जबलपुर (मप्र), 15 अप्रैल मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को प्रदेश सरकार से कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर और उसके राज्य पर प्रकोप तथा उपचार के संबंध में लिखित जवाब शुक्रवार तक पेश करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक तथा न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने कोरोना वायरस संबंधित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोरोना के प्रकोप तथा उपचार के संबंध में सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों का लिखित जवाब 16 अप्रैल, 2021 तक युगलपीठ के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए।
यह जानकारी कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने दी है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से उनके वकीलों ने युगलपीठ को बताया कि कोरोना संक्रमण प्रदेश में तेजी से फैल रहा है और सरकार सिर्फ कागजी आंकडे पेश कर रही है। स्थिति बहुत भयभीत करने वाली है तथा उपचार के लिए अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध नहीं है। रेमडेसिविर इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है। डॉक्टर द्वारा उपचार के लिये रेमडेसिविर इंजेक्शन लिखता है तो प्रशासनिक अधिकारी उसे आमान्य कर देते है। बिल अदा नहीं करने पर निजी अस्पताल परिजनों को लाश देने से इंकार कर देते हैं।
सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेस के जरिए उपस्थित हुई राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रबंध निदेशक छबि भारद्वाज ने युगलपीठ को बताया कि यदि कोई डॉक्टर किसी मरीज को कोई दवा लिखता है तो प्रशासनिक अधिकारी उसे मरीज या अस्पताल को देने से मना नहीं कर सकता है।
याचिका पर अगली सुनवाई शुक्रवार 16 अप्रैल को निर्धारित की गयी है।
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