60 घंटों में तीन टारगेट किलिंग पर बोले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा- आतंकियों से निपटने के लिए सुरक्षाबलों को दी गई पूरी आजादी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: October 18, 2022 15:44 IST2022-10-18T15:42:29+5:302022-10-18T15:44:57+5:30

इन ताबड़तोड़ हत्याओं के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शोपियां में गैर-कश्मीरी श्रमिकों की हत्या के मामले को बर्बर बताया है। उन्होंने कहा कि इस बर्बर आतंकी हमले की शब्दों में निंदा करना ही काफी नहीं हो सकती।

LG Manoj Sinha said on three target killings full freedom given to security forces to deal with terrorists | 60 घंटों में तीन टारगेट किलिंग पर बोले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा- आतंकियों से निपटने के लिए सुरक्षाबलों को दी गई पूरी आजादी

60 घंटों में तीन टारगेट किलिंग पर बोले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा- आतंकियों से निपटने के लिए सुरक्षाबलों को दी गई पूरी आजादी

Highlightsउपराज्यपाल ने कहा कि हर समुदाय के लोगों को जघन्य कृत्यों की निंदा करने और आतंक और उसके तत्वों को जड़ से खत्म करने के लिए एक साथ आना चाहिए।उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों को पूरी आजादी दी है।उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ये भी कहा कि सभ्य समाज के लिए आतंकवाद एक अभिशाप है।

जम्मू: आतंकियों ने 60 घंटों के भीतर चुन-चुनकर तीन लोगों को मार डाला है। हालांकि, दो हत्यारों को कुछ ही घंटों के भीतर पकड़ भी लिया गया है। मगर लोगों के दिलों से खासकर प्रवासी नागरिकों और कश्मीर पंडितों के दिलों से डर नहीं निकल पाया है। इतना जरूर था कि इस डर को भगाने की खातिर उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने यह घोषणा की है कि आतंकियों से निपटने के लिए सुरक्षाबलों को पूरी आजादी दे दी गई है।

अधिकारी कहते थे कि टारगेट किलिंग कश्मीर में अशांति फैलाने और लोगों में असुरक्षा की भावना को लाने के लिए पाकिस्तान की यह नई योजना है। आतंकी संगठन इसी दिशा में अब काम कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने भी इस बात का खुलासा किया है कि इसका एक और मकसद अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजना और अब विधानसभा चुनाव से पहले दूसरे राज्य के लोगों को मताधिकार देने के फैसले पर पानी फेरना भी है।

रिपोर्ट के अनुसार इस साल जम्मू कश्मीर में लक्षित हमले के 23 मामलों में से ज्यादातर अल्पसंख्यकों, प्रवासियों और सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाने के उद्देश्य से हुए हैं। जुलाई, अगस्त व सितंबर में तीन महीने की खामोशी के बाद एक बार घाटी में टारगेट किलिंग होने लगी है। अक्टूबर माह में 60 घंटे के भीतर कश्मीरी पंडित और उत्तर प्रदेश के दो श्रमिकों की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। 

इससे पहले मई व जून के महीने में 10 लोगों की हत्या की। इनमें 31 मई को कुलगाम के गोपालापोरा में सांबा निवासी शिक्षक रजनी बाला, 25 मई को बडगाम में टीवी कलाकार अमरीन भट की घर के बाहर, 12 मई को बडगाम के चाडूरा तहसील कार्यालय परिसर में घुसकर कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट की हत्या कर दी गई।

17 मई को बारामुल्ला में शराब की दुकान पर ग्रेनेड हमला किया गया जिसमें सेल्समैन रंजीत सिंह की जान चली गई। दो जून को कुलगाम में बैंक प्रबंधक की गोली मारकर हत्या की गई। इसी दिन बडगाम में दो गैर कश्मीरी मजदूरों को निशाना बनाया गया जिसमें एक की मौत हो गई। इन ताबड़तोड़ हत्याओं के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शोपियां में गैर-कश्मीरी श्रमिकों की हत्या के मामले को बर्बर बताया है। 

उन्होंने कहा कि इस बर्बर आतंकी हमले की शब्दों में निंदा करना ही काफी नहीं हो सकती। उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना है। आतंकी इकोसिस्टम को कुचलने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं और सुरक्षाबलों को पूरी आजादी दे दी गई है। साथ ही उन्होंने कहा कि शोपियां जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को पूरे सम्मान के साथ श्रमिकों के पार्थिव शरीर को उनके संबंधित गांवों में भेजे जाने की व्यवस्था करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है।

उपराज्यपाल ने कहा कि यूपी के कन्नौज के निवासी मनीष कुमार और राम सागर पर हुए आतंकी हमले की शब्दों में निंदा पर्याप्त नहीं हो सकती। उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। दो आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सुरक्षाबलों को आतंक तंत्र को ध्वस्त करने के लिए निर्देशित किया गया है। मनोज सिन्हा ने कहा कि आतंकियों और आतंकी इकोसिस्टम को कुचलने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। 

सुरक्षाबलों को पूरी आजादी दी है। सभ्य समाज के लिए आतंकवाद एक अभिशाप है। हर समुदाय के लोगों को जघन्य कृत्यों की निंदा करने और आतंक और उसके तत्वों को जड़ से खत्म करने के लिए एक साथ आना चाहिए।

वर्ष 2022 में कश्मीर में हुई टारगेट किलिंग और आतंकियों द्वारा की गई हत्याओं का विवरण

29 जनवरी-बिजबिहाड़ा, अनंतनाग में अली मुहम्मद नामक पुलिसकर्मी  की हत्या।

11 फरवरी-बांडीपोरा में जुबैर अहमद नामक पुलिसकर्मी की हत्या।

2 मार्च-कुलगाम में पंच मुहम्मद याकूब डार की हत्या।

6 मार्च-श्रीनगर के मीराकदल में दो नागरिकों की हत्या।

9 मार्च-खनमोह श्रीनगर में सरपंच समीर बट की हत्या।

11 मार्च-कुलगाम में सरपंच शब्बीर अहमद की हत्या।

12 मार्च-शोपियां में केरिपुब के जवान मुख्तयार अहमद की हत्या। जवान अवकाश पर घर आया था।

21 मार्च-बडगाम में नागरिक तज्जमुल राथर की हत्या।

4 अप्रैल-मैसूमा श्रीनगर में केरिपुब जवान की हत्या।

13 अप्रैल-कुलागाम में हिन्दू नागरिक सतीश सिंह की हत्या।

15 अप्रैल-पट्टन में सरपंच मंजूर बांगरू की हत्या।

16 अप्रैल-कोकरनाग में लांस नायक नशीन की हत्या।

18 अप्रैल-पुलवामा के काकपोरा में आरपीएफ के दो जवानों की हत्या।

12 मई-कश्मीरी पंडित राहुल बट की बडगाम के चडूरा में हत्या।

12 मई-वुलवामा में कश्मीर पुलिस के कांस्टेबल रियाज अहमद की हत्या।

24 मई-श्रीनगर के अंचर इलाके में कश्मीर पुलिस के सैफुल्लाह कादरी की हत्या।

25 मई-बडगाम के चडूरा में टीवी आर्टिस्ट मरीन बट की हत्या।

31 मई-कुलगाम के गोपालपोरा में कश्मीरी पंडित टीचर रजनी बाला की हत्या।

2 जून-राजस्थान के हनुमानगढ़ के रहने वाले बैंक मैनेजर विजय कुमार की कुलगाम में हत्या।

2 जून-बडगाम में बिहारी श्रमिक दिलखुश की हत्या।

17 जून-पुलवामा के पंपोर में कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर फायक हमद की हत्या।

4 अगस्त-बिहारी श्रमिक मुहम्मद मुनीर की बिजबिहाड़ा में हत्या।

5 अगस्त-कुलगाम में एक नागरिक की हत्या।

11 अगस्त-बांडीपोरा में बिहारी श्रमिक मुहम्मद अमरीज की हत्या।

13 अगस्त-राजौरी में फिदायीन हमले में पांच सैनिकों की मौत।

16 अगस्त-शोपियां में कश्मीरी पंडित सुनील कुमार की हत्या।

2 अक्टूबर- पुलवामा में कश्मीर पुलिस के जवान की हत्या।

15 अक्टूबर-शोपियां में कश्मीरी पंडित पूर्ण कृष्ण बट की हत्या।

17 अक्टूबर-शोपियां में दो प्रवासी श्रमिकों की हत्या।

Web Title: LG Manoj Sinha said on three target killings full freedom given to security forces to deal with terrorists

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