नई दिल्ली: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर यूपी सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई है। यूपी सरकार की ओर से मामले में दायर स्टेटस रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि इसमें कुछ नहीं है सिवाय इस बात के कि और प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ हो रही है।
कोर्ट ने साथ ही मामले की जांच हाई कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में कराने का सुझाव दिया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से शुक्रवार तक अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।
कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल होने तक मामले की जांच की निगरानी करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन या न्यायमूर्ति रंजीत सिंह के नाम का सुझाव दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब शुक्रवार को होगी।
'हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रहा सबकुछ'
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा कि कोर्ट ने जैसी उम्मीद की थी, ये वैसे नहीं हो रहा है।कोर्ट ने कहा, 'स्टेटस रिपोर्ट में यह कहने के अलावा कुछ भी नहीं है कि कुछ और गवाहों से पूछताछ की गई। हमने 10 दिन दिए। लैब की रिपोर्ट भी नहीं आई है। यह उस तरह से नहीं हो रहा है जैसा कि हमने उम्मीद की थी।'
इस पर यूपी सरकार की ओर से हरीश सल्वे ने कहा कि लैब रिपोर्ट 15 नवंबर तक आ जाएंगे। इस पर कोर्ट ने पूछा कि केवल आशीष मिश्रा का फोन ही जब्त क्यों किया गया, अन्य का क्यों नहीं?
बता दें कि चीफ जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है। लखीमपुर हिंसा की घटना 3 अक्टूबर को हुई थी। इसमें चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे। मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।