लक्षद्वीप प्रशासन ने प्रस्तावित कानूनों के मसौदे के खिलाफ याचिका का विरोध किया

By भाषा | Updated: July 12, 2021 22:31 IST2021-07-12T22:31:42+5:302021-07-12T22:31:42+5:30

Lakshadweep administration opposes petition against draft of proposed laws | लक्षद्वीप प्रशासन ने प्रस्तावित कानूनों के मसौदे के खिलाफ याचिका का विरोध किया

लक्षद्वीप प्रशासन ने प्रस्तावित कानूनों के मसौदे के खिलाफ याचिका का विरोध किया

कोच्चि, 12 जुलाई लक्षद्वीप प्रशासन ने सोमवार को द्वीप के सांसद पी पी मोहम्मद फैसल की ओर से दायर की गयी एक याचिका का विरोध किया, जिसमें प्रस्तावित कानूनों के मसौदे को वापस लेने की मांग की गई थी।

लक्षद्वीप प्रशासन कार्यालय के प्रशासनिक अधिकारी अंकित अग्रवाल की ओर से दायर किए गए जवाबी हलफनामे में कहा गया कि जब तक तैयार किया गया मसौदा कानून नहीं बन जाता तब तक इसके खिलाफ किसी प्रकार की चुनौती को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

फैसल ने पहले केरल उच्च न्यायालय का रुख कर प्रस्तावित कानूनों को वापस लेने का निर्देश देने की मांग की थी। फैसल ने अपनी याचिका में कहा था कि लक्षद्वीप के नागरिकों की ओर से आपत्तियां प्राप्त होने तक इन्हें लागू नहीं किया जाना चाहिए। फैसल ने अपनी याचिका में कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर लागू पाबंदियों के खत्म होने के बाद इस मामले की सुनवाई होनी चाहिए।

उन्होंने सार्वजनिक हित में लक्षद्वीप के लिए प्रस्तावित कानूनों के मसौदे के स्थानीय भाषा संस्करणों को प्रस्तुत करने के निर्देश देने की भी मांग की थी।

प्रशासनिक अधिकारी अंकित अग्रवाल की ओर से दायर किए गए जवाबी हलफनामे के मुताबिक यह भी निवेदन किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत मलयालम को लक्षद्वीप की आधिकारिक भाषा के रूप में नहीं अपनाया गया है। मिनिकॉय द्वीप को छोड़कर लक्षद्वीप के लोगों द्वारा प्रमुख रूप से बोली जाने वाली भाषा जेसेरी है, जिसकी कोई लिपि नहीं है और लक्षद्वीप के सभी स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाई जाती है।

लक्षद्वीप प्रशासन ने कहा कि रिट याचिका अनुरक्षणीय नहीं थी इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। प्रशासन ने अदालत को सूचित किया कि परामर्श प्रक्रिया के बाद कानूनों के मसौदे को गृह मंत्रालय को पहले ही भेज दिया गया है। कानूनों के मसौदे की जांच के साथ-साथ प्राप्त टिप्पणियों के बाद गृह मंत्रालय इसे विस्तृत जांच के लिए कानून एवं न्याय मंत्रालय को भेज देगा।

गृह मंत्रालय के साथ-साथ कानून एवं न्याय मंत्रालय कानूनों के मसौदे का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करेगा और यदि आवश्यक हो तो प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगेगा। दोनों मंत्रालयों की मंजूरी मिलने के बाद इसे केन्द्रीय मंत्रिमंडल को भेज दिया जाएगा।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे अंतिम स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। गौरतलब है कि लक्षद्वीप के निवासी प्रस्तावित लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन (एलडीएआर), लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन (पासा या गुंडा अधिनियम), और लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन (एलएपीआर) को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।

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Web Title: Lakshadweep administration opposes petition against draft of proposed laws

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