जनजातीय इलाकों में चिकित्सा सहायता की कमी, कुपोषण से कोई मौत नहीं चाहते: अदालत

By भाषा | Updated: September 20, 2021 20:10 IST2021-09-20T20:10:24+5:302021-09-20T20:10:24+5:30

Lack of medical aid in tribal areas, no one wants death due to malnutrition: Court | जनजातीय इलाकों में चिकित्सा सहायता की कमी, कुपोषण से कोई मौत नहीं चाहते: अदालत

जनजातीय इलाकों में चिकित्सा सहायता की कमी, कुपोषण से कोई मौत नहीं चाहते: अदालत

मुंबई, 20 सितंबर बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि राज्य के आदिवासी इलाकों में कुपोषण और चिकित्सा सहायता की कमी के कारण कोई मौत नहीं होनी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि वह एक विस्तृत आदेश पारित करेगी जिसमें राज्य सरकार को जनजातीय क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा करने और हर दो सप्ताह में उच्च न्यायालय में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाएगा।

जनजातीय क्षेत्रों में चिकित्सा सहायता की कमी के साथ-साथ कुपोषण और ऐसे कारकों का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा, “हम अब और मौत नहीं चाहते हैं। इसे रोकना होगा।”

पीठ ने कहा, “अगर किसी की मौत अप्रत्याशित परिस्थितियों में हो जाती है या इलाज के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका तो यह अलग बात है।”

उच्च न्यायालय 2007 में मेलघाट क्षेत्र में मुख्य रूप से कुपोषण के कारण बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की बड़ी संख्या में मौतों को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिका ने राज्य के मेलघाट और अन्य जनजातीय क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री रोग विशेषज्ञों, बाल रोग विशेषज्ञों और रेडियोलॉजिस्ट की कमी पर भी चिंता जताई गई है।

राज्य के महाधिवक्ता आसुतोष कुंभकोणि ने सोमवार को अदालत में एक हलफनामा दाखिल किया जिसमे जनजातीय आबादी की सहायता के लिये लागू की गयीं या प्रस्तावित योजनाओं के लिए उठाये गये कदमों का विवरण दिया गया है।

कुंभकोणि ने कहा कि राज्य सरकार जनजातीय आबादी के जीवन में सुधार के लिये प्रतिबद्ध है।

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Web Title: Lack of medical aid in tribal areas, no one wants death due to malnutrition: Court

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