मकानों पर पोस्टर लगने के बाद कोविड-19 मरीजों के साथ हो रहा है अछूतों जैसा व्यवहार : न्यायालय

By भाषा | Published: December 1, 2020 01:34 PM2020-12-01T13:34:55+5:302020-12-01T13:34:55+5:30

Kovid-19 patients being treated like untouchables after posting posters on houses: Court | मकानों पर पोस्टर लगने के बाद कोविड-19 मरीजों के साथ हो रहा है अछूतों जैसा व्यवहार : न्यायालय

मकानों पर पोस्टर लगने के बाद कोविड-19 मरीजों के साथ हो रहा है अछूतों जैसा व्यवहार : न्यायालय

नयी दिल्ली, एक दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कोविड-19 मरीजों के मकान के बाहर एक बार पोस्टर लग जाने पर उनके साथ ‘अछूतों’ जैसा व्यवहार हो रहा है और यह जमीनी स्तर पर एक अलग हकीकत बयान करता है।

केन्द्र ने शीर्ष अदालत से कहा कि हालांकि उसने यह नियम नहीं बनाया है लेकिन इसकी कोविड-19 मरीजों को ‘कलंकित’ करने की मंशा नहीं है, इसका लक्ष्य अन्य लोगों की सुरक्षा करना है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने कहा कि जमीनी स्तर की हकीकत ‘‘कुछ अलग है’’ और उनके मकानों पर ऐसा पोस्टर लगने के बाद उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार हो रहा है।

केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कुछ राज्य संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अपने स्तर पर ऐसा कर रहे हैं।

मेहता ने कहा कि कोविड-19 मरीजों के मकान पर पोस्टर चिपकाने का तरीका खत्म करने के लिए देशव्यापी दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर न्यायालय के आदेश पर केन्द्र अपना जवाब दे चुका है।

पीठ ने कहा, ‘‘केन्द्र द्वारा दाखिल जवाब को रिकॉर्ड पर आने दें, उसके बाद बृहस्पतिवार को हम इसपर सुनवाई करेंगे।’’

शीर्ष अदालत ने पांच नवंबर को केन्द्र से कहा था कि वह कोविड-19 मरीजों के मकान पर पोस्टर चिपकाने का तरीका खत्म करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार करे।

न्यायालय ने कुश कालरा की अर्जी पर सुनवाई करते हुए केन्द्र को औपचारिक नोटिस जारी किए बिना जवाब मांगा था।

पीठ ने कहा था कि जब दिल्ली उच्च न्यायालय में शहर की सरकार मरीजों के मकानों पर पोस्टर नहीं लगाने पर राजी हो सकती है तो इस संबंध में केन्द्र सरकार पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश जारी क्यों नहीं कर सकती।

आप सरकार ने तीन नवंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने अपने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि वे कोविड-19 मरीजों या गृहपृथक-वास में रह रहे लोगों के मकानों पर पास्टर ना लगाएं और पहले से लगे पोस्टरों को भी हटा लें।

दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि उसके अधिकारियों को कोविड-19 मरीजों से जुड़ी जानकारी उनके पड़ोसियों, आरडब्ल्यूए या व्हाट्सऐप ग्रुप पर साझा करने की भी अनुमति नहीं है।

कालरा ने उच्च न्यायालय में दी गई अर्जी में कहा था कि कोविड-19 मरीज के नाम को आरडब्ल्यूए और व्हाट्सऐप ग्रुप पर साझा करने से ‘‘ना सिर्फ वे कलंकित हो रहे हैं बल्कि बिना वजह लोगों का ध्यान उनपर जा रहा है।’’

अर्जी में कहा गया है कि कोविड-19 मरीजों को ‘‘निजती दी जानी चाहिए और उन्हें इस बीमारी से उबरने के लिए शांति और लोगों की घूरती हुई नजरों से दूर रखा जाना चाहिए।’’

अर्जी मं कहा गया है, ‘‘लेकिन उन्हें दुनिया की नजरों के सामने लाया जा रहा है....’’

उसमें यह भी दावा किया गया है कि सार्वजनिक रूप से अपमानित और कलंकित होने से बचने के लिए लोग अपनी कोविड-19 जांच कराने से हिचक रहे हैं, और यह सबकुछ मरीजों के मकानों पर पोस्टर चिपकाने का नतीजा है।

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Web Title: Kovid-19 patients being treated like untouchables after posting posters on houses: Court

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