दुष्कर्म मामले में टिप्पणी पर न्यायालय के समर्थन में आयी भारतीय विधिज्ञ परिषद

By भाषा | Published: March 4, 2021 09:57 PM2021-03-04T21:57:05+5:302021-03-04T21:57:05+5:30

Legal Council of India came out in support of the court on the comments in the rape case | दुष्कर्म मामले में टिप्पणी पर न्यायालय के समर्थन में आयी भारतीय विधिज्ञ परिषद

दुष्कर्म मामले में टिप्पणी पर न्यायालय के समर्थन में आयी भारतीय विधिज्ञ परिषद

नयी दिल्ली, चार मार्च दुष्कर्म मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई एक टिप्पणी को लेकर उसके प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे सर्वोच्च न्यायपालिका को “बदनाम” न करें और उसकी कार्यवाहियों का इस्तेमाल “राजनीतिक फायदे” के लिये न करें। इन कार्यकर्ताओं ने प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे को पत्र लिखकर दुष्कर्म के मामले में की गई टिप्पणी को वापस लेने का अनुरोध किया था।

सर्वोच्च न्यायालय की संस्था ने एक बैठक के दौरान पारित किये गए प्रस्ताव में माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात द्वारा प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बोबडे को लिखे पत्र को न्यायपालिका पर “दुर्भावनापूर्ण हमला” करार देते हुए कहा कि बोलने व अभिव्यक्ति की आजादी को उस स्तर तक नहीं खींचा जाना चाहिए कि यह संस्थान की छिव को “धूमिल और कमजोर” करे।

उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों ने बुधवार को कहा था कि प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा दुष्कर्म के आरोपी से किया गया यह सवाल कि क्या वह पीड़िता से विवाह करेगा, ‘न्यायिक रिकॉर्ड’ पर आधारित था जो उस व्यक्ति के हलफनामे में शामिल था कि वह नाबालिग लड़की (रिश्तेदार) के 18 साल के हो जाने पर उससे विवाह करेगा।

सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी सोमवार को आरोपी की याचिका पर सुनवाई के दौरान की थी, जिसने बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ द्वारा अपनी अग्रिम जमानत को रद्द करने के फैसले को चुनौती दी थी।

अधिकारी ने सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही आलोचना को अनुचित करार देते हुए मामले के न्यायिक रिकॉर्ड का संदर्भ दिया था।

टिप्पणी को लेकर हालांकि तीखी प्रतिक्रियाएं हुईं। करात ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बोबडे को पत्र लिखकर उनसे टिप्पणी वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि अदालतों को यह आभास नहीं देना चाहिए कि वे ऐसे “प्रतिगामी” दृष्टिकोण का समर्थन करती हैं।

कई महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, प्रमुख हस्तियों, प्रबुद्धजनों, लेखकों और कलाकारों ने भी सीजेआई को खुला पत्र लिखकर उनसे माफी और टिप्पणी वापस लेने की मांग की है।

बीसीआई ने अपने अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के जरिये कहा कि वह राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा बिना मामले की तथ्यात्मक पृष्ठभूमि को जाने टिप्पणी करने की आदत की निंदा करता है। मामले की सुनवाई के दौरान पीठ तथ्यात्मक पृष्ठभूमि के आधार पर सवाल करती हैं।

प्रस्ताव में कहा गया, “कृपया संस्थान को बदनाम करने का प्रयास मत कीजिए, सर्वोच्च न्यायापालिका की अदालती कार्यवाहियों से राजनीतिक फायदा मत लीजिए, देश आपको माफ नहीं करेगा। भारत एक विशाल देश है, कुछ सौ व्यक्तियों के हस्ताक्षर वाली पहल निरर्थक और बेकार है।

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Web Title: Legal Council of India came out in support of the court on the comments in the rape case

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