लोकसभा चुनावः राजस्थान का रेगिस्तान बनेगा चुनावी अखाड़ा, कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती-BJP झोंकेगी पूरी ताकत!
By रामदीप मिश्रा | Published: February 4, 2019 03:46 PM2019-02-04T15:46:24+5:302019-02-04T15:53:04+5:30
लोकसभा सीट बाड़मेरः भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) वर्तमान सांसद कर्नल सोनाराम पर भाग्य आजमाने की कोशिश करेगी वहीं कांग्रेस के लिए प्रत्याशी का चुनाव करना आसान नहीं होगा।
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव-2019 करीब आते जा रहे हैं वैसे-वैसे राजस्थान के रेगिस्तान में सियासी अखाड़े का शोर सुनाई देने लग गया है। सूबे की बाड़मेर लोकसभा सीट पर साल 2014 के चुनावों की तरह इस बार भी चिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) वर्तमान सांसद कर्नल सोनाराम पर भाग्य आजमाने की कोशिश करेगी वहीं कांग्रेस के लिए प्रत्याशी का चुनाव करना आसान नहीं होगा। साथ ही साथ आज आपको बताते हैं क्या रहा है इस बाड़मेर लोकसभा सीट का इतिहास और किस तरह पिछले चुनाव में बजी थी रणभेरी...
सोनाराम को दिया बीजेपी ने टिकट
बाड़मेर लोकसभा सीट सामान्य है। इस सीट पर बीजेपी अभी तक केवल दो बार ही जीत हासिल कर सकी है। यहां गत लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मौजूदा सांसद कर्नल सोनाराम ने बड़ा दांव खेला था और कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। यह उनके लिए बेहतर साबित हुआ और मोदी लहर में उन्होंने सीट पर विजय पायी। हालांकि, बीजेपी को इस सीट से सोनाराम को लड़वाना महंगा पड़ गया। इससे उनके दिग्गज नेता और पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल का टिकट कटने से वे नाराज हो गए।
मानवेंद्र ने थाम लिया था कांग्रेस का दामन
जसवंत सिंह के नाराज होने की वजह से रेगिस्तान में सियासी बवंडर खड़ा हो गया था और खुद निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मैदान में आ गए थे। हालांकि हार का सामना करने के बाद यह सियासी तूफान खत्म नहीं हुआ और पिछले साल के आखिरी में हुए विधासभा चुनाव से ठीक पहले जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस के टिकट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने झालारापाटन सीट से चुनाव लड़ा और हार हार गए। इसके बाद अब ऐसा लगने लगा है कि उनकी निगाहें फिर से बाड़मेर पर टिक गई हैं।
कांग्रेस के सामने खड़ी है ये बड़ी चुनौती
अब बताया जा रहा है कि बाड़मेर लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस से तीन नाम आगे चल रहे हैं, जिसमें मानवेन्द्र सिंह, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और राजस्थान विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष रहीं प्रभा चौधरी शामिल हैं। पार्टी इन्हीं तीन नामों में से किसी एक नाम पर मुहर लगा सकती है। लेकिन, उसके पास मानवेंद्र सिंह को लेकर चुनौती रहेगी क्योंकि उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले पचपदरा में 'स्वाभिमान रैली' कर 'कमल का फूल, हमारी भूल' कहते पार्टी छोड़ दी थी।
नौ बार जीत चुकी कांग्रेस
बाड़मेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने नौ बार जीत दर्ज की है। उसने पहली बार 1967 में फिर 1971, 1980, 1984, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2009 जीत हासिल की। जबकि, बीजेपी ने पहली बार 2004 में मानवेंद्र सिंह को चुनावी मैंदान में उतारक जीत हासिल की थी और दूसरी बार 2014 में कर्नल सोनाराम को टिकट देकर जीत दर्ज की। इससे पहले सोनाराम दो बार कांग्रेस से सांसद रहे, जिसमें उन्होंने 1998 में बीजेपी के लोकेन्द्र सिंह कालवी को हराया और 1999 में फिर जीत दर्ज करते हुए बीजेपी के मानवेन्द्र सिंह को हराया।
पिछले लोकसभा चुनाव के पढ़ें आंकड़े
अगर पिछले लोकसभा चुनाव-2014 के आंकड़े देखें तो चुनाव आयोग के मुताबिक, यहां 16 लाख, 78 हजार, 686 वोटों की संख्या थी। इनमें से 12 लाख, 15 हजार, 991 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। साथ ही साथा यहां 72.44 फीसदी वोटिंग हुई थी। बीजेपी उम्मीदवार कर्नल सोनाराम को 4 लाख, 88 हजार, 747 वोट मिले थे, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार जसवंत दूसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 4 लाख, 1 हजार, 286 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी और उसके उम्मीदवार हरीश चौधरी को 2 लाख, 20 हजार 881 वोट मिले थे।