लैपटॉप, कैमरा, चार्जर, चश्मा और एटीएम कार्ड चोरी?, ट्रेन में यात्रा करते समय अपने सामान की सुरक्षा के लिए यात्री खुद जिम्मेदार, दिल्ली हाईकोर्ट फैसला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 9, 2025 21:30 IST2025-04-09T21:29:32+5:302025-04-09T21:30:35+5:30

न्यायमूर्ति रवीन्द्र डुडेजा ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसमें एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि जनवरी 2013 में नयी दिल्ली से नागपुर की यात्रा करते समय उसका बैग चोरी हो गया था, जिसमें लैपटॉप, कैमरा, चार्जर, चश्मा और एटीएम कार्ड जैसे सामान थे।

Laptop, camera, charger, glasses ATM cards stolen Passengers themselves responsible safety their belongings traveling in train Delhi High Court decision | लैपटॉप, कैमरा, चार्जर, चश्मा और एटीएम कार्ड चोरी?, ट्रेन में यात्रा करते समय अपने सामान की सुरक्षा के लिए यात्री खुद जिम्मेदार, दिल्ली हाईकोर्ट फैसला

सांकेतिक फोटो

Highlightsराष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया था।असुविधा और उत्पीड़न के लिए एक लाख रुपये का मुआवजा मांगा था।फैसले में कहा गया कि टीटी की अनुपस्थिति मात्र से सेवा में कमी नहीं मानी जा सकती।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि ट्रेन में यात्रा करते समय अपने सामान की सुरक्षा के लिए यात्री खुद जिम्मेदार है। अगर रेल विभाग के अधिकारियों की लापरवाही या किसी प्रकार की गलती नहीं होती, तो रेलवे किसी भी चोरी की घटना के लिए जिम्मेदार नहीं है। न्यायमूर्ति रवीन्द्र डुडेजा ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसमें एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि जनवरी 2013 में नयी दिल्ली से नागपुर की यात्रा करते समय उसका बैग चोरी हो गया था, जिसमें लैपटॉप, कैमरा, चार्जर, चश्मा और एटीएम कार्ड जैसे सामान थे।

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया था। याचिका में उक्त व्यक्ति ने अपने चोरी हुए सामान के लिए 84,000 रुपये और रेलवे द्वारा दी गई कथित असुविधा और उत्पीड़न के लिए एक लाख रुपये का मुआवजा मांगा था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आयोग के निर्णय को सही ठहराया और कहा कि शिकायत मुख्य रूप से इस आधार पर थी कि सहायक सो रहा था और और असभ्य था तथा टीटी का कोच में पता नहीं चल पा रहा था। फैसले में कहा गया कि टीटी की अनुपस्थिति मात्र से सेवा में कमी नहीं मानी जा सकती।

क्योंकि ऐसा कोई आरोप नहीं है जिसमें कहा गया हो कि टीटी ने कोच का दरवाजा बंद नहीं किया था। उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने पाया कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि यात्री अपने सामान की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था, न कि रेलवे।

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