विक्टोरिया गौरी आज मद्रास हाईकोर्ट में जज के रूप में ली शपथ, नियुक्ति के खिलाफ सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
By अंजली चौहान | Updated: February 7, 2023 11:09 IST2023-02-07T10:58:06+5:302023-02-07T11:09:27+5:30
गौरतलब है विक्टोरिया गौरी का शपथ ग्रहण समारोह आज करीब साढे़ दस बजे आयोजित किया गया। जहां उन्होंने जज के रूप में शपथ ले ली है। वहीं, नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से मना कर दिया है।

(photo credit: ANI twitter)
नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय में जज के रूप में वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी मंगलवार को शपथ ली हैं। वहीं, उनके शपथ के विरोध में दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूर्ण वाली बेंच करने वाली थी लेकिन कोर्ट ने सुनवाई करने से मना कर दिया। वहीं, विक्टोरिया गौरी का शपथ ग्रहण समारोह आज करीब साढे़ दस बजे आयोजित किया गया। जहां उन्होंने जज के रूप में शपथ ले ली है।
Tamil Nadu | Advocate Lekshmana Chandra Victoria Gowri takes oath as an additional judge of the Madras High Court.
— ANI (@ANI) February 7, 2023
Hearing in the plea against her appointment is ongoing in the Supreme Court. pic.twitter.com/pNvN3tePyt
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच कॉलेजियम का मुद्दा सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। जजों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार ने जिन नामों की लिस्ट भेजी थी, उसमें विक्टोरिया गौरी का नाम भी शामिल है। हालांकि, उनके नाम को लेकर अन्य 21 वकीलों ने असहमती जताई है। वकीलों ने इस संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम द्वारा सौंपी गई फाइल को वापस करने का आग्रह किया था। विक्टोरिया गौरी वकील के साथ-साथ भाजपा की प्रतिनिधि भी है।
विरोध कर रहे वकीलों ने कुछ उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा है कि विक्टोरिया गौरी ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी। वकीलों ने आरोप लगाया है कि उनके बयान और विचार धार्मिक कट्टरता को दर्शाते हैं। ऐसे में उच्च न्यायालय के जज के रूप में उनकी नियुक्ति कही से भी उचित नहीं है। जानकारी के मुताबिक, साल 2018 में आरएसएस आयोजित एक कार्यक्रम में जब उन्हें बुलाया गया था तो वहां उन्होंने मुसलमानों और ईसाई धर्म के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी।
वकीलों का कहना है कि कॉलेजियन की सिफारिश में ऐसे एक व्यक्ति की नियुक्ति की है जो अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति नफरत रखता है, तो ऐसा व्यक्ति न्यायापालिक की निष्पक्षता की सार्वजनिक धारणा को नुकसान पहुंचाता है। वकीलों ने याचिका में सवाल किया कि अगर कल को ऐसे जज से कोई अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति न्याय की उम्मीद करेगा तो क्या उन्हें निष्पक्ष न्याय मिल पाएगा?