22 बागी विधायकों ने बदलकर रख दिया कांग्रेस का सियासी समीकरण, जानें इन बागियों के बारे में जिनके दम पर सिंधिया ने कांग्रेस को हिलाकर रख दिया

By गुणातीत ओझा | Updated: March 11, 2020 13:30 IST2020-03-11T13:30:28+5:302020-03-11T13:30:28+5:30

विधानसभा अध्यक्ष एन प्रजापति अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते हैं तो कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ जाएगी । मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में दो सीटें फिलहाल रिक्त हैं। ऐसे में 228 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास मामूली बहुमत है।

know all about 22 rebel mlas of congress who support jyotiraditya scindia to defeat congress in madhya pradesh | 22 बागी विधायकों ने बदलकर रख दिया कांग्रेस का सियासी समीकरण, जानें इन बागियों के बारे में जिनके दम पर सिंधिया ने कांग्रेस को हिलाकर रख दिया

सिंधिया के साथ ही उनके समर्थक पार्टी के 22 विधायकों के इस्तीफे से राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं

Highlightsकांग्रेस को जबरदस्त झटका देते हुए पार्टी के प्रमुख युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया हैसिंधिया के साथ ही उनके समर्थक पार्टी के 22 विधायकों के इस्तीफे से राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं

कांग्रेस को जबरदस्त झटका देते हुए पार्टी के प्रमुख युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है । सिंधिया के साथ ही उनके समर्थक पार्टी के 22 विधायकों के इस्तीफे से राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं । कांग्रेस छोड़ने वाले 49 वर्षीय सिंधिया केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं । उनकी दादी दिवंगत विजय राजे सिंधिया इसी पार्टी में थीं। ऐसी अटकले हैं कि सिंधिया को राज्यसभा का टिकट दिया जा सकता है और उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है। 

कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण पार्टी के महासचिव एवं पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से निष्कासित कर दिया । मंगलवार सुबह जब पूरा देश होली का जश्न मना रहा था, तभी सिंधिया ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की। बैठक में क्या बातचीत हुई, इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है। हालांकि, भाजपा सूत्रों ने कहा कि सिंधिया से लंबी बातचीत करने का भगवा पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं का फैसला इस बात को दर्शाता है कि वे उन्हें (सिंधिया को) कितना महत्व देते हैं जिन्हें राहुल गांधी का बेहद करीबी माना जाता है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को नौ मार्च को लिखे इस्तीफा पत्र में सिंधिया ने कहा कि उनके लिये आगे बढ़ने का समय आ गया है क्योंकि इस पार्टी में रहते हुए अब वह देश के लोगों की सेवा करने में अक्षम हैं। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि उनका पत्र सोनिया गांधी के आवास पर मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर मिला। इस दिन उनके पिता और कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया का 75 वां जन्मदिन है।

विधानसभा अध्यक्ष एन प्रजापति अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते हैं तो कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ जाएगी । मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में दो सीटें फिलहाल रिक्त हैं। ऐसे में 228 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास मामूली बहुमत है। अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते हैं तो विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या महज 206 रह जाएगी। उस स्थिति में बहुमत के लिये जादुई आंकड़ा सिर्फ 104 का रह जाएगा। ऐसे में, कांग्रेस के पास सिर्फ 92 विधायक रह जाएंगे, जबकि भाजपा के 107 विधायक हैं। 

जानें उन बागी विधायकों के बारे में जिन्होंने सिंधिया के लिए कांग्रेस को छोड़ा

प्रद्युम्न सिंह तोमर: फूड एंड सिविल सप्लाइज मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर खुद नामी में घुसकर सफाई करने के लिए काफी चर्चा में रह चुके हैं। तोमर ग्वालियर से विधायक हैं।

प्रभुराम चौधरी : प्रभूराम चौधरी पेशे से डॉक्टर थे। 1985 में पहली बार विधायक बने थे। सांची विधानसभा सीट से चौधरी 3 बार विधायक बन चुके हैं। कमलनाथ सरकार में वो शिक्षा मंत्री थे।

महेंद्र सिंह सिसौदिया: कमलनाथ सरकार में श्रम मंत्री के रूप में काम कर रहे सिसौदिया ने 2013 और 2018 में बामरी विधानसभा सीट से चुनाव जीता है।

तुलसी सिलावट: सानवेर विधानसभा सीट से चौथी बार विधायक बने तुलसी सिलावट ने 1985, 2008,2015 और 2018 में चुनाव जीता था। कमलनाथ सरकार में वो स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर काम कर रहे थे।

गोविंद सिंह राजपूत: कमलनाथ के मंत्रीमंडल में राजस्व मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत ने सागर के सुरखी विधानसभा सीट से तीन बार विधायक का चुनाव जीता है। वो मध्यप्रदेश की यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं।

इमरती देवी: कमलनाथ सरकार में महिला और विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने वाली इमरती देवी डबरा विधनसभा सीट से विधायक हैं। वो इस सीट से 2008 से लगातार जीतती आ रही हैं।

ब्रजेंद्र सिंह यादव:  मुंगावली सीट से विधायक ब्रजेन्द्र सिंह यादव ने भी सिंधिया के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस सीट से पहले महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा भी विधायक रहे थे।

गिरिराज डंडोतिया: दंडोतिया दिमानी सीट से कांग्रेस विधायक हैं। वो सिंधिया के कट्टर समर्थकों में से एक हैं।

हरदीप सिंह डंग: कांग्रेस सरकार का साथ छोड़ने वाले विधायकों में डंग सबसे आगे थे। हालांकि वो खुद को किसी भी खेमे का नहीं बता रहे हैं।

जजपाल सिंह जज्जी : जज्जी अशोकनगर सीट से विधायक हैं। 2018 में उन्होंने भाजपा के लड्डूराम को हराकर चुनाव जीता था।

कमलेश जाटव: कमलेश जाटव मुरैना जिले की अम्बाह सीट से विधायक हैं। उन्होंने ट्रांसजेंडर उम्मीदवार को करीबी अंतर से हराया था।

मुन्ना लाल: गोयल गोयल भी सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। पिछले महीने ही उन्होंने अपनी मांग को लेकर धरना किया था। गोयल ग्वालियर पूर्वी सीट से विधायक हैं।

ओ पी सिंह भदौरिया: भिंड जिले की मेहगांव सीट से विधायक बने ओपी सिंह भदौरिया भी सिंधिया के समर्थन में हैं। उन्होंने 2018 में भाजपा के राकेश शुक्ला को हराया था।

रघुराज सिंह कंसाना: मुरैना सीट से विधायक रघुराज सिंह कंसाना सिंधिया के भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं। पिछले साल ही सीबीआई ने उनके घर छापा मारा था।

राजवर्धन सिंह दत्तीगांव: यह विधायक शुरुआत से ही कमलनाथ सरकार के खिलाफ रहा है। दत्तीगांव सीट से विधायक बनने वाले राजवर्धन राज गराने के नेता हैं।

सुरेश धाकड़: पोहारी सीट से चुनाव जीतने वाले सुरेश धाकड़ ने 10 साल से भाजपा विधायक रहे प्रहलाद भारती को हराया था।

रक्षा संतराम सरौनिया: सरौनिया भांदेर सीट से विधायक हैं। 

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