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रोजगार की मांग को लेकर वाम-कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मार्च के दौरान पुलिस के साथ झड़प

By भाषा | Updated: February 11, 2021 20:31 IST

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कोलकाता, 11 फरवरी वाम मोर्चा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मध्य कोलकाता के एस्प्लेनेड क्षेत्र में बृहस्पतिवार दोपहर में पुलिस के साथ झड़प हुई क्योंकि कार्यकर्ताओं ने रोजगार की मांग को लेकर राज्य के सचिवालय नबान्न तक के अपने मार्च के रास्ते में लगे बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की। इसमें कई कार्यकर्ताओं के साथ ही पुलिस को भी चोटें आयीं।

वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने ‘‘तृणमूल कांग्रेस सरकार के पुलिस बल’’ द्वारा छात्रों एवं युवाओं और महिलाओं पर किए गए क्रूर हमलों की निंदा करते हुए इसके विरोध में शुक्रवार को सुबह 6 बजे से वाम दलों और सहयोगी दलों द्वारा 12 घंटे के पश्चिम बंगाल बंद की घोषणा की।

बोस ने एक बयान में कहा, ‘‘जिस तरह से पुलिस ने नबान्न तक के मार्च में शामिल व्यक्तियों पर अत्याचारों किये, उससे एक ऐसी स्थिति निर्मित हुई जो कि कुछ हद तक ऐतिहासिक जलियांवाला बाग की घटना से मिलती जुलती है।’’

वाम मोर्चे अध्यक्ष ने दावा किया कि पुलिस की कार्रवाई में नौकरियों और बेहतर शिक्षा सुविधाओं की मांग को लेकर 'नबान्न अभियान' में शामिल वाममोर्चा और कांग्रेस के 150 से अधिक छात्र, युवक एवं युवतियां घायल हुए।

बोस ने कहा कि बंद के आह्वान पर वाम मोर्चा के घटक दलों और कांग्रेस पार्टी के साथ चर्चा हुई है, जिसके साथ उसने पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी गठबंधन किया है।

बंगाल में विधानसभा चुनाव को टीएमसी और भाजपा के साथ त्रिकोणीय लड़ाई बनाने के लिए वाम-कांग्रेस का गठबंधन हुआ है।

मार्च कॉलेज स्ट्रीट से शुरू हुआ लेकिन पुलिस ने उसे एस्प्लेनेड क्षेत्र में एसएन बनर्जी रोड पर रोक दिया।

कार्यकर्ताओं ने जब धातु के भारी बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की तब पुलिस ने पानी की बौछार की।

ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वाममोर्चा की युवा इकाई के कार्यकर्ताओं और छात्रों ने बैरिकेड पर चढ़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू-गैस के गोले भी छोड़े।

झड़प में पुलिस के कुछ अधिकारियों के भी घायल होने की सूचना है।

माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन और मांगों को दबाने के लिए पूरी तरह से पुलिस बल पर निर्भर है।

घटना के बाद यहां माकपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘वह बेरोजगार युवाओं से एक ज्ञापन प्राप्त करने से क्यों डरती हैं।’’

आंदोलनकारियों पर हमलों की निंदा करते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार ने लोगों का विश्वास खो दिया है और विरोध प्रदर्शनों का हिंसक दमन इसका एक संकेत है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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