Kuno National Park: भारत में जन्मे चीते के दो और शावकों की मौत, तीन दिन में 3 की गई जान, चौथे शावक की हालत स्थिर
By सतीश कुमार सिंह | Published: May 25, 2023 06:26 PM2023-05-25T18:26:58+5:302023-05-25T18:52:39+5:30
Kuno National Park: चीता ज्वाला को सितंबर 2022 में नामीबिया से श्योपुर जिले के केएनपी में लाया गया था। उसे पहले सियाया नाम से जाना जाता था और उसने इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में चार शावकों को जन्म दिया था।

(Representational photo)
Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में गुरुवार को भारत में जन्मे चीते के दो और शावकों की मौत हो गई। वन अधिकारी ने जानकारी दी। पिछले तीन दिनों में केएनपी में मरने वाले चीता शावकों की संख्या तीन हो गई। 23 मई को एक शावक की मौत हो गई थी।
ज्वाला नाम की मादा चीता से शावकों का जन्म हुआ था। मंगलवार को 4 शावकों के साथ देखा गया था। केएनपी के एक बयान के मुताबिक 23 मई को चीता शावक की मौत के बाद निगरानी टीम ने मादा चीता ज्वाला और उसके बाकी तीन शावकों की नजर रख रही थी।
निगरानी दल ने पाया कि तीनों शावकों की हालत ठीक नहीं है। तापमान 46-47 डिग्री सेल्सियस के आसपास था। इलाज के बावजूद दोनों शावकों को नहीं बचाया जा सका। चौथे शावक की हालत स्थिर है, लेकिन उसका भी गहन इलाज चल रहा है। ज्वाला, जिसे पहले सियाया के नाम से जाना जाता था। पिछले साल सितंबर में नामीबिया से केएनपी में स्थानांतरित किया गया था।
इन दोनों शावकों की मौत भी 23 मई को ही हो गयी थी, लेकिन इसकी सूचना बृहस्पतिवार दोपहर को मिली। इन दोनों शावकों की की मौत की सूचना 23 मई को नहीं देने के पीछे के कारण का खुलासा अधिकारी ने नहीं किया। भारत में चीतों को पुनः बसाने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना के हिस्से के रूप में दक्षिण अफ्रीका देशों से लाए गए चीतों को केएनपी में रखा गया है।
चीतों के विलुप्त होने के 70 साल बाद भारत में पिछले साल चीतों को दक्षिण अफ्रीकी देशों से दो जत्थों में केएनपी लाया गया था। नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को गुर्दे की बीमारी के कारण मौत हो गयी, जबकि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की 13 अप्रैल को मौत हो गयी। वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए मादा चीते दक्षा ने इस साल नौ मई को दम तोड़ दिया था।
मार्च के अंतिम सप्ताह में चार शावकों को जन्म दिया था। विलुप्त घोषित किए जाने के 70 साल बाद भारत में चीतों को फिर से बसाने के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ लागू किया गया है। इसके तहत दक्षिण अफ्रीका के देशों से चीतों को दो जत्थों में यहां लाया गया है।
नामीबियाई चीतों में से एक साशा ने 27 मार्च को गुर्दे की बीमारी के कारण दम तोड़ दिया जबकि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए एक अन्य चीते उदय की 23 अप्रैल को मौत हो गयी। वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की एक नर चिता से मिलन के प्रयास के दौरान हिंसक व्यवहार के कारण वह घायल हो गई थी जिसकी बाद में मौत हो गयी थी।
सियाया के चार शावक 70 साल बाद भारत की धरती पर केएनपी में पैदा हुए। पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में एक कार्यक्रम में केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था।
इसके बाद, इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते केएनपी लाए गए। भारत में पैदा हुए चार शावकों सहित 24 चीतों में से केएनपी में अब 17 वयस्क और तीन शावक हैं। इनमें से कुछ को अभी जंगल में छोड़ा जाना बाकी है।