लोकसभा चुनावः उम्मीदवारों की घोषणा के बाद आरजेडी-कांग्रेस के नेताओं के बगावती तेवर, मुश्किल में महागठबंधन!
By एस पी सिन्हा | Published: March 31, 2019 09:03 AM2019-03-31T09:03:54+5:302019-03-31T11:39:54+5:30
लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे के बाद कांग्रेस और आरजेडी के अंदर नेताओं में बगावती तेवर तेज हो गया है।
बिहार में महागठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे के बाद अब दलों के अंदर नेताओं के बगावती सुर तेज हो गए हैं. राजद से अली अशरफ फातमी के बाद अब लवली आनंद कांग्रेस से बागी हो गई हैं. लवली आनंद ने अब अकेले ही शिवहर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
नाराज लवली आनंद ने कहा कि वह शिवहर से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने कहा, ''मैंने पहले ही इस सीट के बारे में आलाकमान को बता चुकी हूं. लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया. यह सीट महागठबंधन में कांग्रेस के पास थी, लेकिन इसे राजद को दे दिया गया.'' कांग्रेस की बागी नेता लवली आनंद ने धांधली का आरोप लगाया है कि शिवहर लोकसभा सीट पैसे देकर खरीदी गई है. उन्होंने कहा कि जल्द सच्चाई सामने आ जाएगी.
आनंद मोहन दो बार यहां से सांसद रह चुके हैं, जनता हमारे साथ है, मैं जल्द वहां जा रही हूं, कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करुंगी. वहीं, राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि वह भी चुनाव लड़ना चाहते थे. उन्हें टिकट नहीं मिला, लेकिन वह फातमी की तरह अलग गुट नहीं बनाएंगे क्योंकि देश के हालात इस बात की इजाजत नहीं देती है. तिवारी ने यह भी कहा कि फातमी दल से अलग नहीं जाएंगे.
फातमी इस उम्र में ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि वो अब कहां जाएंगे? बगावत कर चुनाव लड़ना उनके समर्थकों के लिए भी संकट पैदा करेगा. ऐसे में वह चुनाव जीत भी नहीं सकते. आज देश का मुसलमान नरेंद्र मोदी की सरकार को हर हाल में हटाना चाहता है.
ऐसे में फातमी की कोशिश राजग को सपोर्ट जैसा होगा. इधर, राजद में टिकट नहीं मिलने को लेकर वरिष्ठ नेताओं का दुख बाहर आने पर जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने तंज कसा है. अजय आलोक ने कहा है कि राजद नेताओं का दर्द अब बाहर आ रहा है, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता क्या करें? वो टिकट के लिए पैसा दे नहीं सकते थे. यहां छोटे साहब (तेजस्वी यादव) बिना पैसों के टिकट दे नहीं सकते थे. राजद के नेताओं के प्रति हमारी सहानुभूति है. यहां बता दें कि बिहार में महागठबंधन में कई ऐसे वरिष्ठ नेता हैं, जिनके चुनाव लड़ने के सपने इस बार चूर-चूर हो गए. इनमें निखिल कुमार और डॉ. शकील अहमद भी शामिल हैं और उनका भी दर्द बाहर आ चुका है.