लोकसभा चुनाव: क्यों रामपुर में जया प्रदा बन गई हैं आजम खान के लिए चुनौती?

By विकास कुमार | Published: April 10, 2019 04:09 PM2019-04-10T16:09:11+5:302019-04-10T17:01:29+5:30

रामपुर में भी आजम खान के विरोधियों की एक लम्बी तादाद है. नूरानी मस्जिद को तोड़ने का आरोप आजम खान पर लगा है जिसके कारण रामपुर क्षेत्र के मुस्लिम वोटरों के बीच एक बंटवारे की लकीर खींच चुकी है. आजम खान के समर्थकों की भी अच्छी खासी तादाद है लेकिन मीडिया रिपोर्ट में कई मुस्लिम वोटर जया प्रदा का नाम भी लेते दिख रहे हैं.

LOK SABHA ELECTION 2019: Jaya Prada will give tough fight to azam khan in rampur | लोकसभा चुनाव: क्यों रामपुर में जया प्रदा बन गई हैं आजम खान के लिए चुनौती?

लोकसभा चुनाव: क्यों रामपुर में जया प्रदा बन गई हैं आजम खान के लिए चुनौती?

Highlightsसवर्ण हिन्दू को उम्मीदवार बना कर कांग्रेस बीजेपी के वोटों का बंटवारा चाहती है.रामपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और उनकी आबादी 51 प्रतिशत है.जया प्रदा की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के पीछे शुरूआती दौर में आजम खान का ही हांथ था.

उत्तर प्रदेश संसदीय चुनाव का पॉलिटिकल सेंटर माना जाता है. लोकसभा चुनाव में इस बार वाराणसी और आजमगढ़ के अलावा रामपुर संसदीय क्षेत्र भी राजनीतिक चर्चा के केंद्र में है. कभी समाजवादी पार्टी से सांसद रहीं जया प्रदाइस बार बीजेपी से चुनावी मैदान में हैं और अपने प्रतिद्वंदी आजम खान को मजबूत चुनौती पेश करती हुई नजर आ रही हैं. 

मंदिर, मजार और गुरुद्वारे में माथा टेकना हो या पब्लिक रैली के दौरान जनता से भावनात्मक अपील करना हो, जया प्रदा का चुनाव प्रचार एक मझे हुए नेता के अंदाज में आगे बढ़ रहा है. रामपुर से 2004 से 2014 तक सांसद रह चुकी जया प्रदाक्षेत्र के राजनीतिक समीकरणों से भली-भांति परिचित हैं. 

जया प्रदा अपनी रैलियों के दौरान आजम खान पर तहजीब में रहते हुए निशाना साध रही हैं तो वहीं समाजवादी पार्टी के नेताओं द्वारा बार-बार नाचने वाली बोले जाने से लोगों में जया प्रदाके प्रति सहानुभूति बढ़ती जा रही है. जया प्रदा ने हाल ही में एक रैली में कहा कि आजम खान उन पर तेज़ाब से हमला करवाना चाहते थे और इतना कहते ही फफक-फफक कर रोने लगीं. इसके बाद रैली में आजम खान मुर्दाबाद के नारे तैरने लगें. 

जया पर्दा को मिल रहा समर्थन 

जया प्रदा की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के पीछे शुरूआती दौर में आजम खान का ही हांथ था. लेकिन 2009 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने आजम खान पर अपनी फर्जी तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैलाने का आरोप लगा कर सबको चौंका दिया था. इसी साल हुए लोकसभा का चुनाव उन्होंने बिना आजम खान के समर्थन के जीत लिया था जिसने उनके एक मजबूत नेता के रूप में उभरने पर मुहर लगाया. इस दौरान उन्हें अपने राजनीतिक गॉडफादर अमर सिंह का भरपूर समर्थन मिला. 

रामपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और उनकी आबादी 51 प्रतिशत है. हिन्दुओं की तादाद 46 फीसदी है. 2014 में इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार डॉ नेपाल सिंह ने एसपी के प्रत्याशी नसीर अहमद खान को 23 हजार वोटों से हराया था. मुस्लिम वोटों की तादाद ज्यादा होने से आजम खान की उम्मीदवारी को ज्यादा मजबूत माना जा रहा है. किसी भी मुस्लिम बहुल सीट पर एक मजबूत मुस्लिम चेहरा के मुस्लिम विरोधियों की संख्या भी कम नहीं होती.

आजम खान के विरोधी 

रामपुर में भी आजम खान के विरोधियों की एक लम्बी तादाद है. नूरानी मस्जिद को तोड़ने का आरोप आजम खान पर लगा है जिसके कारण रामपुर क्षेत्र के मुस्लिम वोटरों के बीच एक बंटवारे की लकीर खींच चुकी है. आजम खान के समर्थकों की भी अच्छी खासी तादाद है लेकिन मीडिया रिपोर्ट में कई मुस्लिम वोटर जया प्रदा का नाम भी लेते दिख रहे हैं. कांग्रेस ने इस सीट से संजय कपूर को उम्मीदवार बनाया है. 

कांग्रेस का डमी कैंडिडेट 

ऐसा माना जा रहा है कि सवर्ण हिन्दू को उम्मीदवार बना कर कांग्रेस बीजेपी के वोटों का बंटवारा चाहती है. लेकिन मुस्लिम वोटरों में आजम खान और कांग्रेस के उम्मीदवार के बीच भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है. रामपुर का नवाब परिवार हमेशा से आजम खान की मुखालफ़त करता रहा है. कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के कारण यह परिवार जया प्रदा के पक्ष में मुस्लिमों को लामबंद करने की कोशिश कर रहा है.

रामपुर में ध्रुवीकरण की राजनीति भी चरम पर है. योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उर्दू गेट को तोड़ कर अपने मंसूबे पहले ही जाहिर कर दिए थे. आजम खान अपनी रैलियों में पीएम मोदी को मुसलमानों का हत्यारा बता रहे हैं. कूल मिला कर अपने वोटबैंक को साधने की पूरी कोशिश की जा रही है. लेकिन मौजूदा वक्त की राजनीति में वोटबैंक की प्रासंगिकता अपने आप में एक विवादित नैरेटिव है. 
 

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