जदयू ने तेजस्वी यादव से पूछा, अनंत सिंह 'बैड एलिमेंट' से कैसे बन गए RJD के लिए हो गए 'गुड एलिमेंट'

By एस पी सिन्हा | Updated: May 9, 2019 16:09 IST2019-05-09T16:09:10+5:302019-05-09T16:09:10+5:30

बिहार पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मोकामा के विधायक अनंत सिंह को 'बैड एलिमेंट' कहने के बावजूद रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस लोकसभा क्षेत्र के लगभग 50 गांवों में उनका रोड शो तक करवाया है।

lok sabha election 2019 JDU comment on Tejashwi Yadav how Anant Singh become good element | जदयू ने तेजस्वी यादव से पूछा, अनंत सिंह 'बैड एलिमेंट' से कैसे बन गए RJD के लिए हो गए 'गुड एलिमेंट'

तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)

Highlightsचुनाव प्रचार के इस दौर में सबकी निगाहें वैशाली सीट पर है, जहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजद के वरिष्ठ नेता डा रघुवंश प्रसाद सिंह चुनावी मैदान में हैं. बिहार के वैशाली संसदीय सीट पर जातीय समीकरण का उलझाव ऐसा है कि यहां दो अपर कास्ट के बीच ही वर्चस्व का संघर्ष है

बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार का दौर अभी 'पीक' पर है. छठे चरण के चुनाव में 12 मई को मतदान होना है. इसे लेकर दोनों दल यानी महागठबंधन और एनडीए के नेता अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. चुनाव प्रचार के इस दौर में सबकी निगाहें वैशाली सीट पर है, जहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजद के वरिष्ठ नेता डा रघुवंश प्रसाद सिंह चुनावी मैदान में हैं. 

वैशाली में उनका मुकाबला लोजपा की वीणा देवी से हो रहा है. वैशाली की लड़ाई जीतने के लिए राजद ने अब "बैड एलिमेंट" करार दिए गए अनंत सिंह की मदद ली है. वैशाली में राजद प्रत्याशी डा. रघुवंश प्रसाद सिंह के लिए अनंत सिंह ने आज रोड शो किया. अनंत सिंह वैशाली के राजद प्रत्याशी रघुवंश सिंह के लिए वोट मांगेंगे. बता देंकि तेजस्वी यादव ने अनंत सिंह को "बैड एलिमेंट" तक करार दिया था, जिसके बाद उनकी पत्नी नीलम देवी को कांग्रेस ने मुंगेर से प्रत्याशी बनाया था. तेजस्वी ने तब अनंत सिंह की पत्नी के चुनाव प्रचार में मुंगेर के अलग-अलग इलाकों में लगातार तीन जनसभाएं की थीं. अब अनंत सिंह राजद उम्मीदवारों के लिए रोड शो किया क्योंकि वैशाली में भूमिहार मतदाताओं की भी संख्या काफी है और राजद को विश्वास है कि अनंत सिंह वहां के भूमिहार मतदाताओं को उनके पाले में करने में मददगार साबित होंगे. 

मोकामा विधायक अनंत सिंह के रोड शो पर ने साधा निशाना

वहीं, अनंत सिंह के रोड शो पर जदयू ने निशाना साधा है. पार्टी के प्रवक्ता और अनंत सिंह के कट्टर विरोधी कहे जाने वाले विधान पार्षद नीरज कुमार ने अनंत सिंह और राजद नेताओं पर कटाक्ष किया है. नीरज ने ट्वीट कर लिखा है कि मोकामा के राजनीति के पुदीना सिंह आज वैशाली में रोड शो करने जा रहे हैं. राजद की चुनावी नैया ऐसे 'बैड इलेमेंट' के बिना पार भी नहीं होगी. राजद को जेल के सेल में बंद कुख्यात अपराधियो का समर्थनपत्र भी ले लेना चाहिए! तेजस्वी यादवजी, शहाबुद्दीन, राजबल्लभ का तो समर्थन-पत्र ले लिए न? एक अन्य ट्वीट में कहा है कि 'अवैध संपत्ति की दुकानबंद होने के डर से 'बैड इलेमेंट' भी 'गुड इलेमेंट' हो गया. तेजस्वी की पार्टी राजद के पक्ष में राजनीति के पुदीना सिंह वैशाली में वोट मांगेंगे!' साथ ही कहा है कि 'फिर से उस दौर में बिहार को लोग नही जाने देंगे. सत्ता के लिए इतने गिर गये राजद.'

वैशाली संसदीय सीट का जातीय समीकरण

दरअसल, बिहार के वैशाली संसदीय सीट पर जातीय समीकरण का उलझाव ऐसा है कि यहां दो अपर कास्ट के बीच ही वर्चस्व का संघर्ष है. इसकी एकजुटता और बिखराव पर यहां की राजनीतिक दिशा तय होती है.  जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो इस सीट पर 12 चुनावों में से दस बार राजपूत उम्मीदवार की जीत हुई है. दो बार भूमिहार उम्मीदवार जीते, जबकि भूमिहार जाति के उम्मीदवार छह बार दूसरे स्थान पर रहे. हालांकि 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बीच दो राजपूतों के बीच संघर्ष हुआ, लेकिन जीत लोजपा (रामविलास पासवान की पार्टी) के रामाकिशोर सिंह को मिली और राजद के डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया था. 

हालांकि इस बार जदयू के कद्दावर नेता दिनेश सिंह की पत्नी वीणा देवी लोजपा के टिकट पर मैदान में हैं. ऐसे में डा. रघुवंश प्रसाद सिंह के सामने जटिल जातीय समीकरणों के बीच गढ़ बचाने की चुनौती है. 

 वैशाली लोकसभा सीट का इतिहात 

उल्लेखनीय है कि वैशाली लोकसभा सीट से दिग्विजय नारायण सिंह 1952 से 1996 तक छह बार सांसद रह चुके हैं. जबकि 5 बार राजद को जीत मिली है. पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह यहां से लगातार पांच बार सांसद रहे हैं. 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के सिर जीत का सेहरा बंधा. वहीं, पहली महिला किशोरी सिन्हा हैं, वह 1980 इस सीट जनता पार्टी के टिकट से चुनाव जीती थीं. 1994 में आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह की पत्नी किशोरी सिन्हा को पराजित कर दिया था.

वैशाली लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- मीनापुर, कांटी, बरुराज, पारु, साहेबगंज और वैशाली. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 में से तीन सीटें राजद ने जीती थीं. वहीं भाजपा, जदयू और निर्दलीय उम्मीदवार एक-एक सीट पर जीतने में कामयाब रहे थे. हालांकि पिछला चुनाव चतुष्कोणीय हो गया था. इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी करीब 13 प्रतिशत है. 

ऐसे में राजपूत और भूमिहार वर्चस्व के लिए यहां हमेशा मुकाबला होता रहा है. इस सीट पर भूमिहार वोट को ही निर्णायक माना जाता है. 

हालांकि इस बार एनडीए और महागठबंधन में सीधा मुकाबला है. वहीं, तेजस्वी यादव के सवर्ण आरक्षण विरोध के बावजूद डा. रघुवंश प्रसाद सिंह हर हाल में चाहते हैं कि उन्हें भूमिहारों का साथ मिले. इसके लिए वे तमाम जुगत लगा रहे हैं. 

मोकामा के विधायक अनंत सिंह को तेजस्वी यादव ने कहा था 'बैड एलिमेंट'

तेजस्वी यादव ने मोकामा के विधायक अनंत सिंह को 'बैड एलिमेंट' कहने के बावजूद रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस लोकसभा क्षेत्र के लगभग 50 गांवों में उनका रोड शो तक करवाया है. वहीं, डा. रघुवंश प्रसाद सिंह राजद के पुराने घोषणा पत्र की प्रति भी दिखाते चल रहे हैं कि उनकी पार्टी ने ही सबसे पहले सवर्ण आरक्षण की मांग की थी. 

दूसरी ओर लोजपा पीएम मोदी के नाम पर सवर्ण वोट को अपना माने बैठी है. लेकिन स्थानीय राजनीति के लिहाज से मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर समीर कुमार की हत्या की गूंज इस चुनाव में सुनाई पड़ रही है. भूमिहार मतदाताओं के दिमाग में यह बात आ गई है कि समीर कुमार की हत्या में जदयू नेता दिनेश सिंह का हाथ है. भूमिहार वोटरों की इसी नाराजगी को देखते हुए दिनेश सिंह ने समीर कुमार की पत्नी के साथ मीडिया के सामने मुलाकात की और उन्हें अपनी बहन और अपने परिवार का हिस्सा बताया. हालांकि, डा. रघुवंश प्रसाद सिंह भी अपनी हर रणनीति को आजमा रहे हैं.

इस सीट पर अगड़ी जातियों को शुरू से बोल-बाला रहा है. यहां राजपूत, यादव और भूमिहार जाति के वोटर ज्यादा हैं, लेकिन कई उपजातियों को मिलाने के बाद अतिपछडों और दलितों की आबादी की यहां निर्णायक है. भूमिहार, राजपूत, यादव और मुस्लिम मतों के अलावा ब्राह्मण, पचपनिया और दलित-महादलित समुदाय के शेष 42 प्रतिशत मतदाताओं में खासकर कुर्मी, कुशवाहा और नोनिया जाति को वोटर चुनाव पर असर डालते हैं.

तेजस्वी के सवर्ण आरक्षण विरोधी बयान का भी असर सवर्ण मतदाताओं पर 

वहीं, जदयू के पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला (भूमिहार जाति से आते हैं) और उनकी पत्नी अनु शुक्ला अपने लोगों से नोटा दबाने की अपील कर रहे हैं. मुकेश सहनी फैक्टर के कारण निषाद मतदाता महागठबंधन की ओर शिफ्ट होते दिख रहे हैं. 

हालांकि वीणा देवी को वैशाली का स्थानीय होने का लाभ मिल सकता है, जबकि डा. रघुंश प्रसाद सिंह महनार से आते हैं. 

यही नहीं तेजस्वी के सवर्ण आरक्षण विरोधी बयान का भी असर सवर्ण मतदाताओं के बीच देखा जा रहा है. 

यहां उल्लेखनीय है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मिलने के लिए दिसंबर 2018 में रांची पहुंचे तेजस्वी यादव से अनंत सिंह के महागठबंधन में शामिल होने की बात पूछे जाने पर उन्होंने दो टूक कहा था कि 'बैड एलिमेंट' के लिए महागठबंधन में कोई जगह नहीं है. उन्होंने साफ कहा कि किसी के कुछ बोलने से कुछ फर्क नहीं पड़ता है.

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