें यह स्पष्ट हो कि उन्हें नौकरी से किस वजह से बर्खास्त किया गया। तेजबहादुर यादव को इस प्रमाण पत्र को जमा करने के लिए बुधवार तक का समय दिया गया है।
तेजबहादुर पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी (सपा) ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव को वाराणसी संसदीय सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपना उम्मीदवार घोषित किया है। तेजबहादुर पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। सपा ने पहले इस सीट पर शालिनी यादव को टिकट दिया था। लेकिन नामांकन के आखिरी दिन पार्टी ने तेज बहादुर को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
खाने की गुणवत्ता पर उन्होंने सवाल उठाए थे
गौरतलब है कि नौ जनवरी, 2017 को हरियाणा के रेवाड़ी के तेज बहादुर यादव ने सेना में परोसे जा रहे भोजन को सार्वजनिक कर पूरे देश का माहौल सर्दियों में गरमा दिया था। यादव ने कुछ विडियो पोस्ट किए थे, जिनमें सिर्फ हल्दी और नमक वाली दाल और साथ में जली हुई रोटियां दिखाते हुए खाने की गुणवत्ता पर उन्होंने सवाल उठाए थे।
वीडियो में उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा समेत कई स्थानों पर इस प्रकार का खाना दिया जाता है और कई बार जवानों को भूखे पेट सोना पड़ता है।
गृह मंत्रालय और बीएसएफ से मामले पर विस्तृत रपट मांगी थी
वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीएसएफ से मामले पर विस्तृत रपट मांगी थी। इस बीच तेजबहादुर ने वीआरएस के लिए आवेदन किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया। बल्कि उन्हें निर्देश दिया गया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वह बीएसएफ नहीं छोड़ सकते।
इसके विरोध में तेज बहादुर राजौरी स्थित मुख्यालय में भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। 19 अप्रैल को तेज बहादुर को बीएसएफ से बर्खास्त कर दिया गया। उन पर सीमा सुरक्षा बल का अनुशासन तोड़ने को लेकर जांच की गई थी।
बर्खास्त किए जाने के बाद तेजबहादुर ने फौजी एकता न्याय कल्याण मंच नामक एक एनजीओ बनाया और अब वह वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। वाराणसी में अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है, और मतों की गिनती 23 मई को होगी।