केरल में एंटीजन जांच पर ‘अधिक निर्भरता’ के कारण ही कोविड संक्रमण के मामले बढ़े: कांग्रेस
By भाषा | Published: September 1, 2021 05:39 PM2021-09-01T17:39:04+5:302021-09-01T17:39:04+5:30
केरल में विपक्षी दल कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार की ‘‘कम सटीक’’ एंटीजन जांच पर अत्यधिक निर्भरता के कारण राज्य में कोविड-19 संक्रमण मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुयी । राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि महामारी व्यापक रूप से फैल गई क्योंकि एंटीजन जांच में संक्रमण का पता नहीं चला था और आरटी-पीसीआर जांच की संख्या केवल 25 प्रतिशत तक सीमित थी। छह जिलों में केवल आरटी-पीसीआर प्रारूप में कोविड जांच कराये जाने संबंधी सरकार के नये फैसले पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि यह बात सरकार को देर से समझ आई। राज्य सरकार ने मंगलवार को केवल छह जिलों वायनाड, पठानमथिट्टा, एर्नाकुलम, तिरुवनंतपुरम, इडुक्की और कासरगोड में आरटी-पीसीआर जांच करने का फैसला किया था जहां टीकाकरण 80 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है या इसके करीब है। फैसले का स्वागत करते हुए सतीशन ने कहा कि उन्होंने सरकार से अपने अनुभव को देखते हुए आरटी-पीसीआर जांच की संख्या को अधिकतम करने के लिए कहा था। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं जब बीमारी से प्रभावित था तो मैंने एंटीजन जांच कराई तो वह नेगेटिव आई थी लेकिन आरटी-पीसीआर जांच में पॉजिटिव आई थी। सरकार की रैपिड एंटीजन जांच पर अधिक निर्भरता का ही परिणाम है कि राज्य के घर कोविड-19 से संक्रमित समूहों में बदल गये है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि जब अन्य सभी राज्य पूरी तरह से आरटी-पीसीआर जांच पर निर्भर थे, केरल ने रैपिड जांच के परिणामों के आधार पर निवारक कदम उठाए थे। उन्होंने कहा कि सरकार पूर्ण आरटी-पीसीआर जांच करने के निर्णय को केवल छह जिलों तक ही सीमित न रखे। इस बीच स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि वायरस के संक्रमण के निरंतर प्रसार को देखते हुए और अधिक विशिष्ट चिकित्सकों की सेवा को शामिल करके टेली-मेडिसिन मंच ‘ई-संजीवनी’ को मजबूत किया गया है।
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