लाइव न्यूज़ :

कोविड-19 से 2020 में पर्यावरण भी नहीं रहा अछूता, अस्थायी ही सही पर कुछ सकारात्मक परिणाम दिखे

By भाषा | Updated: January 1, 2021 18:52 IST

Open in App

(अदिति गुप्ता)

नयी दिल्ली, एक जनवरी कोविड-19 महामारी ने 2020 में विश्व को काफी परेशान किया और इसने न सिर्फ मानव जीवन का महत्व समझाया, बल्कि पर्यावरण पर इसका सकारात्मक प्रभाव भी दिखा, भले ही यह कुछ समय के लिए ही रहा हो।

कोरोना वारयस महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू किये गये लॉकडाउन के कारण स्कूल, कार्यस्थल, परिवहन और उद्योग-धंधे बीते साल कई महीनों तक बंद रहे तथा लोग अपने घरों के अंदर ही रहें। वायु गुणवत्ता बेहतर होने से धुंधला आसमान नीले आसमान में तब्दील होने लगा, हालांकि यह अस्थायी तौर पर ही रहा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक लॉकडाउन (22 मार्च से 18 मई) के बीच वायु गुणवत्ता काफी बेहतर हुई क्योंकि दिल्ली में पीएम 2.5 (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम व्यास के महीन कण) 2019 की तुलना में करीब 50 फीसदी घट गये।

गैर सरकारी संस्था ग्रीनपीस इंडिया ने बताया कि देश के पांच सर्वाधिक प्रदूषित शहरों-- दिल्ली, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश), नोएडा (उत्तर प्रदेश), ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) और गुड़गांव (हरियाणा)--में प्रदूषण का स्तर लॉकडाउन के शुरूआती 10 दिनों के दौरान 50 फीसदी से अधिक घट गया।

ये पांचों शहर विश्व के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में भी शामिल हैं।

सीपीसीबी के मुताबिक, वायु गुणवत्ता के अलावा सात नदियों के जल की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ। इन नदियों में यमुना, ब्राह्म्णी, गोदावरी, कावेरी, कृष्णा और तापी तथा ब्रह्मपुत्र शामिल हैं।

सीपीसीबी के मुताबिक, लॉकडाउन के शुरूआती चरण में तकरीबन सभी उद्योगों के बंद रहने से दूषित जल बहुत कम मात्रा में नदियों में जाने, पूजा सामग्री प्रवाहित नहीं किये जाने और कूड़ा नहीं डाले जाने के अलावा बाहर कपड़े, वाहन और पशु नहीं धोने तथा तीर्थयात्रा जैसी गतिविधियां नहीं होने के चलते इन नदियों के जल की गुणवत्ता में सुधार आया।

महामारी के कारण पैदा हुई दहशत पशुओं के लिए वरदान बन गई क्योंकि सरकार ने लोगों को पशुओं और उनके अधिवास से दूर रखा। अमेरिका के एक प्राणी उद्यान में एक बाघ में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि होने के बाद हरकत में आते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशो को निर्देश जारी किया कि वे विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में लोगों की गतिविधियों पर रोक लगाये, ताकि मानव और पशु के बीच संपर्क को रोका जा सके।

हालांकि, वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क ‘ट्रैफिक’ द्वारा किये गये एक अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भारत में वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं दोगुनी से अधिक हो गई। लॉकडाउन पूर्व के दिनों में 35 जंतुओं को मांस और व्यापार के लिये मारा गया था जबकि लॉकडाउन के दौरान यह संख्या बढ़ कर 88 दर्ज की गई।

केरल में एक गर्भवती हथिनी की नृशंस हत्या ने सोशल मीडिया पर भूचाल ला दिया, जिसके चलते सरकार को इस घटना की जांच का आदेश देना पड़ा।

महामारी की दहशत के चलते एक समय लोग यह भी मानने लगे थे कि प्रवासी पक्षी इस रोग का प्रसार कर रहे हैं। हालांकि, सरकार ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि लोगों द्वारा डर की भावना पैदा की जा रही है और कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार का प्रवासी पक्षियों के साथ कोई संबंध नहीं है।

बीते साल भारत ने 13वीं ‘‘कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज टू द कंवेंशन ऑन द कंजरवेशन ऑफ माइग्रेट्री स्पिशीज ऑफ वाइल्ड एनिमल्स’’ (सीएमएस कॉप 13) की अध्यक्षता भी की, जिसका आयोजन फरवरी में गुजरात में हुआ था।

सम्मेलन के दौरान सदस्य देशों ने गांधीनगर घोषणापत्र को स्वीकार किया, जो सीएमएस के लिए पारिस्थितिकी संपर्क कायम रखने एवं बहाल करने को शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल करता है। संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था ने --ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (प्रवासी पक्षी), एशियाई हाथी और बंगाल फ्लोरिकन (प्रवासी पक्षी)---को संकटापन्न प्रवासी प्रजातियों में शामिल किया।

चीन को छोड़ कर 100 से अधिक देश इस सम्मेलन में शामिल हुए थे। चीनी शहर वुहान में कोरोना वायरस का मामला सामने आने के बाद यात्रा प्रतिबंधों के चलते चीन ने सम्मेलन से बाहर रहने का विकल्प चुना था।

कोविड-19 का विश्व की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ने के डर ने भी सरकार को पेरिस समझौते के तहत जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के बारे में चिंतित किया। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोगों से नीले आसमान, स्वच्छ हवा और हरी-भरी धरती के बारे में ‘‘ज्यादा रोमांटिक’’ नहीं होने को कहा।

कोविड-19 और सतत विकास लक्ष्य तथा स्वास्थ्य के बारे में सीधा संबंध होने का जिक्र करते हुए जावड़ेकर ने कहा था कि महामारी के आर्थिक परिणाम जलवायु कार्रवाई के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को कमजोर कर सकते हैं।

हालांकि, कुछ महीनों बाद मंत्री ने घोषणा की कि भारत एकमात्र जी-20 देश है, जिसने पेरिस समझौते का अनुपालन किया है और किसी अन्य विकासशील देश ने ऐसा नहीं किया।

सरकार देश में कोरोना वायरस के मामलों के चलते पैदा होने वाले कूड़ा के प्रबंधन को लेकर भी सतर्क रही। सीपीसीबी ने कोविड-19 से जुड़े अपशिष्ट मेडिकल उपकरणों, पोशाक, दस्ताने आदि के निपटारे आदि के संबंध में बार-बार दिशानिर्देश जारी किये।

कोविड-19 के मामले बढ़ने पर सीपीसीबी ने देश भर के सभी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य सेवा केंद्रों को अलग-अलग रंग के कूड़ेदान रखने को कहा, ताकि जैव मेडिकल कूड़ा प्रबंधन नियम 2016 के मुताबिक कूड़े को अलग-अलग रखा जा सके।

पर्यावरण मंत्रालय ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए औषधि परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान करने में भी तेजी लाई।

पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) में संशोधन को लेकर भी बीते साल केंद्र और पर्यावरणविदों के बीच गतिरोध देखने को मिला।

पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया कि सरकार ऐसा कर कई बड़े उद्येागों को जन सुनवाई के दायरे से बाहर करना चाहती है।

विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के कुछ छात्रों ने मसौदा ईआईए को स्थगित रखने की मांग की क्योंकि इसे महामारी के दौरान प्रकाशित किया गया था और लोग अपनी राय नहीं दे सके थे। जबकि कुछ लोगों ने इस मसौदा को वापस लेने की मांग करते हुए इसके विवादास्पद होने का आरोप लगाया था।

सेंट्रल विस्टा की केंद्र की एक और योजना को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा। इसे हाल ही में एक विशेषज्ञ समिति की सहमति मिली है, जिसके बाद यह पर्यावरण मंजूरी पाने के और करीब पहुंच गई है।

विशेषज्ञों ने दलील दी है कि सरकार इस परियोजना पर पर्यावरण को ध्यान में रखे बिना आगे बढ़ रही है और इससे बड़े पैमाने पर हरियाली को नुकसान पहुंचेगा, तोड़फोड़ एवं निर्माण कार्य से प्रदूषण फैलेगा।

बीते साल आगाह करने वाली कई रिपोर्ट भी आईं, जिनमें एक में यह दावा किया गया कि बाढ़, सूखा और चक्रवात सहित जलवायु आपदाओं के चलते 2050 तक भारत में 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को अपना घर-बार छोड़ कर पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा।

साल के अंत में भारत के 42 आर्द्रभूमि को रामसर सम्मेलन के तहत मान्यता प्राप्त स्थलों की सूची में शामिल किया गया। दक्षिण एशिया में सर्वाधिक स्थान भारत से ही शामिल किये गये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतKerala local body polls 2025 results: NDA 42, LDF 22 और UDF 14 वार्ड पर आगे?, तिरुवनंतपुरम नगर निगम में पहली बार सत्ता हासिल करने की कगार पर

क्राइम अलर्टसदमे और दर्द में 11 वर्षीय बेटी, घर से बाहर थे माता-पिता, मकान मालिक ने किया रेप, आरोपी ने लड़की को जान से मारने की धमकी

भारतDelhi AQI: दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर रेड जोन में पहुंचा, AQI ने तोड़ा रिकॉर्ड

भारतKerala Local Body Elections: ग्राम पंचायतों में एलडीएफ आगे, नगरपालिकाओं और निगमों में यूडीएफ आगे

भारतPunjab: अमृतसर के कई स्कूलों को मिली बम की धमकी, जल्द छात्रों को बाहर निकाला गया; जांच जारी

भारत अधिक खबरें

भारतकिल्लत से बचने के लिए जरूरी है ऊर्जा संरक्षण

भारतसंसदीय सुधारों के लिए याद रहेंगे शिवराज पाटिल

भारतमहाराष्ट्र निकाय चुनावः थोड़ा थका-थका सा दिख रहा है विपक्ष

भारतHoliday Calendar 2026: नए साल 2026 में कितने दिन मिलेगी छुट्टी, जानें कब रहेगा लॉन्ग वीकेंड, पूरी लिस्ट यहां

भारतस्टार पहलवान विनेश फोगट ने संन्यास का फैसला पलटा, 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक्स में मेडल जीतने का लक्ष्य