कोविड: पूर्वोत्तर, केरल को लेकर चिंता, आर-कारक बढ़ने से उपचाराधीन मामलों में कमी की दर धीमी

By भाषा | Updated: July 11, 2021 21:11 IST2021-07-11T21:11:04+5:302021-07-11T21:11:04+5:30

Kovid: Concerns over Northeast, Kerala, rate of reduction in under-treatment cases slows as R-factor rises | कोविड: पूर्वोत्तर, केरल को लेकर चिंता, आर-कारक बढ़ने से उपचाराधीन मामलों में कमी की दर धीमी

कोविड: पूर्वोत्तर, केरल को लेकर चिंता, आर-कारक बढ़ने से उपचाराधीन मामलों में कमी की दर धीमी

नयी दिल्ली, 11 जुलाई देश में संक्रमण किस गति से बढ़ रही है इसका संकेत देने वाले आर-कारक (प्रजनन कारक) में हाल में बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे उपचाराधीन मरीजों के ठीक होने की दर धीमी हुई है तथा केरल व पूर्वोत्तर उन क्षेत्रों के तौर पर उभरे हैं, जो चिंता की वजह बन रहे हैं।

यह तब है जब नए मामलों के राष्ट्रव्यापी आंकड़े कम बने हुए हैं। चेन्नई स्थित गणितीय विज्ञान संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं के एक विश्लेषण में यह खुलासा हुआ है।

इन विश्लेषण के मुताबिक आर-कारक जून के अंत में मामूली रूप से बढ़कर 0.88 हो गया जबकि मई के मध्य से पिछले महीने के आखिर तक यह अपने न्यूनतम 0.78 पर था।

यह ऐसे वक्त हुआ है जब कई राज्यों ने कोविड-19 की जानलेवा दूसरी लहर के बाद सामान्य जीवन की तरफ लौटने के प्रयास के तहत अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की है। दूसरी लहर में अब गिरावट के संकेत हैं लेकिन अप्रैल-मई में अपने चरम के दौरान इसने लाखों लोगों को संक्रमित किया और हजारों लोगों की जान ले ली।

अनुसंधानकर्ताओं के दल का नेतृत्व करने वाले सीताभ्र सिन्हा ने कहा कि भारत के लिये ‘आर’ अब भी एक से नीचे है, इसलिये उपचाराधीन मरीज की संख्या धीमी गति से घट रही है। उपचाराधीन मरीजों की संख्या में गिरावट की दर की धीमी गति का यह रुझान कई राज्यों में देखने को मिल रहा है।

सिन्हा ने इंगित किया, “केरल में संक्रमण के मामलों में थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई है और उसका ‘आर’ एक के करीब बना हुआ है। पूर्वोत्तर क्षेत्र को लेकर बड़ी चिंता है। मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और संभवत: त्रिपुरा संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी दर्शा रहे हैं।”

कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर जब चरम पर थी, तब देश में कुल आर-वैल्यू के नौ मार्च से 21 मार्च के बीच 1.37 होने का अनुमान था। विश्लेषण के मुताबिक, यह 24 अप्रैल से एक मई के बीच गिरकर 1.18 था और उसके बाद 29 अप्रैल से सात मई के बीच 1.10 पाया गया था।

इसके मुताबिक, नौ मई से 11 मई के बीच आर-वैल्यू के करीब 0.98 होने का अनुमान था, जो 14 मई से 30 मई के बीच घटकर 0.82 हो गया था। आर-वैल्यू 15 मई से 26 जून के बीच 0.78 था जबकि 20 जून से सात जुलाई के बीच यह बढ़कर 0.88 हो गया।

केरल में आर-वैल्यू के करीब 1.10 होने का अनुमान है । जहां तक पूर्वोत्तर राज्यों की बात करें तो मणिपुर के लिए ‘आर’ 1.07, मेघालय के लिये 0.92, त्रिपुरा के लिये 1.15, मिजोरम के लिये 0.86, अरुणाचल प्रदेश के लिये 1.14, सिक्किम के लिये 0.88 और असम के लिये 0.86 है।

हाल में सामने आए जीका वायरस के साथ केरल में कोविड-19 के बढ़ते मामले स्वास्थ्य अधिकारियों के लिये चिंता का विषय हैं क्योंकि दक्षिणी राज्य संक्रमण के दैनिक नए मामलों में कमी लाने के लिये जूझ रहा है।

केरल में शनिवार को कोविड-19 के 14087 नए मामले सामने आए जबकि 109 लोगों की इससे जान चली गई। नए आंकड़ों के बाद प्रदेश में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 3039029 हो गई है जबकि महामारी से जान गंवाने वालों का कुल आंकड़ा बढ़कर 14380 पहुंच गया है। प्रदेश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 113115 है।

केरल में एक जून को जहां संक्रमण के 19760 नए मामले सामने आए थे, वहीं एक हफ्ते तक थोड़ी कमी के बाद सात जून को 9313 नए मामले मिले थे। दो दिन बाद ही हालांकि मामले बढ़कर 16204 हो गए। करीब एक महीने से ज्यादा समय से वहां संक्रमण के नए मामलों की दैनिक संख्या 11 हजार से 13 हजार के बीच है।

सिन्हा ने कहा, “भारत में ‘आर’ का मई के मध्य से जून के अंत सबसे कम वैल्यू 0.78 (पिछले साल मार्च में महामारी शुरू होने के बाद से) था, जो जून के अंत से थोड़ा बढ़कर 0.88 हो गया है।”

मुख्य अनुसंधानकर्ता ने कहा कि इसका मतलब है कि हर 100 संक्रमित व्यक्ति 88 अन्य व्यक्तियों में संक्रमण फैला सकते हैं। अगर ‘आर’ एक से कम है तो इसका मतलब है कि नए संक्रमित लोगों की संख्या पूर्ववर्ती अवधि में संक्रमित लोगों की तुलना में कम है और इसका अर्थ है कि रोग के मामले कम हो रहे हैं।

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Web Title: Kovid: Concerns over Northeast, Kerala, rate of reduction in under-treatment cases slows as R-factor rises

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